/ "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: मई 2020

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मंगलवार, 5 मई 2020

दुर्गा कवच का पाठ हिदी में

                          दुर्गा कवच (हिंदी में )

आजकल पूरे विश्व में करोना जैसी महामारी फैली हुई है और सभी परेशान है, हताश है अपने अपने तरीके से सभी पराक्रम कर रहे हैं, इस महामारी  से लड़ रहे हैं ।इसी के साथ ही हमें दुर्गा माता कवच का पाठ नित्य करना चाहिए क्योंकि वह हमारी मां है, अंबे मां, जगदंबे मां है, वह हमारी पुकार को जरूर सुनेगी और हमारी इस महामारी से हमारी रक्षा करेंगी।
ॐ चंडिका देवी को नमस्कार है।
 मार्कंडेय जी ने कहा- पितामह, जो इस संसार में परम गोपनीय तथा मनुष्य की सब प्रकार से रक्षा करने वाला है और जो अब तक आपने दूसरे किसी के सामने प्रकट नहीं किया हो ऐसा कोई साधन मुझे बताइए ।
ब्रह्माजी बोले- ब्राह्मण ऐसा साधन तो एक देवी का कवच ही है ।जो गोपनीय से भी परम गोपनीय,पवित्र तथा संपूर्ण प्राणियों का उपकार करने वाला है।महामुने! उसे श्रवण करो।। देवी की नौ मूर्तियां हैं, जिन्हें 'नवदुर्गा' कहते हैं। उनके पृथक पृथक नाम बतलाए जाते हैं। प्रथम नाम 'शैलपुत्री' दूसरी मूर्ति का नाम 'ब्रह्मचारिणी' हैं . तीसरा स्वररुप 'चंद्रघंटा' के नाम से प्रसिद्ध है. । चौथी मूर्ति को 'कुष्मांडा' कहते हैं ,पांचवी दुर्गा का नाम 'स्कन्दमाता' है, देवी के छठे रूप को' कात्यायनी' कहते हैं सातंवा 'कालरात्रि' और आठवां स्वरूप 'महागौरी' के नाम से प्रसिद्ध है। नवीदुर्गा का नाम 'सिद्धिदात्री' है ।यह नाम वेदभगवान के द्वारा ही प्रतिपादित हुए हैं ।जो मनुष्य अग्नि में जल रहा हो। रणभूमि में शत्रु से घिर गया हो,तथा इस प्रकार भय से आतुर होकर जो भगवती दुर्गा की शरण में प्राप्त हुए हैं उनका कभी कोई अमंगल नहीं होता। युद्ध के समय, संकट में पड़ने पर भी उनके ऊपर कोई भी विपत्ति नहीं आती।उन्हें शोंक, दुख और भय की प्राप्ति नहीं होती। जिन्होंने भक्ति पूर्वक देवी का स्मरण किया है उनका निश्चय ही अभुदय होता है देवेश्वरी जो तुम्हारा चिंतन करते हैं, उनकी तुम निसंदेह रक्षा करती हो। चामुंडा देवी प्रेत पर आरूढ़ होती हैं। वाराही भैसें  सवारी करती हैं। ऐंद्री का वाहन एरावत हाथी है। वैष्णवी देवी गरूड़ पर आती हैं ।माहेश्वरी वृषभ पर आसन जमाती हैं कुमारी का वाहन मयूर है। भगवान विष्णु की पत्नि लक्ष्मी देवी कमल के आसन पर विराजमान हैं ,और हाथों में कमल धारण किए हैं।वृषभ पर सवार ईश्वरी देवी ने श्वेत रुप धारण कर रखा है । ब्राह्मणी देवी हंस पर बैठी हुई है और  विभिन्न प्रकार के आभूषणों से विभूषित हैं। इस प्रकार यह सभी माताएं सब प्रकार की योग शक्तियों से संपन्न है इनके सिवा और भी बहुत सी देवियां है जो अनेक प्रकार के आभूषणों की शोभा से युक्त तथा नाना प्रकार के रत्नों से सुशोभित हैं।यह संपूर्ण देवियां क्रोध में भरी हुई है और भक्तों की रक्षा के लिए रथ पर बैठी दिखाई देती है।यह शंख, चक्र, गदा, शक्ति, हल और मूसल  खेतक, और तोमर ,परशु तथा पाश, कुन्त और त्रिशूल उत्तम धनुष आदि अस्त्र शस्त्र अपने हाथों में धारण किए रहती हैं। देत्यो के शरीर का नाश करना,भक्तों को अभय दान देना और देवताओं का कल्याण करना।यही उनके अस्त्र- शस्त्र धारण करने का उद्देश्य है। कवच का पाठ आरंभ करने से पहले इस प्रकार प्रार्थना करनी चाहिए (महान रूद्र रूप, अत्यंत गूढ़ पराक्रम,महान बल और महान उत्साह वाली देवी तुम महान भय का नाश करने वाली हो ,तुम्हें नमस्कार है। तुम्हारी और देखना भी कठिन है,शत्रुओं का भय बढ़ाने वाली जगदंबिके हमारी रक्षा करो)पूर्व दिशा में इंद्र शक्ति हमारी रक्षा करें। अग्निकोण में अग्णिशक्ति, दक्षिण दिशा में वाराही तथा नेऋत्य कोण  खड़गधारण मेरी रक्षा करें। पश्चिम दिशा में वारुणी और वायव्य कोण में मृग पर सवारी करने वाली देवी मेरी रक्षा करें उत्तर दिशा में कौमारी और ईशान कोण में शूलधारनी देवी रक्षा करें। ब्राह्मणी ऊपर से, नीचे की ओर  वैष्णवी हमारी रक्षा करें। इसी प्रकार शव को अपना वाहन बनाने वाली चामुंडा देवी दसों दिशाओं में मेरी रक्षा करें। जया आगे से और विजय पीछे की ओर से मेरी रक्षा करें। वाम भाग में अजीता और दक्षिण भाग में अपराजिता मेरी रक्षा करें, उधौतिनी शिखा की रक्षा करें ।उमा मेरे मस्तक पर विराजमान होकर रक्षा करें। ललाट में माला धारी रक्षा करें और यशस्विनी देवी मेरे मन की रक्षा करें। दोनों भवों के मध्य भाग में त्रिनेत्रा और नथुनों की यमघण्टा देवी रक्षा करें । कानों में द्वारबासिनी रक्षा करें कालिका देवी कपोलो की तथा भगवती शांकरी कानों के मूल भाग की रक्षा करें, नासिका में सुगंधा और ऊपर के ओठ में चर्चिका देवी रक्षा करें, नीचे की ओठ में अमृत कला और जीव्हा में सरस्वती देवी रक्षा करें, कौमारी दांतो की और चंडिका देवी कंठ प्रदेश की रक्षा करें। चित्रघण्टा गले की घाँटी और महामाया तालु में रहकर रक्षा करे। कामाक्षी ठोड़ी की और सर्वमंगला मेरी वाणी की रक्षा करें,भद्रकाली ग्रीवा में और धनुर्धारी पृष्ठ वंश मे( मेरूदंड) में रहकर रक्षा करें,कंठ के बाहरी में भाग में नीलग्रीवी और कंठ की नली में नलकूबरी रक्षा करें, दोनों कंधों में खडि्गनी और मेरी दोनों भुजाओं की व्रजधारिणी रक्षा करें। दोनों हाथों में दण्डिनी और अंगुलियों की अंबिका देवी रक्षा करें, शूलेश्वरी नखों की रक्षा करें कुलेश्वरी कुक्षी (पेट)में रहकर रक्षा करें। महादेवी दोनों स्तनों की और शोक विनाशनी देवी मन की रक्षा करें, ललिता देवी ह्रदय में और शूल धारिणी उदर में रहकर रक्षा करें, नाभि में कामिनी और  गुह्यभाग की वह गुह्येश्वरी रक्षा करें, पूतना और कामिका लिंग और महिषवाहिनी गुदा की रक्षा करें।
भगवती कटिभाग में और विंध्यवासिनी घुटनों की रक्षा करें संपूर्ण कामनाओं को देने वाली महाबला देवी दोनों पिंडलियों की रक्षा करें, नारसिंही दोनों घुटनों की और तेजसी देवी दोनों चरणों के पृष्ठ भाग की रक्षा करें, श्रीदेवी पैरों की अंगुलियों में और तलवासनी पैरों के तलवों में रहकर रक्षा करें, अपनी दाढो़ के कारण भयंकर दिखाई देने वाली दृंष्टा कराली देवी नखों की और ऊर्ध्वकेशनी देवी केशो की रक्षा करें रोमावलियों के छिद्रों में कोबेरी और त्वचा की बागेश्वरी देवी रक्षा करें ,पार्वती देवी रक्त,मज्जा, वसा ,मांस  हड्डी और मेद की रक्षा करें ,आंतों की कालरात्रि और पित्त की मुक्तेश्वरी देवी रक्षा करें ,मूलाधार आदि कमल-कोशों में पद्मावती देवी और कफ में चूड़ामणि देवी स्थित होकर रक्षा करें, नख के तेज की ज्वालामुखी रक्षा करें, जिसका किसी भी अस्त्र से भेदन नहीं हो सकता वह अभेध्या देवी शरीर की समस्त संधियों में रहकर रक्षा करें।
ब्राह्मणी आप मेरे वीर्य की रक्षा करें, छत्रेश्वरी छाया की तथा धर्म धारणी देवी मेरे अहंकार मन और बुद्धि की रक्षा करें, हाथ में व्रज धारण करने वाली व्रजहता देवी मेरे प्राण, अपान, व्यान, उदान और समान,वायु की रक्षा करें। कल्याण से शोभित होने वाली भगवती कल्याण शोभना मेरे प्राण की रक्षा करें, रस,रूप ,गंध ,शब्द और स्पर्श इन विषयों का अनुभव करते समय योगिनी देवी रक्षा करें, तथा सत्व गुण रजोगुण और तमोगुण की रक्षा सदा नारायणी देवी करें ।वाराही आयु की रक्षा करें, वैष्णवी देवी धर्म की रक्षा करें, तथा  चक्रधारण करने वाली देवी यश ,कीर्ति, लक्ष्मी ,धन तथा विद्या की रक्षा करें, इंद्राणी आप मेरे गोत्र की रक्षा करें ।चण्डिके आप पशु और पक्षियों की रक्षा करें ,महालक्ष्मी पुत्र और पुत्री की रक्षा करें ,भैरवी पत्नी/ पति की रक्षा करें, मेरे पथ की सुपथा और मार्ग की क्षेमकरी रक्षा करें ,राजा के दरबार में महालक्ष्मी रक्षा करें। तथा सब ओर व्याप्त रहने वाली विजया देवी संपूर्ण भयों से मेरी रक्षा करें।
देवी ! जो स्थान कवच में नहीं कहा गया है, अतएव रक्षा से रहित है, वह सब आपके द्वारा सुरक्षित हो, क्योंकि तुम विजय शालिनी और पाप नाशिनी हो। यदि अपने शरीर का भला चाहे तो मनुष्य बिना कवच के कहीं एक पग भी ना जाए । कवच का पाठ करके ही यात्रा करें। कवच के द्वारा सब ओर से सुरक्षित मनुष्य जहां जहां भी जाता है ,वहां-वहां उसे धन लाभ होता है तथा संपूर्ण कामनाओं की सिद्धि करने वाली विजय की प्राप्ति होती है। वह जिस जिस अभीष्ट वस्तु का चिंतन करता है, उस उसको निश्चय ही प्राप्त कर लेता है। वह पुरुष इस पृथ्वी पर तुलनारहित महान  ऐश्वर्य का भागी होता है। सब ओर से सुरक्षित मनुष्य निर्भय हो जाता है। युद्ध में उसकी पराजय नहीं होती तथागत तीनो लोक में पूजनीय होता है। देविका यह कवच देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। जो प्रतिदिन नियम पूर्वक तीनों संध्याओ के समय श्रद्धा के साथ का पाठ करता है ,उसे देवी कला प्राप्त होती है तथा तीनों लोकों में कहीं भी पराजित नहीं होता है।
इसलिए आप सब से विन्रम निवेदन है कि प्रतिदिन इस कवच का पाठ अवश्य करें।

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