श्राद्ध क्या है?
पितृपक्ष श्राद्ध की सरल विधि
श्राद्ध (श्रद्ध + अ) का अर्थ है — श्रद्धा और आस्था के साथ किया गया कर्म।
श्राद्ध एक धार्मिक कर्मकांड है जो मुख्य रूप से पितरों (पूर्वजों) की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए किया जाता है। यह विशेष रूप से पितृपक्ष (भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन अमावस्या तक के 16 दिन) में किया जाता है।
श्राद्ध का उद्देश्य
- पितरों को स्मरण और तृप्त करना – अन्न, जल और तिल अर्पित करके।
- पितृ ऋण से मुक्ति – हमारे ऊपर तीन ऋण बताए गए हैं – देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण। श्राद्ध से पितृ ऋण की पूर्ति होती है।
- परिवार की उन्नति और सुख-शांति – मान्यता है कि पितर प्रसन्न होने पर परिवार को आशीर्वाद देते हैं।
श्राद्ध में क्या किया जाता है
- आचमन, संकल्प और पूजा।
- पितरों को जल (तर्पण), तिल और पिंड (चावल के लड्डू) अर्पण।
- ब्राह्मणों को भोजन व दान देना।
- गाय, कुत्ते और कौवे को भोजन कराना, क्योंकि इन्हें पितरों का प्रतीक माना गया है।
श्राद्ध का महत्व
- हिंदू धर्म में विश्वास है कि देहांत के बाद आत्मा सूक्ष्म लोक में रहती है और पिंडदान तथा तर्पण से उसे शांति और तृप्ति मिलती है।
- श्राद्ध से पितर प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद, समृद्धि और आयु प्रदान करते हैं।
मैं आपको पितृपक्ष में श्राद्ध करने की सरल विधि स्टेप-बाय-स्टेप बता देती हूँ, ताकि आप घर पर भी श्रद्धा से कर सकें:
🕉 पितृपक्ष श्राद्ध की सरल विधि
1. तैयारी
- सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
- पूजा स्थान को स्वच्छ करें और वहाँ कुशा (यदि उपलब्ध हो), जल का पात्र, तिल, चावल, पुष्प, धूप-दीप रखें।
- पूर्वजों का स्मरण करें (जैसे— पिता, दादा, माता आदि)।
2. संकल्प
हाथ में जल, तिल और अक्षत (चावल) लेकर संकल्प करें:
"मैं अपने पितरों की तृप्ति के लिए यह श्राद्ध कर रहा/रही हूँ।"
3. तर्पण
- एक पात्र में जल लें।
- उसमें तिल और कुश डालें।
- सूर्य की ओर मुख करके पितरों के नाम का उच्चारण करें और तीन बार जल अर्पित करें।
(उदाहरण: "ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः")
4. पिंडदान (यदि संभव हो)
- उबले चावल के छोटे-छोटे लड्डू (पिंड) बनाएँ।
- तिल, पुष्प और घी मिलाकर पितरों के नाम से अर्पित करें।
5. ब्राह्मण भोजन / दान
- परंपरा है कि ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दी जाए।
- यदि संभव न हो तो गरीब, गौ, गाय, कौआ, कुत्ते या जरूरतमंद को भोजन दें।
6. पितरों को स्मरण
- अंत में दीप जलाकर प्रार्थना करें:
"हे पितृगण! आप इस अन्न-जल से तृप्त हों और हमें आशीर्वाद दें।"
👉 आसान तरीका (अगर विधि-विधान संभव न हो)
अगर सब कर्मकांड करना कठिन लगे, तो केवल तिल और जल से तर्पण और गाय, कुत्ते, कौवे को भोजन कराना भी पितरों को तृप्त करता है।