/ "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: मार्च 2014

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शुक्रवार, 28 मार्च 2014

why criticism takes place among human in order to achieve success

क्यों हर एक आदमी आगे बढ़ने के लिए अपने साथ वाले को नीचे गिराने कि कोशिश करता हैं। 

आजकल हमारे देश मे यह बहुत देखने को मिल रहा हैं कि हर एक नेता या उससे जुड़े लोग अपने आप को no. one दिखाने के होड़  में अपने competitor  को नीचा दिखाने में कोई कमी नहीं छोड़ रहा हैं। आखिर ऐसा क्यों ?क्या हमारे अंदर वो काबलियत नहीं हैं कि हम दूसरे कि बुराई किये बिना ही आगे बढ़ सकें। क्यों हमे अपने को अच्छा साबित करने के लिए  सामने वाले की  कमियाँ बतानी पड़ती हैं। क्या हमने इतनी गलतियाँ कर रखीं हैं कि हम direct किसी से वोट पाने  कि उम्मीद नहीं कर सकते, और अगर सच में हम इस लायक नहीं हैं कि बिना मांगे वोट नहीं मिलने वाला, तो इंसानियत इसी में होनी चाहिए कि उस को नेता बनने के लिए आगे नहीं आना चाहिए। उसके साथयों को जो उसकी  गलत तारीफो के पुल बांध रहें हैं उन्हें भी यह सोचना चाहिए कि वह गलत नेता बनाकर ना सिर्फ इस देश का नुकसान करते हैं बल्कि indirect  वह अपना व अपने परिवार के लिए भी असुरक्षित माहौल बना लेंते हैं,और यह तो आजकल नेताओ के बीच में हो रहा हैं ,पर यह स्थिति हर field में हैं चाहे वो एक business man हो या कोई player हो ,चाहे student हो या कोई रिश्ता हो। हर कोई एक दूसरे को नीचे गिराने में लगा हैं। आखिर क्यों ?

क्या सभी नेता लोग एक साथ मिलकर बिना किसी स्वार्थ के देश को आगे नहीं बढ़ा सकते जिससे हमारा देश सच का हिंदुस्तान कह लाए। 

कोई अगर इस प्रश्न का उत्तर दे सकता हैं तो मुझे इसका जवाब चाहिए। 

शनिवार, 15 मार्च 2014

होली 


 


चल होली खेंले यार 
चल ख्वाब रँगे इस बार 
चल रूठो को मनाए ,चल बिछड़ो को आज़ मिलाए  
दुखी मन को आज़ हंसाए ,चल होली खेले यार  
हर रंग का हैं कुछ मतलब ,हर रंग कुछ कहता हैं  
चल प्रेम की करे बोछार ,थोड़ा लाल रंग लो यार  
चल होली खेले ----------- 
पूरे देश को शिक्षित कर दो,थोड़ा पीला रंग लो यार 
हर एक मॅ साधुता जाए ,थोड़ा नारंगी रंग लो यार  
चल होली खेले --------- 
हर रंग का हैं जब कुछ मतलब ,तो सातो रंग की करो बोछार  
चल होली खेले यार ,चल ख्वाब रंगे इस बार . 

मंगलवार, 11 मार्च 2014

कर्म और केवल कर्म ही आपका कल्याण कर सकता है।

कर्म योग

अगर आप अपना कल्याण चाहते हैं तो केवल भगवान के साथ सम्बन्ध जोड़ो। दूसरा कोई भी सम्बन्ध कल्याण करने वाला नहीं हैं। संत महात्मा भी भगवान के साथ सम्बन्ध जोड़ते हैं। माता -पिता ,स्त्री -पुत्र ,भाई भोजाई और भतीजे -इतना सम्बन्ध खास कुटुम्ब हैं। इनमे भी आप भगवान को ही देखे। भगवान का सम्बन्ध सदा से हैं और सदा ही रहने वाला हैं ,आप स्वीकार करे या न करे ,आप सदा से भगवान के ही हैं। इसमें संदेह न करे गीता के १५/७ में लिखा हैं आप भगवान से अलग नहीं हो सकते। भगवान में भी इतनी ताकत नहीं कि वे आपसे अलग हो जाए !

आप भगवान कि वस्तु को भी अपना मानते हैं ,पर भगवान को अपना नहीं मानते यही भूल हैं। 

अपने स्वार्थ का त्याग करके दुसरो के हित के लिए कर्म करने से कर्मयोग होता हैं। सबका हित चाहने वालो का हित स्वयं होता हैं। सबका हित चाहने वाला घर बेठे ही महात्मा हो जाता हैं। 

अनुचित कर्म करने से प्रकृति कुपित हो जाती हैं। प्रकृति बहुत बलवान हैं। वह कुपित हो जाए तो मनुष्य उसका सामना नहीं कर सकता। 

अनुचित कर्म करने वाले के चित में शांति ,निर्भयता नहीं रहती। रावण के नाम से त्रिलोकी डरती थी ,पर वही रावण जब सीता जी की  चोरी करने जाता हैं तो वह भी डरता हैं। यदि मनुष्य संसार के ,भगवान के ,गुरुजनो के विरुद्ध काम न करें तो वह सदा निर्भय रहता हैं। कर्मयोगी को भय नहीं लगता। 

स्वामी रामसुखदास जी के श्री मुख से। 
ॐ तत्सत।।

गुरुवार, 6 मार्च 2014

puja for girls who are facing marriage problem

कन्या के शीघ्र विवाह का अनुष्ठान 


अधिकतर संभ्रांत परिवारो के लोगो को अपनी कन्या के विवाह के लिए विशेष प्रयत्न करने पर भी दहेज़ आदि समस्याओ के कारण तथा अन्य किसी और कारण से विवाह नहीं हो पाता और कन्या भीदुःखी हो जाती हैं और वह उपाय पूछती हैं। 
इसके लिए कन्याओ के द्वारा यह अनुष्ठान करना चाहिए इस में जो ऊपर चित्र दिया गया हैं उस का प्रतिदिन चंदन पुष्प आदि से पूजन करके नीचे लिखे मन्त्र कि 11 माला का जप करना चाहिए। 11 न हो सके तो 5 माला का ,और 5 भी न हो सके तो कम -से -कम 1 माला का जप तो जरुर करना चाहिए और सच्चे ह्रदय से माँ से प्रार्थना करते हुए नीचे लिखी हुई चौपाइयों का पाठ करना चाहिए। श्रद्धा -भक्तिपूर्वक करने पर इस प्रयोग से शीघ्र सफलता मिलती हैं। तथा विवाहिक जीवन सुखी होता हैं -
मंत्र यह हैं -

"He Gauri Shankarardhangi! Yatha Tvam Shankarpriya Tatha maam Kuru Kalyani! Kantkaantam Sudurlabhaam" 
प्रतिदिन इसका एक बार पाठ अवश्य करे -
जय -जय गिरिराज किशोरी। जय महेश मुख चंद चकोरी।।
जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता।।
नहि तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहि जाना।।
भव भव बिभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि।।
पतिदेवता सुतीय महुँ मातु प्रथम तव रेख। 
महिमा अमित न सकहिं कहिं सहस सारदा सेष।।
सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायनी पुरारी पिआरि।।
देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे।।
मोर मनोरथ जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबहीं कें।।
कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहिं। अस कहिं चरन गहे बैदेहीं।।
बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी।।
सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोलि गौरी हरषु हियँ भरेऊ।।
सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजहि मनकामना तुम्हारी।।
नारद बचन सदा सुचिं साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा।।
मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर साँवरो। 
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो।।
एहि भाँति गौरी असीस सुनि सिय सहित हियँ हरषीं अली।।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली।।
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि। 
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे।।

उपरोक्त विधि द्वारा पूरे विश्वास के साथ हमे प्रार्थना करनी चाहिए बाकि उसे पूरा करना या न करना सिर्फ हमारी माँ के हाथ में हैं। लकिन वो हम सबकी जगत जननी माँ हैं तो वो जो भी करेगी उसमे ही हमारी भलाई छुपी होगी।
(कल्याण के द्वारा )

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