जाग मुसाफिर यह संसार हमेशा के लिए नही है।
मृत्यु कब कैसे आएगी ये किसी को नही पता लेकिन इतना पता जरूर होता है कि मृत्यु आएगी। मानव 24 घण्टे संसार में इस तरह जीवन जीता है जैसे संसार को खरीद लिया है। मानव को पता है कि मृत्यु आएगी लेकिन ये नही पता कब आएगी तब मानव ये जानने का प्रयास क्यों नही करते है कि मानव तन मिला क्यों है जब मानव तन प्राप्त कर कुछ ले जा नही सकते है तो इतना भाग-दौड़ क्यों?
मानव जीवन मिला है तो क्यों मिला है इसका मंजिल कहाँ है? बचपन से लेकर बुढापा तक मानव बस अपने तन को सजाता है धन को कमाता है और इज्जत भी लेकिन वो धन भी क्या वो तन भी क्या वो इज्जत भी क्या अगर मानव तन के उद्देश्य को न जान पाया या नही प्राप्त कर पाया?