ध्यान क्या है और इसे कैसे करें? – एक सरल मार्ग आत्मा से परमात्मा तक
भागदौड़ भरी दुनिया में शांति एक खोज बन चुकी है। शरीर थक जाता है, मन भटकता है, लेकिन आत्मा शांति चाहती है। इस खोज का सबसे सुंदर उत्तर है — ध्यान।
ध्यान वह सेतु है जो हमारी आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है। यह कोई धर्म या संप्रदाय नहीं, बल्कि एक अनुभूति है — स्वयं में उतरने की यात्रा।
📌 लेख की मुख्य हेडिंग्स:
🔹 1. ध्यान क्या है?
ध्यान का अर्थ है — "एकाग्र होकर अपने भीतर उतरना।"
यह कोई क्रिया नहीं, एक स्थिति है। जब मन शांत हो जाता है, विचार रुक जाते हैं, और आप स्वयं को अनुभव करते हैं — वही ध्यान है।
🔹 2. ध्यान के लाभ
- मानसिक शांति
- आत्म-साक्षात्कार की अनुभूति
- नकारात्मक विचारों से मुक्ति
- उच्च ऊर्जा और उत्साह
- ईश्वर से जुड़ाव का अनुभव
🔹 3. ध्यान करने का सरल तरीका
- एक शांत स्थान चुनें
- रीढ़ सीधी रखें, आँखें बंद करें
- साँसों पर ध्यान दें (श्वास आते-जाते देखें)
- कोई भी विचार आए, उसे जाने दें — सिर्फ "देखें"
- धीरे-धीरे 10 मिनट से शुरू करें
🔹 4. ध्यान में आने वाली सामान्य समस्याएं
- मन का भटकाव
- शरीर की बेचैनी
- नींद आना
- विचारों का तूफ़ान
➡️ इनसे घबराएँ नहीं — ये सामान्य हैं, अभ्यास से सब शांत होता है।
🔹 5. ध्यान को दिनचर्या में कैसे अपनाएं?
- सुबह उठकर 10 मिनट करें
- सोने से पहले 5 मिनट मौन रहें
- मोबाइल और शोर से दूर रहें
- नियमित समय तय करें
🙏 निष्कर्ष:
ध्यान कोई कर्म नहीं, यह आत्मिक जागरूकता की स्थिति है।
जब मन शांत हो और आत्मा जागृत — वहीं परमात्मा की अनुभूति होती है।
हर दिन कुछ क्षण अपने लिए, ईश्वर के लिए निकालें — ध्यान करें।
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जय श्री राधे