प्रभु के सभी नाम परम कल्याण कारक है। राम,कृष्ण ,हरि,नारायण ,दामोदर ,शिव, खुदा ,जीसस ,वाहे गुरु आदि नामों की बड़ी महिमा है। भगवान को किसी भी नाम से पुकारो ,वे सबकी भाषा समझते है। पुकारने वाले मे श्रद्धा और विशवास होना चाहिए। पुकारने वाले को यह बात ध्यान होनी चाहिए कि मेै भगवान को पुकार रहा / रही हूँ। फिर नाम चाहे कोई भी हो । जल,पानी ,नीर,वाटर आदि कुछ भी पुकारने पर उसे जल ही मिलेगा ।इतना होने पर भी साधक को जिस नाम मे विशेष रुचि ,प्रेम, विशवास हो ,उसके लिए वही लाभप्रद होता है। राम और कृष्ण मे कोई अन्तर नही है जैसे तुलसीदास जी को 'राम 'नाम प्रिय है और सुरदास जी को 'कृष्ण' नाम।
इसलिए भगवान के किसी भी नाम का जप ,किसी भी काल,किसी भी निमित्त से,किसी के भी द्वारा ,केैसे भी किया जाए वह परम कल्याण करने वाला है।
यह शरीर बहुत ही दुर्लभ है और नाशवान और सुखरहित है।
दुर्लभ इसलिए है क्योंकि इस शरीर से ही परम कल्याण हो सकता है। केवल मनुष्य योनि ही है जिसे जप करने का लाभ मिलता है और वो कर भी सकता है।
(परम श्रद्धेय श्री जयदयालजी गोयन्दका )