व्यक्ति में 6 प्रकार का व्यक्तित्व होता हैं ।
व्यक्तित्व षड्मुखी होता हैँ -अथार्त व्यक्ति की विचार धारा ६ प्रकार की होती हैं -
१ -शास्त्रमुखी -जिस के अंतर्गत व्यक्ति शास्त्र के अनुसार ही कार्य करता हैं वह यह ध्यान रखता हैं कि शास्त्र में क्या उचित हैं ,क्या अनुचित।
२ -गुरु मुखी-व्यक्ति गुरु के आधार पर ही कार्य करता हैं ।जो गुरु ने कह दिया उसी आज्ञा का पालन करता हैं।
३ -राजमुखी -इसमें व्यक्ति वाही कार्य करता हैं जो राजा कहे अथवा सत्ता कहे ।जिससे राजा खुश रहे।
४ -स्वमुखी -व्यक्ति अपनी चेतना से कार्य करता हैं।जो चेतना गुरु ने जगा दी ,उसी के अनुसार गुरु व शास्त्र को ध्यान में रखकर कार्य करता हैं ।
५ -मनमुखी -जो मन में आयेगा वही कार्य करेगा ।वह न गुरु की परवाह करता हैं न शास्त्र की।जो उसकी मर्जी होती हैं वही कार्य करता हैं।
६ -गोमुखी -व्यक्ति हमेशा स्मरण करता रहता हैं और कार्य करता रहता हैं।निरन्तर स्मरणशील रहता हैं।
जय श्री राधे !
व्यक्तित्व षड्मुखी होता हैँ -अथार्त व्यक्ति की विचार धारा ६ प्रकार की होती हैं -
१ -शास्त्रमुखी -जिस के अंतर्गत व्यक्ति शास्त्र के अनुसार ही कार्य करता हैं वह यह ध्यान रखता हैं कि शास्त्र में क्या उचित हैं ,क्या अनुचित।
२ -गुरु मुखी-व्यक्ति गुरु के आधार पर ही कार्य करता हैं ।जो गुरु ने कह दिया उसी आज्ञा का पालन करता हैं।
३ -राजमुखी -इसमें व्यक्ति वाही कार्य करता हैं जो राजा कहे अथवा सत्ता कहे ।जिससे राजा खुश रहे।
४ -स्वमुखी -व्यक्ति अपनी चेतना से कार्य करता हैं।जो चेतना गुरु ने जगा दी ,उसी के अनुसार गुरु व शास्त्र को ध्यान में रखकर कार्य करता हैं ।
५ -मनमुखी -जो मन में आयेगा वही कार्य करेगा ।वह न गुरु की परवाह करता हैं न शास्त्र की।जो उसकी मर्जी होती हैं वही कार्य करता हैं।
६ -गोमुखी -व्यक्ति हमेशा स्मरण करता रहता हैं और कार्य करता रहता हैं।निरन्तर स्मरणशील रहता हैं।
जय श्री राधे !