/ "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: जनवरी 2017

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शुक्रवार, 6 जनवरी 2017

विचारों को पवित्र कैसे बनाएं

                    विचारो को पवित्र बनाने के उपाय


बिना विचारे जो करे , सो पाछे पछिताय। 
काम बिगारै आपनो  , जग में होय हंसाय।।

                                 -गिरिधर कविराय 
किसी भी कार्य को करने से पहले उसके परिणाम को भलीभांति सोच ले।यह अच्छी तरह विचार कर ले  कि आपने जो उपाय सोचे हैं उसका परिणाम शुभ होगा कि  नहीं। बिना विचार किये ऐसा कोई कार्य न करे जिससे बाद में पछताना पड़े। 

विचारो को पवित्र बनाने के लिए सबसे पहले आपकी संगति शुद्ध होनी चाहिए , क्योंकि हमारी संगत या हमारा संग पवित्र व् सात्विक , धार्मिक विचारो वाला होगा तभी हमारा व्यवहार भी वैसा ही बन जायेगा और हमारे विचार भी पवित्र ही हो जायेंगे। 

हमारे विचार हमारे खान -पान पर भी निर्भर करते हैं ,संत हमेशा इसी बात पर जोर देते हैं कि आप जब भी भोजन करे , अपने प्रभु को अर्पित करके ही ग्रहण करे। जब आप प्रसादरूपी भोजन को ग्रहण करेंगे तो आप के विचार भी स्वयं पवित्र हो जायेंगे। 

हम जो भी सुने या श्रवण करे वो धार्मिक हो, religious हो ,या फिर ऐसी पुस्तक हो जो हमे शुद्ध मार्ग की और लेकर जाये न कि  हमारे विचारो को ,हमारे व्यवहार को कलुषित करदे। हम स्वयं हमारी नजरों में न गिर जाएँ। अतः हम जो भी सुने , पढे  वो भी सात्विक होना आवश्यक हैं। 
कहने का तात्पर्य यह हैं कि अपने विचारों को पवित्र बनाने के लिए बहुत जरुरी हैं की हम अपनी आँखों से अच्छा देखे अपने प्रभु को देखे , कान से जो भी सुने वो हमारे प्रभु की सुन्दर लीला या सुन्दर  विचारधारा को ही सुने.अपने मुख से जो भी बोले वो पवित्र, सूंदर , मीठा , निर्मल ही बोले। मन को अपने काबू में रखे। मन चंचल होता हैं उसे हर समय खींच  कर सात्विक विचारों की और लाना पड़ता हैं। धीरे -धीरे मन शुद्ध हो जायेगा और विचार भी शुद्ध व् पवित्र हो जायेगें। 
जय श्री राधे।।

aaj ka shubh vichar

                                                                                                 आज का शुभ विचार

                   व्यर्थ कर्म भारीपन व थकान लाते  हैं जबकि श्रेष्ठ कर्म हमे प्रसन्न व हल्का बनाकर ताजगी प्रदान करते हैं। 
इसलिए हमेशा श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए ताकि हम प्रसन्न रहें।            

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