/ "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: जीवन की कीमत

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शुक्रवार, 22 अप्रैल 2016

जीवन की कीमत

                                                                                                             कीमती जीवन



एक दीन हीन  लकड़हारे को राजा ने देखा तो उसके मन में दया आ गयी। उसने लकड़हारे को चन्दन का बगीचा दे दिया। सोचा कि  चन्दन बेच कर धनी हो जायेगा और सुखी हो जायेगा। परन्तु उस लकड़हारे ने चन्दन की महिमा को नहीं जाना और उसको जलाकर कोयला बना कर बेचने लगा। बगीचे के तीन भाग उसने इसी तरह बेच दिए। सयोगवश एक दिन उसे राजा मिला ,उस दिन लकड़हारा कोयला बेचने जा रहा था तो उसे राजा ने देखा वो पहले की तरह दुखी और गरीब था। राजा ने हैरान  हो कर पूछा कि मेने तुम्हे इतना कीमती चन्दन का बगीचा दिया था तुमने उसे जला कर कोयला क्यों कर दिया ,तो उसने माफ़ी मांगी और बोला  की उसे चन्दन के महत्व का पता ही नहीं था इसीलिए उसने ऐसा कर दिया तो राजा ने  चन्दन के महत्व को बताया और शेष बचे बगीचे  का सदुपयोग  करने  को कहा।

हम भी अक्सर लकड़हारे की तरह गलती करते हैं और इस शरीर  रूपी चन्दन को व्यर्थ के कामनाओं ,इच्छाओं को पूरा करने के लिए जला कर कोयला कर देते हैं और फिर दुखी रहते हैं। किस्मत से राजा रूपी संत आकर इस जीवन की कीमत बता दे तो हम पहले सम्भल सकते हैं और इसका सदुपयोग  हो जाता हैं।

उसे मानकर बची हुई जो आयु हैं उसमे हम ईश्वर का भजन करे दुखियों की सहायता करे तो मनुष्य  जीवन सफल हो सकता हैं जिसमे हम प्रसन्न रहे और दूसरों को भी प्रसन्न रख सके इसी में मनुष्य जीवन की सफलता हैं। बुरे कर्म करके मन कभी प्रसन्न नहीं रह सकता। 

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जय श्री राधे

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