कुंभ स्नान क्या होता है,इसका महत्व क्या है?
"कुंभ" एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है घड़ा या कलश। यह शब्द विभिन्न संदर्भों में उपयोग किया जाता है:
1. कुंभ मेला
कुंभ मेला भारत का एक विशाल धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है, जो चार स्थानों (हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक) पर 12 वर्षों के अंतराल पर आयोजित होता है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है।
2. ज्योतिष में कुंभ (राशि)
कुंभ भारतीय ज्योतिष में बारह राशियों में से एक राशि है। इसे अंग्रेज़ी में "Aquarius" कहते हैं। यह राशि शनि ग्रह द्वारा शासित मानी जाती है और इसका प्रतीक एक घड़ा लिए हुए व्यक्ति होता है।
3. संस्कृति और धार्मिक संदर्भ
धार्मिक अनुष्ठानों में कुंभ (कलश) का विशेष महत्व होता है। इसे शुभता, समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। पूजा-पाठ में जल से भरे कुंभ का उपयोग किया जाता है।
कुंभ स्नान कुंभ मेले के दौरान गंगा, यमुना, सरस्वती और गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में किया जाने वाला धार्मिक स्नान है। इसे हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व दिया जाता है। यह स्नान आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है।
महत्व:
- ऐसा माना जाता है कि कुंभ स्नान पापों से मुक्ति दिलाता है।
- यह आत्मिक और शारीरिक शुद्धि का प्रतीक है।
- धार्मिक मान्यता के अनुसार कुंभ स्नान के समय देवता और ऋषि भी इन नदियों में स्नान करने के लिए आते हैं।
कुंभ मेला स्थान और आयोजन:
कुंभ मेला भारत के चार पवित्र स्थानों पर आयोजित होता है:
- हरिद्वार: गंगा नदी
- प्रयागराज: त्रिवेणी संगम (गंगा, यमुना और सरस्वती)
- उज्जैन: शिप्रा नदी
- नासिक: गोदावरी नदी
स्नान तिथियों का महत्व:
कुंभ मेले के दौरान पवित्र स्नान तिथियां विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती हैं। इनमें मुख्य स्नान जैसे मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा, माघी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघ पूर्णिमा और महाशिवरात्रि होते हैं।
धार्मिक कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश को लेकर देवताओं और असुरों के बीच संघर्ष हुआ था। उस समय अमृत की कुछ बूंदें चार स्थानों (हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन, और नासिक) पर गिरीं, जिससे ये स्थान पवित्र माने गए।
प्रयागराज में महाकुंभ मेला 13 जनवरी 2025 से शुरू होकर 26 फरवरी 2025 तक आयोजित हो रहा है। इस दौरान कई प्रमुख शाही स्नान तिथियां हैं, जिनमें से कुछ पहले ही संपन्न हो चुकी हैं। आगामी शाही स्नान तिथियां निम्नलिखित हैं:
- बसंत पंचमी: 3 फरवरी 2025 (सोमवार)
- माघ पूर्णिमा: 13 फरवरी 2025 (गुरुवार)
- महाशिवरात्रि: 26 फरवरी 2025 (बुधवार)
महाशिवरात्रि के दिन, 26 फरवरी 2025, महाकुंभ का अंतिम शाही स्नान होगा, जिसके साथ मेले का समापन भी होगा।
हाल ही में, 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या के अवसर पर आयोजित शाही स्नान के दौरान अत्यधिक भीड़ के कारण एक दुखद घटना घटी।
यदि आप महाकुंभ मेले में शामिल होने की योजना बना रहे हैं, तो कृपया सुरक्षा निर्देशों का पालन करें और स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी की गई सलाह का ध्यान रखें।
144 साल से क्या तात्पर्य है?
जब समुद्र मंथन हुआ था तो वह 12 दिन तक चला था देवताओं का एक दिन हमारे 12 साल के बराबर होता है। इसलिए 12 दिन को अगर हम 12 से गुना करेंगे तो 144 आएगा। इसलिए 144 साल बाद यह वही तिथि है जब समुद्र मंथन हुआ था यह तिथि 144 साल बाद आती है।