/ "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: अगस्त 2013

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मंगलवार, 27 अगस्त 2013

ghrelu nuskhe

                                           घरेलू नुस्खे                                  

दिमागी ताकत



बबूल का गोंद आधा किलो शुद्ध घी में तल कर फूले निकाल लें और ठण्डे

 करके बारीक पीस लें। इसके बराबर मात्रा में पिसी मिश्री इसमें मिला लें। 

बीज निकाली हुई मुनक्का 250 ग्राम और बादाम की छिली हुई गिरी 100 

ग्राम-दोनों को खल बट्टे (इमाम दस्ते) में खूब कूट-पीसकर इसमें मिला लें। 

बस योग तैयार है।

सुबह नाश्ते के रूप में इसे दो चम्मच (बड़े) याने लगभग 20-25 ग्राम मात्रा 


में खूब चबा-चबा कर खाएं। साथ में एक गिलास मीठा दूध घूंट-घूंट करके 

पीते रहे। इसके बाद जब खूब अच्छी भूख लगे तभी भोजन करें। यह योग 

शरीर के लिए तो पौष्टिक है ही, साथ ही दिमागी ताकत और तरावट के लिए 

भी बहुत गुणकारी है। छात्र-छात्राओं को यह नुस्खा अवश्य सेवन करना 

चाहिए।

    सीमा के भीतर असीम प्रकाश














पांच चीजे आपकी संस्कृति की रक्षा करने वाली हैं -विवाह ,भोजन ,वेशभूषा ,भाषा और व्यवसाय। इनका त्याग करने से बड़ी भरी हानि  होती हैं। लोग कहते हैं कि समय के अनुसार चलना चाहिए ;हम तो समय के अनुसार काम करते हैं। ऐसा सब कहते तो हैं ,पर करते नहीं हैं गर्मी के दिनों में आप ठंडा पानी पीते हैं ,पतले कपडे पहनते हैं ,पंखा चलाते हो तो यह आपका समय से विरुद्ध चलना हैं। समय के अनुसार चलना तो तब माना जाए ,जब आप गर्मी के दिनों में गर्म पानी पीओ ,ठंडी के दिनों में ठंडा पानी पीओ। इसलिए समय के अनुसार काम करो समय से बचने के लिए। अगर आप कलयुग के अनुसार चलने लग जाओ तो बहुत जल्दी पतन हो जाएगा इसलिए अभी से सावधान हो जाना चहिये। 

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यदि आप गलती करके स्वयं को सिद्ध करने का प्रयास करते हैं तो समय आपकी मुर्खता पर हँसेगा। 

सोमवार, 26 अगस्त 2013

                                           घरेलू नुस्खे                                   



एसिडिटी के लिए घरेलू नुस्खे –

• एसिडिटी होने पर कच्ची सौंफ चबानी चाहिए। सौंफ चबाने से एसिडिटी समाप्त हो जाती है। 

• जायफल तथा सोंठ को मिलाकर चूर्ण बना लीजिए। इस चूर्ण को एक-एक चुटकी लेने से एसिडिटी समाप्त होती है। 

• गुड़, केला, बादाम और नींबू खाने से एसिडिटी जल्दी ठीक हो जाती है। 

• लौंग एसिडिटी के लिए बहुत फायदेमंद है। एसिडिटी होने पर लौंग चूसना चाहिए। 

• एसिडिटी होने पर मुलेठी का चूर्ण या काढ़ा बनाकर उसका सेवन करना चाहिए। इससे एसिडिटी में फायदा होता है। 

• नीम की छाल का चूर्ण या रात में भिगोकर रखी छाल का पानी छानकर पीना चाहिए। ऐसा करने से अम्लापित्त या एसिडिटी ठीक हो जाता है। 

• एसिडिटी होने पर त्रिफला चूर्ण का प्रयोग करने से फायदा होता है। त्रिफला को दूध के साथ पीने से एसिडिटी समाप्त होती है। 

• दूध में मुनक्का डालकर उबालना चाहिए। उसके बाद दूध को ठंडा करके पीने से फायदा होता है और एसिडिटी ठीक होती है। 

• एसिडिटी के मरीजों को एक गिलास गुनगुने पानी में चुटकी भर काली मिर्च का चूर्ण तथा आधा नींबू निचोड़कर नियमित रूप से सुबह पीना चाहिए। ऐसा करने से पेट साफ रहता है और एसिडिटी में फायदा होता है। 

• सौंफ, आंवला व गुलाब के फूलों को बराबर हिस्से में लेकर चूर्ण बना लीजिए। इस चूर्ण को आधा-आधा चम्मच सुबह-शाम लेने से एसिडिटी में फायदा होता है। 

• एसिडिटी होने पर सलाद के रूप में मूली खाना चाहिए। मूली काटकर उसपर काला नमक तथा कालीमिर्च छिडककर खाने से फायदा होता है। 

• कच्चे चावल के 8-10 दानों को पानी के साथ सुबह खाली पेट गटक लीजिए। 

• अदरक और परवल को मिलाकर काढा बना लीजिए। इस काढे को सुबह-शाम पीने से एसिडिटी की समस्या समाप्त होती है। 

• सुबह-सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीने से एसिडिटी में फायदा होता है। 

• नारियल का पानी पीने से एसिडिटी की समस्या से छुटकारा मिलता है। 

• पानी में पुदीने की कुछ पत्तियां डालकर उबाल लीजिए। हर रोज खाने के बाद इन इस पानी का सेवन कीजिए। एसिडिटी में फायदा होगा। 

सीमा के भीतर असीम प्रकाश

    सीमा के भीतर असीम प्रकाश












स्वामी जी के अनुसार -मनुष्य कों भुत और भविष्य की चिंता नहीं करनी चहिये। वर्तमान ठीक करना हैं। वर्तमान ठीक होगा भूत  और भविष्य दोनों ठीक हो जाएँगे। वर्तमान ही भूत बनता हैं और भविष्य वर्तमान में ही आता हैं। इसलिए अपना वर्तमान जीवन शुद्ध बनाओ। वर्तमान ठीक होगा' सावधानी से 'ऐसी  सावधानी रखो कि कोई काम शास्त्र विरुद्ध ,धर्म विरुद्ध,मर्यादा विरुद्ध न हो। वर्तमान मैं निर्भय ,नि:शंक ,नि :शोक और   निश्चिन्त रहो। जितने संत हुए हैं ,उन्होंने वर्तमान ही ठीक किया हैं ,भूत -भविष्य की चिंता नहीं की हैं। अभी हम जो कार्य करते हैं ,उसका भविष्य में क्या परिणाम होगा -ऐसा विचार करना भी वर्तमान ठीक करने के लिए हैं। 

ध्यान दें

ध्यान दें 






अहंकार से मानव में वे सारे लक्षण आ जाते हैं ,जिससे वह अप्रिय बन जाता हैं। फिर भी वह यह सोचता नही है। अगर आप ईमानदारी से यह विचार मंथन करें लें कि मैं कहाँ गलत हूँ और तुरंत सुधार कर लें, तो ज्यादा समय नही लगेगा, सबके दिल में आप फिर सेअपनी जगह बना लेंगे।जो व्यवहार आपको पसंद नहीं है वह व्यवहार आप दूसरों के साथ करके केसे सोच सकते है कि सब आपको पसंद करेंगे।ध्यान दें।
।।जय श्री राधे।।





शुक्रवार, 23 अगस्त 2013

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परमात्मा गुणों के सागर हैं। यदि आप किसी विकार की अग्नि में जल रहें हैं ,तो उस सागर में डुबकी लगाइये। 

गुरुवार, 22 अगस्त 2013

हृदय रोग का घरेलू उपचार

              हृदय रोग का घरेलू उपचार




       दिल के रोगों में बचाए यह सब्जियाँ

भोजन में अनेक ऐसी वस्तुएँ हैं, जिन्हें प्रतिदिन प्रयोग
करके हृदयरोग व हृदयाघात से बचा जा सकता है। ये हैं- प्याज
इसका प्रयोग सलाद 
के रूप में कर सकते हैं। इसके प्रयोग से रक्त का प्रवाह
ठीक रहता है। 

कमजोर हृदय होने पर जिनको घबराहट होती है या 
हृदय की धड़कन बढ जाती है, उनके लिए प्याज बहुत ही लाभदायक है।

 टमाटर- इसमें विटामिन सी, बीटाकेरोटीन, लाइकोपीन, विटामिन ए व पोटेशियम 
प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जिससे दिल की बीमारी का खतरा कम हो जाता है।

 लौकी- इसे घिया भी कहते हैं। इसके प्रयोग से कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य अवस्था में आना शुरू हो जाता है। ताजा लौकी का रस निकालकर पोदीना पत्ती-4 व तुलसी के 2 पत्ते डालकर दिन में दो बार 

पीना चाहिए।

 लहसुन- भोजन में इसका प्रयोग करें। खाली पेट सुबह के समय दो कलियाँ पानी के साथ भी निगलने से फायदा मिलता है। 


गाजर- बढ़ी हुई धड़कन को सामान्य करने के लिए गाजर बहुत ही लाभदायक है। गाजर का रस पिएँ, सब्जी खाएँ व सलाद के रूप में प्रयोग करें।

सद्गुण कैसे आयेगें

    सीमा के भीतर असीम प्रकाश






स्वामी रामसुखदास जी कहते हैं -एक मार्मिक बात हैं कि सभी सदगुण -सदाचार स्वभाविक हैं। हम समझते हैं कि अवगुणों को मिटाना व गुणों को लाना -ये दो काम हमे करने हैं ,पर वास्तव मे काम एक ही हैं ,और वो हैं अवगुणों को मिटाना। अवगुण मिटने पर अच्छे गुण अपने -आप ही आ जाएँगे ;क्योंकि जीव परमात्मा का अंश हैं। जेसे बीमारी छूटने से निरोगता स्वत :आती हैं ,ऐसे ही अवगुण छूटने से गुण स्वत: आएंगे। जब तक दुसरो की अपेक्षा अपने मैं विशेषता दिखती हैं ,तब तक समझना चाहिए अपने मैं गुणों का अभिमान हैं। 

भगवान को याद करने से अंत:करण स्वभाविक निर्मल होता हैं और अच्छी बाते पैदा होती हैं। थोड़ी -थोड़ी देर में कहते रहो कि 'हे नाथ ,मैं आप को भूलूँ नहीं !'हे मेरे प्रभु ,मैं आप को भूलूं नहीं !!फिर अपने आप सदगुण आएँगे। भगवान को याद करने से ,उनकी चर्चा करने से सदगुण ,सदाचार स्वभाविक आते हैं। 

संत- महात्माओ के संग से स्वभाविक सदगुण ,सदाचार  आते हैं। ,भगवान को पाने की भूख लगती हैं ,भगवान प्यारे लगते हैं ,भगवान की लीला अच्छी लगती हैं ,गंगाजल अच्छा लगता हैं ,भगवान से सम्बन्ध रखने वाली सब चीजें अच्छी लगती हैं। 

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शुभ विचार

ॐ परमातम्ने नम:





यदि हमारा पैर फिसल जाए तो हम संभल सकते हैं ,परन्तु जुबान फिसल 

जाए तो गहरा घाव कर देती हैं। इसलिए सावधान रहिये। 


बुधवार, 21 अगस्त 2013

घरेलू नुस्खे 

लकवा 



इस बीमारी में रोगी का आधा मुंह टेढ़ा हो जाता है। गर्दन टेढ़ी हो जाती है, मुंह से आवाज नहीं निकल पाती है। आँख, नाक, भौंह व गाल टेढ़े पड़ जाते हैं, फड़कते हैं और इनमें वेदना होती है। मुंह से लार गिरा करती है।

 राई, अकरकरा, शहद तीनों 6-6 ग्राम लें। राई और अकरकरा को कूट-पीसकर कपड़छन कर लें, और शहद में मिला लें। इसे दिन में तीन-चार बार जीभ पर मलते रहें। लकवा रोग दूर होगा।

 25 ग्राम छिला हुआ लहसुन पीसकर 200 ग्राम दूध में उबालें, खीर की तरह गाढ़ा होने पर उतारकर ठंडा होने पर खावें।

 सौंठ और उड़द उबालकर इसका पानी पीने से लकवा ठीक होता है। यह परीक्षित प्रयोग है।

 6 ग्राम कपास की जड़ का चूर्ण, 6 ग्राम शहद में मिलाकर सुहब शाम लेने से लाभ होता है।

 लहसुन की 5-6 काली पीसकर उसे 15 ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम लेने से लकवा में आराम मिलता है।


आज का शुभ विचार

 आज का शुभ विचार









जो चाहते हैं ,वह न हो और जो नहीं चाहते वो हो जाए -इसी को दुःख 
कहते हैं। यदि 'चाहते `और 'नहीं चाहते 'को छोड़ दे ,तो फिर दुःख हैं ही 
कहाँ !

सोमवार, 19 अगस्त 2013

आज का शुभ विचार

शुभ कामनाएँ 





जब परमात्मा पिता ,गुरु ,मार्ग दर्शक हैं तो तो दुनिया में किसी का भी डर नहीं। 


श्री गणेशाय : नम:


                                                                             घरेलू नुस्खे                                                                     



अनार का जूस घटा सकता है चर्बी................

* रोज एक गिलास अनार का जूस पीजिए। अनार का रस पेट पर जमी चर्बी तथा कमर पर टायर की तरह लटकते मांस को कम करने में मददगार साबित हो सकता है।


* अपच : यदि आपको देर रात की पार्टी से अपच हो गया है तो पके अनार का रस चम्मच, आधा चम्मच सेंका हुआ जीरा पीसकर तथा गुड़ मिलाकर दिन में तीन बार लें।


* प्लीहा और यकृत की कमजोरी तथा पेटदर्द अनार खाने से ठीक हो जाते हैं।


* दस्त तथा पेचिश में : 15 ग्राम अनार के सूखे छिलके और दो लौंग लें। दोनों को एक गिलास पानी में उबालें। फिर पानी आधा रह जाए तो दिन में तीन बार लें। इससे दस्त तथा पेचिश में आराम होता है।


* अनार कब्ज दूर करता है, मीठा होने पर पाचन शक्ति बढ़ाता है। इसका शर्बत एसिडिटी को दूर करता है।


* अत्यधिक मासिक स्राव में : अनार के सूखे छिलकों का चूर्ण एक चम्मच फाँकी सुबह-शाम पानी के साथ लेने से रक्त स्राव रुक जाता है।


* मुँह में दुर्गंध : मुँह में दुर्गंध आती हो तो अनार का छिलका उबालकर सुबह-शाम कुल्ला करें। इसके छिलकों को जलाकर मंजन करने से दाँत के रोग दूर होते हैं।


* अनार आपका मूड अच्छा करता है और साथ ही याददाश्त बढ़ाता है। तनाव से भी आपको निजात दिलाता है।


परमात्मा को कैसे दैखे?

          परमात्मा को कैसे दैखे?


प्रश्न - 
सब जगह परमात्मा हैं -हम सुन लेते हैं,कह देते हैं और देखने की चेष्टा करते हैं ,फिर भी परमात्मा दिखते नहीं। संसार दीखता हैं। हम क्या करें ,जिससे परमात्मा दिखने लग जाए ?


स्वामी जी -परमात्मा की प्राप्ति चाहते हो तो स्वार्थ बुद्धि और अभिमान का त्याग करके दूसरो की सेवा करो। इन दोनों के त्याग से ही वासुदेव : सर्वमं का अनुभव होने लगेगा। सबके प्रति सेवा भाव रखो तो भगवदबुद्धि हो जाएगी। जब भगवान दीखेंगे तो हम नम्र होंगे ,सबकी सेवा करेंगे ,तो अभी से सबकी सेवा करने लग जाओ ,तो भगवान दीख जाएँगे। आप अभिमान त्यागकर छोटे बनोगें तभी तो बड़े परमात्मा दिखेंगे। 

संसार में जितना पतन हो रहा हैं ,वह स्वार्थ बुध्दि के कारण हो रहा हैं। केवल कहने -सुनने से सबमे भगवद बुद्धि नहीं होंगी ,प्रत्युत सब सुखीं हो जाए `ऐसा भाव होने से सबमें  भगवदबुद्धि   होंगी।
(स्वामी रामसुखदास जी के श्री मुख से)

शुक्रवार, 16 अगस्त 2013

                                                     घरेलू नुस्खे                                                              


* उच्च रक्तचाप में लहसुन और शहद को लेने से रक्तचाप
सामान्य होता है।

*भुने हुए जीरे को सूंघने से जुकाम में छींके आना बंद
हो जाती हैं।

* पानी में जीरा को डालकर उबाल लें। फिर इसे छान लें।
इस छने पानी से स्नान करने पर खुजली मिटती है।

* हिचकी आने पर अदरक का टुकड़ा चूसे।

* राई के तेल में नमक मिलाकर मंजन करने से पायरिया से
निजात मिलती है।

* सूजन में राई का लेप लगाने से आराम मिलता है।

* सर्दियों में बादाम को रात में भिगो दें। सुबह घिसकर
दूध में डालकर पिएं। यह दिमाग और त्वचा के लिए फायदेमंद होता है।

* अमरूद खाने से कब्ज में फायदा होता है।

* प्याज के रस में नींबू का रस मिलाकर पीने से
उल्टिया आना बंद हो जाती हैं।

* अमरूद को काले नमक, जीरा और नींबू का रस मिलाकर
खाएं। इससे मुंह का जायका सुधरता है।

* भाग का नशा उतारने के लिए अमरूद खिलाना चाहिए।

* रोज सुबह खाली पेट एक चम्मच आवले का पाउडर
पानी में घोलकर पीने से कोलेस्ट्राल को नियंत्रित
करने में मदद मिलती है।

सीमा के भीतर असीम प्रकाश

                                                               सीमा के भीतर असीम प्रकाश 


पंचाम्रत में सबसे पहली बात हें -हम भगवान के हैं। जेसे शरीर माता-पिता दोनों का अंश हैं ,ऐसे ही शरीर प्रकृति का अंश हैं। शरीर पर हमारा स्वतंत्र अधिकार नहीं चलता ,फिर उसे अपना मानना सिवाय मुर्खता के और क्या है?
दूसरी बात हैं -हम जंहा भी रहते हैं ,भगवान के दरबार में रहते हैं। यहाँ जिस घर को हम अपना मानते हैं ,उस घर में हम सदा के लिए रह सकेगें ?
तीसरी बात -हम जो कुछ शुभ काम करते हैं ,भगवान का ही काम करते हैं। आप जो भी काम करें ,मन से भगवान का काम समझ कर करो। फिर आप को अलग से जप ,ध्यान ,आदि करने की जरुरत नहीं। 
चोथी बात -शुद्ध सात्विक जो भी पाते हो ,भगवान का ही प्रसाद पाते हो। भगवान के प्रसाद का बहुत भरी महत्व हैं। बड़े - बड़े धनी  भी प्रसाद का कण मात्र पाने के लिए हाथ फेलाते हैं। घर में जितनी वस्तु हैं सब में तुलसी दल रख कर भगवान के अर्पण कर दो। अब भोजन बनेगा तो भगवन का प्रसाद ही बनेगा। 
पाचवी बात -भगवान के दिए प्रसाद से भगवन के जनों की ही सेवा करते हैं। दुकान आदि में काम करते हैं तो भगवान का ही काम करते हैं। और उससे जो पैसा आता हैं ,वह भगवान का ही प्रसाद हैं।  
उपर्युक्त पंचाम्रत का सेवन करने से आपका जीवन महान  पवित्र हो जाएगा।,आप संत -महात्मा हो जाएँगे ,जीवन मुक्त हो जाएँगे।जेसे मछली जल की शरण में रहती हैं ;जल के बाहर नहीं रह सकती ,मर जाती हैं ,ऐसे ही आप निरंतर भगवान की शरण में रहो। 

स्वामी रामसुखदास जी के प्रवचनों का सार -                          

मंगलवार, 13 अगस्त 2013

                        अस्थमा के घरेलू उपचार               



 लहसुन दमा के इलाज में काफी कारगर साबित होता है। 30 मिली दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। 

अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है। सबेरे और शाम इस चाय का सेवन करने से मरीज को फायदा होता है।

दमा रोगी पानी में अजवाइन मिलाकर इसे उबालें और पानी से उठती भाप लें, यह घरेलू उपाय काफी फायदेमंद होता है। 4-5 लौंग लें और 125 मिली पानी में 5 मिनट तक उबालें। इस मिश्रण को छानकर इसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाएँ और गरम-गरम पी लें। हर रोज दो से तीन बार यह काढ़ा बनाकर पीने से मरीज को निश्चित रूप से लाभ होता है। 

180 मिमी पानी में मुट्ठीभर सहजन की पत्तियां मिलाकर करीब 5 मिनट तक उबालें। मिश्रण को ठंडा होने दें, उसमें चुटकीभर नमक, कालीमिर्च और नीबू रस भी मिलाया जा सकता है। इस सूप का नियमित रूप से इस्तेमाल दमा उपचार में कारगर माना गया है। 

अदरक का एक चम्मच ताजा रस, एक कप मैथी के काढ़े और स्वादानुसार शहद इस मिश्रण में मिलाएं। दमे के मरीजों के लिए यह मिश्रण लाजवाब साबित होता है। मैथी का काढ़ा तैयार करने के लिए एक चम्मच मैथीदाना और एक कप पानी उबालें। हर रोज सबेरे-शाम इस मिश्रण का सेवन करने से निश्चित लाभ मिलता है। 

सत्संग से लाभ

                       सीमा के भीतर असीम प्रकाश                                            



प्रशन -पूर्ण ज्ञानी की क्या पहचान हैं ?

स्वामी जी -अज्ञानी की पहचान तो हो सकती हैं ,पर ज्ञानी की पहचान होना कठिन हैं। कारण कि ज्ञानी की स्थिति स्वसंवेद्य  होती हैं। वह आप ही अपने को जानता हैं ,दूसरा उसको नहीं जान सकता। दूसरा केवल इतना जान सकता हैं कि वह अच्छे आदमी हैं।   

प्रश्न -असली सत्संग की क्या पहचान हैं ?

स्वामी जी -असली  सत्संग की यह पहचान हैं की बिना पूछे हमारी शंकाओ  का समाधान हो जाए। जो हमसे कभी कुछ नहीं चाहते ,चाहे वर्षो तक रात-दिन उनका सत्संग करे। जिस सत्संग से अपना संदेह दूर हो जाता हैं। ज्यों -ज्यों सत्संग करेगें ,त्यों -त्यों आपके संदेह दूर होते जाएगें। ऐसा सत्संग मिलने से लाभ जरुर होता हैं। असली उत्कंठा हो तो पाखंडी आदमी से भी लाभ हो जाता हैं,फिर असली संत मिल जाए तो फिर कहना ही क्या हैं। 

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हम समझते कम, समझाते ज्यादा हैं ,इसलिए सुलझते कम ,उलझते ज्यादा हैं। 





जब आप जीवन में सफल होतें हैं ,तो आपके दोस्तों को पता चलता हैं कि आप कौन है ;
जब आप जीवन में असफल होतें हैं ,तो आपको पता चलता हैं कि आपके दोस्त कौन थे। 











गुरुवार, 8 अगस्त 2013

घरेलू नुस्खे 


वज़न घटाने के घरेलू नुस्‍खे


 हरे सलाद से वज़न कम 
टमाटर और पुदीने की पत्ती युक्त सलाद खाने से शरीर में वसा की मात्रा कम होती है
 पानी से मोटापे पर नियंत्रण
शरीर को अपने कार्य को ठीक प्रकार से करने के लिए खूब पानी की जरूरत होती है। इससे आपका शरीर भी ठीक रहता है और पानी पीने से मोटापे पर भी नियंत्रण रखता है
 गरम पानी से मोटापे पर नियंत्रण
हर बार खाना खाने के बाद गरम पानी पीयें इससे पाचन तंत्र ठीक प्रकार से काम करता है और शरीर मै मौजूद अतिरिक्त वज़न कम होता है
 हरी चाय या अदरक की चाय पीने से मोटापा नियंत्रित
हरी चाय या अदरक की चाय पीने से मोटापा नियंत्रित होता है। इसलिए दिन में एक बार हरी चाय या अदरक की चाय ज़रूर पीयें

टमाटर से मोटापा नियंत्रित
सुबह एक टमाटर खाने से कालेस्ट्राल का लेवल ठीक रहता है और शरीर में मौजूद वसा भी कम होती है
 गडूची से वसा नियंत्रित
मोटापे को नियंत्रित करने के लिए गडूची एक प्रभावित तरीका है। इससे शरीर मे मौजूद वसा कम होती है
 एलोवेरा खाकर वज़न नियंत्रित
एलोवेरा के पत्तों के सेवन से वज़न नियंत्रित होता है। इसलिए एलोवेरा का सेवन रोज़ करना चाहिए। 
 सेब साइडर सिरके से वज़न नियंत्रित
सेब साइडर सिरके के सेवन से वज़न नियंत्रित होता है

सुभाषित विचार

सुभाषित विचार




भगवान ने मनुष्य शरीर दिया हैं तो साथ में विवेक रूपी गुरु भी दिया हैं। इसलिए आपका गुरु आपके साथ हैं। यह वहम हैं कि गुरु होगा तो ज्ञान देगा। गुरु ज्ञान देता नहीं हैं अपितु आप में जो ज्ञान हैं उसे जाग्रत करता हैं।  

                                         सीमा के भीतर असीम प्रकाश                                    


प्रश्न-श्रोता -संसार में जो कुछ हो रहा हैं ,भगवान की मर्जी  से हो रहा हैं;अत: हम जो भी कार्य करते हैं,भगवान की मर्जी से करते हैं। इसलिए हमे पाप पुण्य नहीं लगने चाहिये।



स्वामीजी - एक करना होता हैं ,एक होना होता हैं। ये दो अलग -अलग विभाग हैं ज़ेसे ,आप व्यापार  करते हैं ,पर नफा-नुकसान आप करते नहीं बल्कि नफा -नुकसान हो जाता हैं। करना मनुष्य के हाथ में हैं ,होना भगवान के हाथ में  हैं। भगवान करते हैं अथवा करवाते हैं ,यह बात हैं ही नहीं। यदि ऐसा होता तो गुरु ,शास्त्र,शिक्षा ,उपदेश सब निर्थक होते।  अत: भगवान की मर्जी से होता हैं ,भगवान करते नहीं हैं। 
करने का पाप लगता हैं ,होने का पाप-पुण्य नहीं लगता। भगवान पाप नहीं कराते अपितु कामना ही पाप कराती हैं। भोगो की इच्छा के कारण ही मनुष्य पाप अन्याय करता हैं।  




बुधवार, 7 अगस्त 2013

कलयुग किसके लिए खराब होता है?

सीमा के भीतर असीम प्रकाश 



आजकल मैं एक संत श्री रामसुखदास जी की पुस्तक सीमा के भीतर असीम प्रकाश पढ़ रहीं हूँ  मुझे अच्छी लगी और मैं चाहती हूँ आप सब के साथ इन अनमोल वचनों को शेयर करूँ।   
सबसे कीमती धन हैं समय।  समय लगाने से धन मिलता हैं ,परन्तु धन लगाने से समय नहीं मिलता।  अगर धन लगाने से समय मिलता तो धनी  आदमी नहीं मरते ;क्योंकि पैसे देकर वे अपनी उम्र खरीद लेते।  परन्तु ६० वर्षो में जो धन कमाया हैं ,उसके बदले ६० मिनट भी समय नहीं मिलता।  ऐसे अमूल्य समय को भगवान के भजन में और संसार की सेवा में लगाना चाहिए, नहीं तो सब समय चला जाएगा और मिलेगा कुछ नहीं। जो भगवान के भजन में समय लगाते हैं ,वहीँ चतुर आदमी हैं। दूसरे का धन लेने में और दूसरे का मन खीचने में तो वेश्या भी चतुर होती हैं। 

विचार करें ,आज दिन तक जितना समय चला गया ,उसमे हमने अध्यात्मिक उन्नति कितनी की हैं ?इसमें लोग कलयुग को दोष देते हैं ,पर वास्तव में कलयुग उनके लिए खराब हैं ,जो भजन नहीं करते। भजन करने वालो के लिए कलयुग बहुत लाभदायक हैं। ॐ 

शुभ विचार

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मनुष्य में जो विशेषता  आती हैं ,वह भगवान से ही आती हैं। अगर भगवान में विशेषता न होती तो मनुष्य में  केसे आती।  जो विशेषता बीज में नहीं होंगी ,तो वृक्ष में केसे आएगी।  



यदि कोई सिर्फ और सिर्फ मुझको देखता है और मेरी लीलाओं को सुनता है और खुद को सिर्फ मुझमें समर्पित करता है तो वह भगवान तक पंहुच जायेगा.



शुक्रवार, 2 अगस्त 2013

                                          घरेलू नुस्खे                                    



क्रोध भगाएँ

anger
appleदो पके मीठे सेब बिना छीले प्रातः खाली पेट चबा-चबाकर खाने से गुस्सा शान्त होता है। पन्द्रह दिन लगातार खायें। थाली बर्तन फैंकने वाला और पत्नि और बच्चों को मारने पीटने वाला क्रोधी भी क्रोध से मुक्ति पा सकेगा।
जिन व्यक्तियों के मस्तिष्क दुर्बल हो गये हो और जिन विद्यार्थियों को पाठ  याद नहीं रहता हो तो इसके सेवन से थोड़े ही दिनों में दिमाग की कमजोरी दूर होती है और स्मरण शक्ति बढ़ जाती है। साथ ही दुर्बल मस्तिष्क के कारण सर्दी-जुकाम बना रहता हो, वह भी मिट जाता है।

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