ॐ सह नाववतु का भावार्थ-
ॐ सह नाववतु ।सह नौ भुनक्तु सह वीर्य करवावहै । तेजस्वी नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ।।
ॐ वह प्रसिद्ध परमेश्वर हम शिष्य और आचार्य दोनों की साथ-साथ रक्षा करें। हम दोनों को साथ साथ विद्या के फल का भोग कराए। हम दोनों एक साथ मिलकर वीर्य यानी विद्या की प्राप्ति के लिए सामर्थ्य प्राप्त करें। हम दोनों का पढा हुआ तेजस्वी हो, हम दोनों परस्पर द्वेष ना करें।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः (कृष्ण यजुर्वेद)
ॐ सह नाववतु ।सह नौ भुनक्तु सह वीर्य करवावहै । तेजस्वी नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ।।
ॐ वह प्रसिद्ध परमेश्वर हम शिष्य और आचार्य दोनों की साथ-साथ रक्षा करें। हम दोनों को साथ साथ विद्या के फल का भोग कराए। हम दोनों एक साथ मिलकर वीर्य यानी विद्या की प्राप्ति के लिए सामर्थ्य प्राप्त करें। हम दोनों का पढा हुआ तेजस्वी हो, हम दोनों परस्पर द्वेष ना करें।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः (कृष्ण यजुर्वेद)