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शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021

इन नामों का श्रवण करने तथा पाठ करने से सब कार्य बिना किसी रुकावट के संपन्न हो जाते हैं।

              गणेश जी के 12 नामों का जप करने से लाभ

 इन नामों का श्रवण करने तथा पाठ करने से सब कार्य बिना किसी रुकावट के संपन्न हो जाते हैं।

सुमुख, एकदंत, कपिलो, गजकर्ण, लंबोदर, विकट, विघ्ननाशन, गणाधिप, धूम्रकेतु ,गणाध्यक्ष, भालचंद्र तथा गजानन।

 इन 12 नामों का जो भी विद्या, विवाह,ग्रह प्रवेश, यात्रा प्रस्थान, संग्राम या संकट के समय पाठ करता है अथवा सुनता है। उसके कार्य में कोई विघ्न उपस्थित नहीं होता है। सभी बाधाओं को शांत करने के लिए, श्वेत वस्त्र धारण करने वाले, चंद्रमा के समान श्वेत आभा वाले, चार भुजाओं को धारण करने वाले तथा प्रसन्न मुख मंडल  भगवान गणेश का ध्यान करना चाहिए जो मनुष्य प्रातकाल उठकर शोच, स्नानादि से निवृत हो, पवित्र होकर समाहित चित्त, श्रद्धा भक्ति से इन 12 नामों का पाठ करता है। उस व्यक्ति को कोई भी विघ्न बाधा नहीं पहुंचती।उसके सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं और अंत में वह मोक्ष को प्राप्त करता है। 

।।श्री गणेशा।।

सोमवार, 5 अप्रैल 2021

प्रभु इच्छा पर निर्भर रहने से क्या होता है?

                                    प्रभु इच्छा



हमको प्रभु इच्छा के अधीन रहना चाहिए। यह संसार का नियम है कि जिस वस्तु से सुख प्राप्त होता है उसी से दुख भी होता है। संसारी सुख के बदले संसारी दुख मिलता है। श्री कृष्ण के मिलन से गोपियों को दिव्य सुख मिला, फिर वियोग में उन्हें दिव्य दुख मिला। कृष्ण के विरह का दुख स्वर्गादि के सुखों की अपेक्षा अनंत गुना अधिक सुखप्रद है। अतः भक्तजन विरह की कामना करते हैं।

इस संसार में अपने ही प्रारब्ध के अनुसार सुख दुख प्राप्त होते हैं। परंतु भगवान का अनन्य भक्त सुख दुख में अपने इष्ट देव की कृपा का अनुभव करता है। हानि लाभ में दूसरों को कारण मान कर उनसे राग द्वेष नहीं करता है। जिसने आत्मसमर्पण किया है उसे निश्चिंत रहना चाहिए। प्रभु जैसे रखे उसी प्रकार रहकर सर्वेश्वर को धन्यवाद देना चाहिए।

भगवान की लीला सत्संग से क्या मिलता है?

                                   भक्ति में आनन्द             


  भगवान की लीला सत्संग से क्या मिलता है?


भगवान के प्रेमी जनों के सत्संग में जो भगवान की लीला कथाएं सुनने को मिलती हैं उनसे उन दुर्लभ ज्ञान की प्राप्ति होती है जिससे इस संसार के दुख निवृत हो जाते हैं। मन शांत हो जाता है। हृदय शुद्ध होकर आनंद का अनुभव करने लगता है। भक्ति योग प्राप्त हो जाता है।भगवान की ऐसी रसमई कथा का चस्का लग जाने पर भला कौन ऐसा है जो कथा में प्रेम ना करें। भगवान के गुण ऐसे मधुर हैं कि ज्ञानी लोगों को भी अपनी और खींच लेते हैं। ज्ञानी यानी आत्मज्ञानी कृष्ण रूप में मगन होते हैं। अन्य विषयों का ज्ञानी कृष्ण की ओर आकर्षित नहीं हो सकता है।

जय श्री राधे

 दादा गुरु गणेशदास भक्तमाली जी महाराज के श्री मुख से, परमार्थ के पत्र पुष्प में से।

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