सीमा के भीतर असीम प्रकाश
प्रशन -पूर्ण ज्ञानी की क्या पहचान हैं ?
स्वामी जी -अज्ञानी की पहचान तो हो सकती हैं ,पर ज्ञानी की पहचान होना कठिन हैं। कारण कि ज्ञानी की स्थिति स्वसंवेद्य होती हैं। वह आप ही अपने को जानता हैं ,दूसरा उसको नहीं जान सकता। दूसरा केवल इतना जान सकता हैं कि वह अच्छे आदमी हैं।
प्रश्न -असली सत्संग की क्या पहचान हैं ?
स्वामी जी -असली सत्संग की यह पहचान हैं की बिना पूछे हमारी शंकाओ का समाधान हो जाए। जो हमसे कभी कुछ नहीं चाहते ,चाहे वर्षो तक रात-दिन उनका सत्संग करे। जिस सत्संग से अपना संदेह दूर हो जाता हैं। ज्यों -ज्यों सत्संग करेगें ,त्यों -त्यों आपके संदेह दूर होते जाएगें। ऐसा सत्संग मिलने से लाभ जरुर होता हैं। असली उत्कंठा हो तो पाखंडी आदमी से भी लाभ हो जाता हैं,फिर असली संत मिल जाए तो फिर कहना ही क्या हैं।
प्रशन -पूर्ण ज्ञानी की क्या पहचान हैं ?
स्वामी जी -अज्ञानी की पहचान तो हो सकती हैं ,पर ज्ञानी की पहचान होना कठिन हैं। कारण कि ज्ञानी की स्थिति स्वसंवेद्य होती हैं। वह आप ही अपने को जानता हैं ,दूसरा उसको नहीं जान सकता। दूसरा केवल इतना जान सकता हैं कि वह अच्छे आदमी हैं।
प्रश्न -असली सत्संग की क्या पहचान हैं ?
स्वामी जी -असली सत्संग की यह पहचान हैं की बिना पूछे हमारी शंकाओ का समाधान हो जाए। जो हमसे कभी कुछ नहीं चाहते ,चाहे वर्षो तक रात-दिन उनका सत्संग करे। जिस सत्संग से अपना संदेह दूर हो जाता हैं। ज्यों -ज्यों सत्संग करेगें ,त्यों -त्यों आपके संदेह दूर होते जाएगें। ऐसा सत्संग मिलने से लाभ जरुर होता हैं। असली उत्कंठा हो तो पाखंडी आदमी से भी लाभ हो जाता हैं,फिर असली संत मिल जाए तो फिर कहना ही क्या हैं।
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जय श्री राधे