प्रार्थना एक ओंकार का भावार्थ-
एक ओंकार सतनाम कर्ता पुरूष निर्भऊ निर्वैर
अकाल मूरत अजूनी सैभं गुरुप्रसाद जप।
आदि सच, जुगादि सच, है भी सच ,
नानक होसी भी सच। वाहेगुरु।।
परमात्मा एक है।उसका नाम सत्य है, अर्थात वह सदा स्थिर और एक रस है ।सृष्टि का कर्ता है, निर्भय और निवैंर है, उसका स्वरूप काल से परे है, वह समय के चक्र में कभी नहीं आता - मृत्यु, रोग और बुढ़ापा उसके लिए नहीं है ।वह अजन्मा है, स्वयंभू है ,पथ-प्रदर्शक है और कृपा की मूर्ति है ।
हे मनुष्य ! तू उसे जप।
एक ओंकार सतनाम कर्ता पुरूष निर्भऊ निर्वैर
अकाल मूरत अजूनी सैभं गुरुप्रसाद जप।
आदि सच, जुगादि सच, है भी सच ,
नानक होसी भी सच। वाहेगुरु।।
परमात्मा एक है।उसका नाम सत्य है, अर्थात वह सदा स्थिर और एक रस है ।सृष्टि का कर्ता है, निर्भय और निवैंर है, उसका स्वरूप काल से परे है, वह समय के चक्र में कभी नहीं आता - मृत्यु, रोग और बुढ़ापा उसके लिए नहीं है ।वह अजन्मा है, स्वयंभू है ,पथ-प्रदर्शक है और कृपा की मूर्ति है ।
हे मनुष्य ! तू उसे जप।
Positive thought ke saath he itni anand-bhanand-bhari prayer ka anuvaad! Waah!
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