रक्षा बंधन : भाई-बहन के प्रेम का पर्व और इसका आध्यात्मिक महत्व
रक्षा बंधन 2025: भाई-बहन का प्रेम व धार्मिक महत्व
भाई-बहन के रिश्ते का सबसे प्यारा और पवित्र पर्व है रक्षाबंधन। यह सिर्फ एक धागा नहीं, बल्कि स्नेह, विश्वास और सुरक्षा का वादा है, जो बहन अपने भाई की कलाई पर बांधती है।
रक्षा बंधन 2025 का पर्व कब है, इसका पौराणिक महत्व, पूजा विधि व आध्यात्मिक संदेश – जानिए इस त्योहार का सम्पूर्ण अर्थ।
रक्षा बंधन का महत्व और इसकी आध्यात्मिक भावना
हर वर्ष श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाने वाला रक्षा बंधन भाई-बहन के प्रेम, विश्वास और रक्षा-संवेदनाओं का प्रतीक पर्व है। यह केवल एक रक्षासूत्र बांधने का आयोजन नहीं, बल्कि एक गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संदेश देने वाला त्यौहार है।
🪻 रक्षा बंधन 2025 में कब है?
रक्षा बंधन 2025 को 9 अगस्त, को मनाया जाएगा। शुभ मुहूर्त में राखी बांधने से जीवन में प्रेम, सौहार्द और सुरक्षा का भाव प्रबल होता है।
🌼 रक्षा बंधन का पौराणिक आधार
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श्रीकृष्ण और द्रौपदी कथा:
जब श्रीकृष्ण के हाथ में चोट लगी, द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा बांधा। कृष्ण ने उसे ‘रक्षा’ का वचन दिया। यही रक्षाबंधन का आध्यात्मिक बीज है। -
इन्द्राणी और इन्द्र देव:
देवासुर संग्राम में इन्द्राणी ने इन्द्र की कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधा, जिससे इन्द्र की विजय हुई। यह सूचक है कि रक्षा बंधन आत्मबल और देव कृपा से रक्षा का पर्व है।
🌿 रक्षा बंधन की पूजा विधि
- श्रावण पूर्णिमा के दिन प्रातः स्नान कर पवित्र होकर पूजा करें।
- थाली में राखी, चावल, दीपक और मिठाई रखें।
- भाई की आरती करें, तिलक लगाएं और राखी बांधकर मिठाई खिलाएं।
- भाई बहन को उपहार देकर रक्षा का संकल्प करता है।
🪔 आध्यात्मिक भावार्थ
‘रक्षा बंधन’ केवल भाई-बहन तक सीमित नहीं है। यह हर जीव के प्रति रक्षा-संवेदना का संदेश देता है। यह अहिंसा, स्नेह और कर्तव्यबोध का पर्व है। यह रिश्तों की गरिमा को बढ़ाने का माध्यम है।
🌸 रक्षा सूत्र का मंत्र:
“ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वां प्रतिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥”
इस मंत्र के साथ बांधी गई राखी दिव्य शक्ति का आवाहन करती है।
📿 निष्कर्ष
रक्षा बंधन एक पारिवारिक पर्व है, परंतु इसका संदेश संपूर्ण समाज के लिए है – कि हम सभी एक-दूसरे की रक्षा और सम्मान में बंधे रहें। यह प्रेम, सेवा और समर्पण का सूत्र है।