/ google.com, pub-1197897201210220, DIRECT, f08c47fec0942fa0 "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: कर्म और केवल कर्म ही आपका कल्याण कर सकता है।

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मंगलवार, 11 मार्च 2014

कर्म और केवल कर्म ही आपका कल्याण कर सकता है।

कर्म योग

अगर आप अपना कल्याण चाहते हैं तो केवल भगवान के साथ सम्बन्ध जोड़ो। दूसरा कोई भी सम्बन्ध कल्याण करने वाला नहीं हैं। संत महात्मा भी भगवान के साथ सम्बन्ध जोड़ते हैं। माता -पिता ,स्त्री -पुत्र ,भाई भोजाई और भतीजे -इतना सम्बन्ध खास कुटुम्ब हैं। इनमे भी आप भगवान को ही देखे। भगवान का सम्बन्ध सदा से हैं और सदा ही रहने वाला हैं ,आप स्वीकार करे या न करे ,आप सदा से भगवान के ही हैं। इसमें संदेह न करे गीता के १५/७ में लिखा हैं आप भगवान से अलग नहीं हो सकते। भगवान में भी इतनी ताकत नहीं कि वे आपसे अलग हो जाए !

आप भगवान कि वस्तु को भी अपना मानते हैं ,पर भगवान को अपना नहीं मानते यही भूल हैं। 

अपने स्वार्थ का त्याग करके दुसरो के हित के लिए कर्म करने से कर्मयोग होता हैं। सबका हित चाहने वालो का हित स्वयं होता हैं। सबका हित चाहने वाला घर बेठे ही महात्मा हो जाता हैं। 

अनुचित कर्म करने से प्रकृति कुपित हो जाती हैं। प्रकृति बहुत बलवान हैं। वह कुपित हो जाए तो मनुष्य उसका सामना नहीं कर सकता। 

अनुचित कर्म करने वाले के चित में शांति ,निर्भयता नहीं रहती। रावण के नाम से त्रिलोकी डरती थी ,पर वही रावण जब सीता जी की  चोरी करने जाता हैं तो वह भी डरता हैं। यदि मनुष्य संसार के ,भगवान के ,गुरुजनो के विरुद्ध काम न करें तो वह सदा निर्भय रहता हैं। कर्मयोगी को भय नहीं लगता। 

स्वामी रामसुखदास जी के श्री मुख से। 
ॐ तत्सत।।

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जय श्री राधे

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