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सोमवार, 23 मार्च 2020

(आध्यात्मिक बोध कथा)श्रेष्ठतम का सहारा ही श्रेष्ठ होता है

 जो सब में श्रेष्ठ हो का सहारा लेना है श्रेष्ठ होता है


बहुत सी भेड़ बकरियां जंगल में चरने गई । उनमें से एक बकरी चरते चरते एक लता में उलझ गई ।उसको उस लता में निकलने में बहुत देर लगी ,तब तक अन्य सब भेड़ बकरियां अपने घर पहुंच गयें। अंधेरा भी हो रहा था वह बकरी घूमते घूमते एक सरोवर किनारे पहुंची। वहां किनारे की गीली जमीन पर सिंह का एक चरण चिन्ह अंकित था ,उस चरण चिन्ह के शरण होकर उसके पास बैठ गई। रात में जंगली सियार, भेड़िया ,बाघ आदि प्राणी बकरी को खाने के लिए पास में आए तो, उस बकरी ने बता दिया कि पहले देख लेना कि मैं किसके शरण में हूं,, तब मुझे खाना वह चिन्ह को देखकर कहने लगे अरे यह तो सिंह के चरण चिन्ह है। जल्दी भागो यहां से,आ जाएगा तो हम को मार डालेगा। इस प्रकार सभी प्राणी भयभीत होकर भाग गए। अंत में जिसका चरण चिन्ह था, वह  आया और बकरी से बोला तू जंगल में अकेले कैसे बैठी है ।बकरी ने कहा यह चरण चिन्ह देख लेना, फिर बात करना। जिसका यह चरण चिन्ह है उसी के में शरण हुए बैठी हूं। सिंह ने कहा कि वह तो मेरा ही चरण चिन्ह है ,यह बकरी तो मेरे शरण हुई ।सिंह ने बकरी को आश्वासन दिया कि अब तुम डरो मत अराम से रहो। रात में जब  जल पीने के लिए हाथी आया तो उसने हाथी से कहा - "इस बकरी को अपनी पीठ पर चढ़ा लो, इसको जंगल में चरा कर लाया कर, पर हरदम अपनी पीठ पर ही रखा कर, नहीं तो तू जानता  नहीं कि मैं कौन हूंँ? मार डालूंगा!" सिंह की बात सुनकर हाथी थर थर कांपने लगा। उसने अपने सूडं से ऊपर चढ़ा लिया अब  बकरी निर्भय होकर, हाथी की पीठ पर बैठे-बैठे ही वृक्षों की ऊपर की कोंपलें ऊपर खाया करती, मस्त रहती।
 ऐसे ही जब मनुष्य भगवान की शरण हो जाता है उनके चरणों का सहारा ले लेता है। संपूर्ण प्राणियों से,विघ्न बाधाओं से निर्भय हो जाता है। उसको कोई भी भयभीत नहीं कर सकता । उसका कोई भी कुछ बिगाड़ नहीं सकता।
 जो जाजो जा को शरण रहे ताकहँ ताकि लाज।
 उल्टे जल मछली चले, ब्रह्माे जात गजराज।।

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जय श्री राधे

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