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सोमवार, 13 अक्टूबर 2025

अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami)

                   अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) 

एक अत्यंत पवित्र व्रत है, जो मुख्य रूप से संतान की दीर्घायु, सुख और समृद्धि के लिए किया जाता है। यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, अर्थात दीपावली से लगभग 8 दिन पहले

नीचे विस्तार से इसकी जानकारी दी गई है 👇

🌙 अहोई अष्टमी का महत्व

अहोई अष्टमी का व्रत विशेषकर माताएँ अपने पुत्रों की लम्बी उम्र, स्वास्थ्य और सुख के लिए रखती हैं। पहले यह व्रत केवल पुत्रवती स्त्रियाँ करती थीं, परंतु अब कई महिलाएँ संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी करती हैं।

इस दिन माँ अहोई माता की पूजा होती है, जिन्हें अहोई भगवती, पार्वती माता का ही रूप माना गया है।

📅 2025 में अहोई अष्टमी की तिथि

  • तारीख: 13 अक्टूबर 2025
  • अष्टमी तिथि प्रारंभ: 13 अक्टूबर, सुबह 1:42 बजे
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 14 अक्टूबर, सुबह 4:10 बजे
  • पूजन का उत्तम समय: संध्या (सूर्यास्त के बाद सितारे दिखने तक)

🕉️ अहोई अष्टमी की कथा (कहानी)

बहुत समय पहले एक साहूकार था जिसकी सात पुत्रियाँ थीं। कार्तिक माह में वे अपनी झाड़ू लेकर जंगल में मिट्टी लाने गईं। वहाँ एक सिंहनी का बच्चा (सियार या शेर का शावक) गलती से मिट्टी निकालते समय मर गया। सिंहनी क्रोधित होकर साहूकार के घर पहुँची और बोली, “जिसने मेरे बच्चे को मारा है, मैं उसके बच्चे को ले जाऊँगी।”

धीरे-धीरे हर साल साहूकार के घर एक-एक करके बच्चे मरते गए। साहूकार दंपत्ति दुखी होकर तीर्थयात्रा पर निकल पड़े। अंत में जब उन्होंने एक साध्वी से कारण पूछा तो साध्वी ने कहा — “तुम कार्तिक कृष्ण अष्टमी को अहोई माता की पूजा करो, और सच्चे मन से क्षमा माँगो।”

उन्होंने वैसा ही किया और माता प्रसन्न हुईं। तब से उनके घर सुख-शांति लौट आई।

इसलिए इस व्रत में सिंहनी या सियार के बच्चे की आकृति बनाकर पूजा की जाती है।

🌸 व्रत की विधि

  1. सुबह स्नान कर संकल्प लें — “मैं अहोई माता का व्रत अपने बच्चों की दीर्घायु के लिए कर रही हूँ।”
  2. पूरा दिन निर्जला व्रत रखा जाता है (कुछ महिलाएँ जल या फल ग्रहण करती हैं)।
  3. शाम को सूर्यास्त के बाद अहोई माता की पूजा की जाती है।
  4. दीवार या कागज पर अहोई माता, सिंहनी (या बिल्ली) और सात संतानों का चित्र बनाएं।
  5. चित्र के सामने दीपक जलाएं, जल, दूध, हलवा-पूरी, सिंघाड़े और फल रखें।
  6. अहोई माता की कथा सुनें।
  7. सितारे (तारों) की पूजा करें — तारे को “संतान का प्रतीक” माना गया है।
  8. तारे को अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है।

🙏 अहोई माता की आरती

जय अहोई माता जय जय अहोई माता।
तुमको निशि दिन ध्यावत, हर विष्णु विधाता॥
सिंहवाहिनी वरदायिनी, माँ जगदंबा भवानी।
जो माँ तुम्हे ध्यावत है, पावे सुख-खजाना॥
जय अहोई माता जय जय अहोई माता॥

💫 व्रत के लाभ

  • संतान की रक्षा और लंबी आयु होती है।
  • घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य बढ़ता है।
  • माता पार्वती की कृपा बनी रहती है।
  • निष्काम भाव से व्रत करने पर संतान सुख की प्राप्ति भी होती है।

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जय श्री राधे

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