🌕 करवा चौथ पर चंद्रमा को जल क्यों चढ़ाया जाता है?
🔹 1. चंद्रमा “सौभाग्य और दीर्घायु” का प्रतीक है
हिंदू ज्योतिष में चंद्रमा मन, सौंदर्य, शीतलता और सौभाग्य का प्रतिनिधित्व करता है।
व्रत रखने वाली स्त्रियाँ मानती हैं कि —
"जैसे चंद्रमा अमर और शीतल है, वैसे ही मेरे पति का जीवन दीर्घ और सुखमय हो।"
इसलिए चंद्रमा को जल चढ़ाकर वे पति की दीर्घायु का आशीर्वाद माँगती हैं।
🔹 2. जल = शुद्ध भावना और अर्पण
जल हिंदू धर्म में सबसे पवित्र तत्व माना गया है।
जब जल चढ़ाया जाता है, तो उसका अर्थ होता है —
“मैं अपने मन, वचन और कर्म से चंद्रदेव को नमन कर रही हूँ।”
यह जल भावना और भक्ति का प्रतीक है — जैसे हम अपनी पवित्र नीयत चंद्रमा तक पहुँचा रहे हों।
🔹 3. चंद्रमा मन का कारक ग्रह है।
ज्योतिष के अनुसार, चंद्रमा मन और भावनाओं का स्वामी ग्रह है।
व्रत के पूरे दिन स्त्रियाँ संयम, श्रद्धा और प्रेम से अपने मन को स्थिर रखती हैं।
चंद्रमा को जल चढ़ाना, अपने मन को शुद्ध और शांत करने का संकेत है —
“अब मेरा मन संतुलित है, मैं अपने पति के मंगल और सुख के लिए प्रार्थना करती हूँ।”
🔹 4. कथा से संबंध – वेदवती और सावित्री का संकेत
करवा चौथ की पौराणिक कथा में भी चंद्रमा का महत्व है।
कथा के अनुसार, सावित्री ने अपने पति के जीवन के लिए यमराज से संघर्ष किया और चंद्रमा को साक्षी मानकर संकल्प लिया।
इसलिए चंद्रमा को जल चढ़ाना उस साक्षी देवता को नमन करने जैसा है।
🔹 5. खगोलिक (Scientific) कारण भी है
रात को जब महिलाएँ चाँद को छलनी से देखती हैं, तो वे एकाग्रता और ध्यान की अवस्था में होती हैं।
चंद्रमा की ठंडी किरणें मन को शांत और संतुलित करती हैं।
जल चढ़ाने का यह कार्य ध्यान और ऊर्जा का समन्वय करता है।
🌸 संक्षेप में:
करवा चौथ पर चंद्रमा को जल चढ़ाना
प्रेम, श्रद्धा, सौभाग्य और मानसिक शुद्धि का प्रतीक है।
यह चंद्रदेव से प्रार्थना है कि —
“मेरे पति का जीवन दीर्घ आयु हो,स्वस्थ रहे, उनको कोई कष्ट न हो।
इसी कामना की पूर्ति हो ,इसी विश्वास को अपने हृदय में रखकर वह निर्जल व्रत रखती है।❤️
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जय श्री राधे