/ "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: सद्गुण कैसे आयेगें

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गुरुवार, 22 अगस्त 2013

सद्गुण कैसे आयेगें

    सीमा के भीतर असीम प्रकाश






स्वामी रामसुखदास जी कहते हैं -एक मार्मिक बात हैं कि सभी सदगुण -सदाचार स्वभाविक हैं। हम समझते हैं कि अवगुणों को मिटाना व गुणों को लाना -ये दो काम हमे करने हैं ,पर वास्तव मे काम एक ही हैं ,और वो हैं अवगुणों को मिटाना। अवगुण मिटने पर अच्छे गुण अपने -आप ही आ जाएँगे ;क्योंकि जीव परमात्मा का अंश हैं। जेसे बीमारी छूटने से निरोगता स्वत :आती हैं ,ऐसे ही अवगुण छूटने से गुण स्वत: आएंगे। जब तक दुसरो की अपेक्षा अपने मैं विशेषता दिखती हैं ,तब तक समझना चाहिए अपने मैं गुणों का अभिमान हैं। 

भगवान को याद करने से अंत:करण स्वभाविक निर्मल होता हैं और अच्छी बाते पैदा होती हैं। थोड़ी -थोड़ी देर में कहते रहो कि 'हे नाथ ,मैं आप को भूलूँ नहीं !'हे मेरे प्रभु ,मैं आप को भूलूं नहीं !!फिर अपने आप सदगुण आएँगे। भगवान को याद करने से ,उनकी चर्चा करने से सदगुण ,सदाचार स्वभाविक आते हैं। 

संत- महात्माओ के संग से स्वभाविक सदगुण ,सदाचार  आते हैं। ,भगवान को पाने की भूख लगती हैं ,भगवान प्यारे लगते हैं ,भगवान की लीला अच्छी लगती हैं ,गंगाजल अच्छा लगता हैं ,भगवान से सम्बन्ध रखने वाली सब चीजें अच्छी लगती हैं। 

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जय श्री राधे

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