/ "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: जनवरी 2016

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शनिवार, 30 जनवरी 2016

मन्त्र प्रयोग के द्वारा रोग और गृह क्लेश को दूर करने के उपाय

मंत्र प्रयोग के द्वारा रोग  व क्लेश को दूर करने के उपाय





(ब्रह्मलीन अन्नत श्री विभू षित गोवर्धन पी ठा धीश्वर जगदगुरु स्वामी श्री निरंजनदेव तीर्थ जी   महाराज )

अच्युताय नमः ,अनन्त्ताय नमः ,गोविन्दाय नमः -

इस मंत्र का निरंतर जप करने से हर प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं। जब तक रोग न मिटे ,श्रद्धा पूर्वक जप करते रहे। यह अनुभूत प्रयोग हैं। 

वाराणस्यां दक्षिणे तु  कुक्कुटो नाम वै द्विजः। 
तस्य स्मरणमात्रेण दुःस्वप्नह सुखदो भवेत्।।

यदि किसी को बुरे स्वप्न आते हैं तो रात्रि में हाथ पैर धोकर शांत चित्त से पूर्वमुख आसन पर बैठकर प्रतिदिन इस मन्त्र का 108बार जप करे ,दुःस्वप्न बंद हो जायेंगे तथा उनके फल  भी अच्छे होंगे। 

या देवी सर्व भूतेषु शांति रूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जप करने से पारिवारिक कलह की निवृत्ति होगी। 

गुरुवार, 28 जनवरी 2016

संसार में कैसे रहे




मनुष्य का प्रथम कर्तव्य हैं कि  किसी भी कार्य को करने  से पहले अच्छी तरह से विचार कर ले। बिना  सोचे विचार किसी भी काम को न करे। कर्म का फल क्या मिलेगा यह पहले ही विचार  कर  लेना चाहिए। हम जो भी कार्य या कर्म करते हैं उसका  सिंह अवलोकन करना चाहिए। सिंह का स्वभाव होता हैं कि वह कुछ दूर चलता हैं फिर पीछे घूम कर देखता हैं। इसी प्रकार अब तक इतने दिनों तक हम  जो करते  आ रहें हैं  उससे मुझे क्या लाभ मिला या क्या हानि हुई इस पर विचार कर ,जहाँ  अपने व्यवहार में विचार में त्रुटि हो उसे सुधार लेना चाहिए। अपने परिवार का पालन करने के लिए यदि हम झूठ ,पाप ,हिंसा का सहारा नहीं लेते तो ईश्वर हमारा हर समय ध्यान रखता हैं ,वो हमे कभी भी अकेला नहीं पड़ने देता। 

आज का शुभ विचार




आप अपनी सारी आशायें  
भगवान पर  छो ड़  दें ,तब किसी भी व्यक्ति से कोई  भी निराशा नही मिलेगी । 
।।जय सियाराम।।

गुरुवार, 21 जनवरी 2016

इस कलयुग में केवल भगवान का नाम ही बचा सकता है।

                                                                                                                     इस कलयुग में भगवन्न नाम महिमा


संसार में अनेक रोग हैं ,और उनकी अलग -अलग औषधियाँ हैं ,परन्तु राम नाम तो सभी रोगों की रामबाण औषधि हैं। शोक ,मोह ,लोभ आदि सभी रोगों के लिए एक राम नाम ही महा औषधि हैं।
कलियुग में नाम स्मरण करके ही दोषो से बचा जा सकता हैं। अन्यथा समय के प्रभाव से बचना कठिन हैं।
भगवान  के नाम , रूप , लीला और धाम ये चारों सच्चिंदानन्दमय हैं। एक को पकड़ने से चारों पकड़ में आ जाते हैं। सुलभ एवं शक्तिमान होने से नाम ही चारों में श्रेष्ठ हैं। नाम में लीला भरी हैं। राम में रामायण , कृष्ण नाम में भागवत पुराण स्थित हैं। नाम को पुकारने से रूप का आकर्षण होता हैं। नाम में धाम =तेज और धाम =लीला भूमि ये व्याप्त हैं। बट बीज में जैसे विशाल वृक्ष व्याप्त
उसी प्रकार नाम में सब कुछ हैं। नाम का आश्रय लेने से रूप , लीला , और धाम का आश्रय हो जाता हैं।
जन्म -जन्म के अशुभ संस्कारों को मिटाने के लिए निरन्तर नाम जप आदि साधन आवश्यक हैं। श्रेष्ठ नाम स्मरण  ही हैं। दूसरे साधन के योग्य हम नहीं हैं। आवश्यक काम करने के बाद या काम करते करते भी नाम जप का अभ्यास करते रहना चाहिए। 
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।
 हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।।

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