सीमा के भीतर असीम प्रकाश
स्वामी जी के अनुसार -मनुष्य कों भुत और भविष्य की चिंता नहीं करनी चहिये। वर्तमान ठीक करना हैं। वर्तमान ठीक होगा भूत और भविष्य दोनों ठीक हो जाएँगे। वर्तमान ही भूत बनता हैं और भविष्य वर्तमान में ही आता हैं। इसलिए अपना वर्तमान जीवन शुद्ध बनाओ। वर्तमान ठीक होगा' सावधानी से 'ऐसी सावधानी रखो कि कोई काम शास्त्र विरुद्ध ,धर्म विरुद्ध,मर्यादा विरुद्ध न हो। वर्तमान मैं निर्भय ,नि:शंक ,नि :शोक और निश्चिन्त रहो। जितने संत हुए हैं ,उन्होंने वर्तमान ही ठीक किया हैं ,भूत -भविष्य की चिंता नहीं की हैं। अभी हम जो कार्य करते हैं ,उसका भविष्य में क्या परिणाम होगा -ऐसा विचार करना भी वर्तमान ठीक करने के लिए हैं।
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जय श्री राधे