/ "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: अप्रैल 2015

यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 27 अप्रैल 2015

 भागवत धर्म केसे अपनाये

                         भागवत धर्म को अपनाने के लिए क्या करे !




जहाँ -जहाँ भगवान ने भगवत प्राप्ति के लिए अपने श्री मुख से जो भी उपाय बताये हैं ,उन्ही का नाम हैं भागवत धर्म । भागवत धर्म माने भगवान की भक्ति ।ये ऐसा सरल मार्ग हैं कि  इस पर कमजोर से कमजोर ,अनपढ़ से अनपढ़  आदमी आँख मुंद कर चल पड़ेगा तो गिरेगा नहीं और वो रास्ता भी नहीं भूलेगा ।वो भटकने वाला नहीं हैं ।गो स्वामीजी कहते हैं -

तुलसी सीताराम भजु दृढ़ राखहु विश्वास ।
कबहुं  बिगड़त न सुने श्री रामचन्द्र के दास ।।

इसमें कुछ विशेष नहीं करना पड़ता ।जो कुछ आप करते रहे हो वो सब आप कर सकते हो ।खाना -पीना ,बाल -बच्चे ,घर ,मकान । लेकिन यह समझ करके कि यह प्रभु का काम हैं और प्रभु के लिए हैं ।मैं जो कुछ कर रहा हूँ अपने प्रभु के लिए कर रहा हूँ ।उनकी प्रसन्नता के लिए कर रहा हूँ ।
भगवान के अतिरिक्त कही भी मन इधर -उधर ले जाएगा ,भटकायेगा तो उसे भय होगा ,गिरने का डर रहेगा ।भगवान की भक्ति करने वाला ,भगवत धर्म का पालन करने वाला प्रभु के नाम ,रूप ,गुण ,लीला आदि को कानो से सुनते हैं ,वाणी से गायन करते हैं और गाते समय उन्हें किसी बात की चिंता नहीं होती कि कोई उनपर हँसेगा ।उनमे कोई बनावट नहीं होती ।ये भगवान के भक्तो के लक्षण हैं ।भक्ति करते -करते उनकी दृष्टि इतनी परिमार्जित हो जाती हैं कि  जहाँ भी दृष्टि जाए सब जगह उन्हें भगवान  ही भगवान नजर आते हैं ।
भक्ति करने से क्या होता हैं ?जैसे भोजन करने से क्षुधा  की निवृति हो जाती हैं स्वाद से तुष्टि होती हैं ,रस से पुष्टि होती हैं ,कमजोरी दूर होती हैं ।ऐसे ही भगवान की भक्ति करने से संसार से वैराग्य होता हैं ,प्रभु के स्वरूप का बोध होता हैं ,सबके प्रति प्रेम की दृढ़ता आती हैं ।
भगवान के धर्म का पालन करने वाले कितनी तरह के भक्त होते हैं ? तब हरिजी बताते हैं भक्त तीन तरह के होते हैं -उत्तम भक्त ,मध्यम भक्त ,प्राकृत भक्त ।
उत्तम भक्त वो हैं जो सबमे भगवान की सत्ता का अनुभव करे ।जैसे श्री प्रह्लाद जी से पूछा गया की तुम्हारे भगवान कहाँ हैं ?वे बोले -
       
             हममे ,तुममे ,खड़ग खम्भ में ,घट -घट व्यापत  राम ।।
मध्यम भक्त वो होते हैं जो समस्त चेतना को चार भागो में विभक्त करदे वो मध्यम श्रेणी में आता हैं और बाकि तीसरी श्रेणी के भक्त कहलाते हैं ।उत्तम भक्त के लक्षण भी बतलाये गए हैं -शेष कल !        …।             जय श्री राधे !

गुरुवार, 23 अप्रैल 2015

जीवन में परम कल्याण कैसे हो ?

  जीवन में परम कल्याण कैसे       हो ?



एक बार श्री कबीरजी रोने लगे और उनके पुत्र श्री कमालजी  हंसने लग गए ।कबीर जी ने पूछा -बेटा तू हँस क्यों रहा हैं ? कमालजी  बोले -पिताजी ! पहले आप बताइए  कि  आप रो क्यों रहे हैं ? कबीर जी बोले -

  चलती चक्की देख के दिया कबीरा रोय ।
दो पाटन  के बीच में ,साबुत बचा न कोय।।

एक चक्की चल रही  हैं ,और इसमें जो भी पड़ा वो पिस  गया ,यही देख कर रोना आया ।कमाल बोलें -
  (वही) 
 चलती चक्की देख कर हँसा  कमाल ठठाय ।
 कील सहारे जो रहे ,सो कैसे पिस  जाए ।।

चक्की के दो पाट  होते हैं और ऊपर  वाला पाट  उठाकर  देखे तो बीच वाली  मोटी    
कील के चार- छः अंगुल इर्द -गिर्द वाला अनाज सुरक्षित रहता हैं ।इन दोनों का भाव गोस्वामी श्री तुलसीदास जी ने एक दोहे में बताया -
 माया चक्की कीलहरि,जीव चराचर नाज। तुलसी जो उबरो चहे ,कील  शरण को भाज ।।

माया की चक्की हैं ।माया की चक्की रूपी दो पाट  हैं ,एक विद्या और एक अविद्या ।बीच में जो   कील  हैं ,जिसके सहारे चक्की घूमती हैं वे भगवान हैं ।जीव अनाज हैं।जो जीव माया रूपी चक्की में पड़  गया ,वह पीस डाला गया।लेकिन माया रूपी चक्की में पड़ने के बाद भी जो जीव भगवान रूपी कील से चिपके रह गए ,उनको माया रूपी चक्की नहीं पीस सकती।उदहारण  के लिए -रावण के एक लाख पूत और सवा लाख नाती थे ,ये भगवान से विमुख हो गए और इनको चक्की ने पीस दिया।
तो रावण घर दिया न बाती और विभीषण जी भगवान रूपी कील से चिपके रह गए शरणागत हो करके ,तो श्री विभीषणजी को  माया रूपी कील नहीं पीस सकी ।
द्वापर के अंतिम चरण में दुर्योधन को गुमान था ,हम सौ भाई हैं।सौ को पीस डाला माया ने,क्योंकि वो भगवान से विमुख हो गए थे और पांच पांडव भगवान श्री कृष्ण  रूपी  कील से चिपके रह गए ,इसलिए सुरक्षित रहे ।
इस प्रकार से जो भगवान से सलंग्न रहेंगे, चिपके रहेंगे ,उसी का नाम हैं उपासना ।"उप" समीप के अर्थ में और "आसना "स्थिति के अर्थ में।जो भगवान के समीप स्थित रहेगा उसका माया कुछ नहीं बिगाड़ सकती।ये परम कल्याण का स्वरूप बताया भागवत धर्म में ।(संत मामाजी महाराज के द्वारा श्री मद भागवत का सरस विवेचन के एकादश अध्याय में से लिया गया कुछ अंश )
जय श्री राधे !

सोमवार, 13 अप्रैल 2015

महाभारत की कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां


                  महाभारत की महत्वपूर्ण जानकारियां

              




पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम हैं -
1. युधिष्ठिर 2. भीम 3. अर्जुन
4. नकुल। 5. सहदेव

( इन पांचों के अलावा , महाबली कर्ण भी कुंती के ही पुत्र थे , परन्तु उनकी गिनती पांडवों में नहीं की जाती है )

यहाँ ध्यान रखें कि… पाण्डु के उपरोक्त पाँचों पुत्रों में से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन
की माता कुन्ती थीं ……तथा , नकुल और सहदेव की माता माद्री थी ।

वहीँ …. धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र…..
कौरव कहलाए जिनके नाम हैं -
1. दुर्योधन 2. दुःशासन 3. दुःसह
4. दुःशल 5. जलसंघ 6. सम
7. सह 8. विंद 9. अनुविंद
10. दुर्धर्ष 11. सुबाहु। 12. दुषप्रधर्षण
13. दुर्मर्षण। 14. दुर्मुख 15. दुष्कर्ण
16. विकर्ण 17. शल 18. सत्वान
19. सुलोचन 20. चित्र 21. उपचित्र
22. चित्राक्ष 23. चारुचित्र 24. शरासन
25. दुर्मद। 26. दुर्विगाह 27. विवित्सु
28. विकटानन्द 29. ऊर्णनाभ 30. सुनाभ
31. नन्द। 32. उपनन्द 33. चित्रबाण
34. चित्रवर्मा 35. सुवर्मा 36. दुर्विमोचन
37. अयोबाहु 38. महाबाहु 39. चित्रांग 40. चित्रकुण्डल41. भीमवेग 42. भीमबल
43. बालाकि 44. बलवर्धन 45. उग्रायुध
46. सुषेण 47. कुण्डधर 48. महोदर
49. चित्रायुध 50. निषंगी 51. पाशी
52. वृन्दारक 53. दृढ़वर्मा 54. दृढ़क्षत्र
55. सोमकीर्ति 56. अनूदर 57. दढ़संघ 58. जरासंघ 59. सत्यसंघ 60. सद्सुवाक
61. उग्रश्रवा 62. उग्रसेन 63. सेनानी
64. दुष्पराजय 65. अपराजित
66. कुण्डशायी 67. विशालाक्ष
68. दुराधर 69. दृढ़हस्त 70. सुहस्त
71. वातवेग 72. सुवर्च 73. आदित्यकेतु
74. बह्वाशी 75. नागदत्त 76. उग्रशायी
77. कवचि 78. क्रथन। 79. कुण्डी
80. भीमविक्र 81. धनुर्धर 82. वीरबाहु
83. अलोलुप 84. अभय 85. दृढ़कर्मा
86. दृढ़रथाश्रय 87. अनाधृष्य
88. कुण्डभेदी। 89. विरवि
90. चित्रकुण्डल 91. प्रधम
92. अमाप्रमाथि 93. दीर्घरोमा
94. सुवीर्यवान 95. दीर्घबाहु
96. सुजात। 97. कनकध्वज
98. कुण्डाशी 99. विरज
100. युयुत्सु

( इन 100 भाइयों के अलावा कौरवों की एक बहनभी थी… जिसका नाम""दुशाला""था,
जिसका विवाह"जयद्रथ"सेहुआ था )

"श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में-

ॐ . किसको किसने सुनाई?
उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई।

ॐ . कब सुनाई?
उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई।

ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई?
उ.- रविवार के दिन।

ॐ. कोनसी तिथि को?
उ.- एकादशी

ॐ. कहा सुनाई?
उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।

ॐ. कितनी देर में सुनाई?
उ.- लगभग 45 मिनट में

ॐ. क्यू सुनाई?
उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए।

ॐ. कितने अध्याय है?
उ.- कुल 18 अध्याय

ॐ. कितने श्लोक है?
उ.- 700 श्लोक

ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है?
उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है।

ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा
और किन किन लोगो ने सुना?
उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने

ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था?
उ.- भगवान सूर्यदेव को

ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है?
उ.- उपनिषदों में

ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....?
उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है।

ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है?
उ.- गीतोपनिषद

ॐ. गीता का सार क्या है?
उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना

ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है?
उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574
अर्जुन ने- 85
धृतराष्ट्र ने- 1
संजय ने- 40.

अपनी युवा-पीढ़ी को गीता जी के बारे में जानकारी पहुचाने हेतु इसे ज्यादा से ज्यादा शेअर करे। धन्यवाद

अधूरा ज्ञान खतरना होता है।

33 करोड नहीँ 33 कोटी देवी देवता हैँ हिँदू
धर्म मेँ।

कोटि = प्रकार।
देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है,

कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता।

हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं...

कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे :-

12 प्रकार हैँ
आदित्य , धाता, मित, आर्यमा,
शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष,
सविता, तवास्था, और विष्णु...!

8 प्रकार हे :-
वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।

11 प्रकार है :-
रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक,
अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी,
रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली।

एवँ
दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार।

कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी

                  जय श्री राधे 

Featured Post

हमारा सफर - श्री राम से श्री कृष्ण और कलयुग में

  हमारा सफर - श्री राम से श्री कृष्ण और कलयुग में भी जारी श्री राम का घर छोड़ना एक षड्यंत्रों में घिरे राजकुमार की करुण कथा है और कृष्ण का घ...