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सोमवार, 15 फ़रवरी 2016

संत भक्त महिमा एंव सत्संग

                                                    संत भक्त महिमा एंव सत्संग

                                                     



सत्संग का लाभ मिलता हैं तो धीरे धीरे मन में शांति आती  हैं अन्यथा प्रत्येक प्राणी तन ,मन ,धन और जन से दुखी दिखाई पड़ता हैं। संसार के सारे कार्य किसी के भी अनुकूल नहीं होते हैं। एक न एक प्रतिकूलता रहती हैं। अपने इष्ट देव में दृढ़ विश्वास रखने वाला जो शरण में हैं और जो सन्मुख हैं वही निश्चिन्त हैं और सुखी हैं। सत्य ,दया ,क्षमा और चोरी न करना आदि धर्म सभी वर्णो के धर्म हैं। जो दुसरो के व्यवहार से परेशान नहीं होते और अपने व्यवहार से किसी को परेशान  नहीं 
करते हैं वही संत हैं। तन ,मन ,धन से उपकार क र ने  वाले गृहस्थ जन महान हैं। मन की शुद्धि और लोगो के साथ व्यवहार में शुद्धि होने से लोक परलोक में पूर्ण निर्भयता प्राप्त होती हैं। 

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जय श्री राधे

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