शिव स्तुति-2
शंकर के समान दानी कहीं नहीं है। वे दीन दयालु है, देना ही उनके मन भाता है। मांगने वाले उन्हें सदा सुहाते हैं। वीरों में अग्रणी कामदेव को भस्म करके फिर बिना ही शरीर जगत में उसे रहने दिया, ऐसे प्रभु का प्रसन्न होकर कृपा करना मुझसे क्योंकर कहा जा सकता है? करोड़ों प्रकार से योग की साधना करके मुनि गण जिस परम गति को भगवान हरि से मांगते हुए सकुचाते हैं, वही परम गति त्रिपुरारी शिवजी की पुरी काशी में कीट पतंगे भी पा जाते हैं। यह वेदों से प्रकट है। ऐसे परम उदार भगवान पार्वती पति को छोड़कर जो लोग दूसरी जगह मांगते मांगने जाते हैं, उन मूर्ख मांगने वालों का पेट भलीभांति कभी नहीं भरता।।