🌸 राधा कुंड प्राकट्य कथा (अहोई अष्टमी विशेष)
✨ परिचय
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी, जिसे हम अहोई अष्टमी के रूप में जानते हैं, केवल मातृ व्रत का दिन ही नहीं, बल्कि भक्ति जगत का एक दिव्य पर्व भी है।
इसी दिन श्रीधाम वृंदावन के समीप गोवर्धन पर्वत के पाद में स्थित राधा कुंड और श्याम कुंड का प्राकट्य हुआ था।
यह स्थान इतना पवित्र है कि स्वयं श्रीकृष्ण ने इसे “तीर्थराज” की उपाधि दी।
🌺 कथा – राधा कुंड और श्याम कुंड का प्राकट्य
एक बार श्रीकृष्ण ने अरीष्टासुर नामक असुर का वध किया। यह असुर बैल के रूप में आया था और श्रीकृष्ण ने धर्म की रक्षा के लिए उसका संहार किया।
किन्तु जब वे गोपियों के बीच गए, तो उन्होंने कहा —
“कृष्ण! तुमने बैल का वध किया है। बैल गोवंश में आता है, इसलिए तुम अपवित्र हो गए हो। पहले प्रायश्चित्त करो।”
तब श्रीकृष्ण मुस्कुराए और बोले —
“यदि यह पाप है, तो मैं अभी सभी पवित्र तीर्थों को यहीं बुलाकर स्नान करूंगा।”
ऐसा कहते हुए उन्होंने अपने पग से भूमि पर प्रहार किया। उसी क्षण सभी पवित्र तीर्थ वहाँ प्रकट हो गए और जल का एक अद्भुत सरोवर बन गया — यही श्याम कुंड कहलाया।
यह देखकर श्रीमती राधारानी और उनकी सखियाँ बोलीं —
“हम भी अपना कुंड बनाएंगी, जो आपसे श्रेष्ठ होगा।”
उन्होंने अपने कंगन और बालों की पिन से भूमि खोदनी प्रारंभ की, और शीघ्र ही एक दूसरा कुंड बना लिया। श्रीकृष्ण ने अपने तीर्थों से जल भर दिया, और वह स्थान राधा कुंड के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
🕉️ तिथि और आध्यात्मिक महत्व
यह दिव्य घटना कार्तिक कृष्ण अष्टमी (अहोई अष्टमी) के दिन हुई थी।
इसलिए यह दिन न केवल अहोई माता व्रत के लिए, बल्कि राधा-कृष्ण भक्ति के साधकों के लिए भी अत्यंत पवित्र माना गया है।
- इस दिन राधा कुंड में स्नान करने से सहस्रों जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।
- भक्तजन इस दिन रात्रि में दीपदान और जप-कीर्तन करते हैं।
- कहा गया है कि राधा कुंड दर्शन मात्र से ही मनुष्य प्रेममय भक्ति को प्राप्त करता है।
🌼 भावार्थ
राधा कुंड हमें यह सिखाता है कि प्रेम और भक्ति का संगम ही परम पवित्रता है।
भगवान श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं —
“राधा कुंड मेरे लिए भी प्रिय है, जो भक्त राधा कुंड का दर्शन करता है, वह मुझे अत्यंत प्रिय होता है।”
इसलिए अहोई अष्टमी के दिन केवल व्रत या स्नान ही नहीं, बल्कि राधारानी के चरणों में प्रेमपूर्ण स्मरण ही सच्चा पूजन है।
🌷 निष्कर्ष
अहोई अष्टमी का दिन दोहरा आशीर्वाद लेकर आता है —
एक ओर मातृत्व की मंगलकामना, और दूसरी ओर राधा-कृष्ण प्रेम की प्राप्ति।
इस दिन यदि मन से “राधा राधा” जपा जाए, तो जीवन में शांति, सौभाग्य और भक्ति का अमृत स्वयं बरसने लगता है।
🪔 जय श्री राधे कृष्णा 🪔