महिषासुर मर्दिनी का हिंदी में अर्थ है "महिषासुर का वध करने वाली देवी"। यह देवी दुर्गा का एक प्रसिद्ध रूप है।
महिषासुर एक असुर (राक्षस) था, जो आधा भैंसा और आधा इंसान था। उन्हें अजेय माना जाता था, लेकिन उनके अत्याचारी भाषण में देवी दुर्गा की आराधना की बात कही गई थी। देवी दुर्गा ने महिषासुर से भीषण युद्ध करवाया और अंततः उसका वध कर दिया।
इसलिए, महिषासुर मर्दिनी देवी दुर्गा के उस रूप को कहा जाता है, जो अधर्म, अन्याय और अराजकता का अंत करता है और धर्म की स्थापना करता है।
महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम् (जिसकी शुरुआत "अयि गिरीनंदिनी" से होती है) में देवी दुर्गा की विभिन्न शक्तियों और गुणों का वर्णन है। इसमें देवी को महिषासुर का संहार करने वाली के रूप में पूजा जाता है। यह स्तोत्र उनके साहस, करुणा, मित्रता और उनकी सर्वव्यापकता की स्तुति है।
" अयि गिरिनन्दिनी" श्लोक का भावार्थ (मुख्य अर्थ):
अयि गिरिन्नन्दिनी नन्दितमेदिनी विश्वविनोदिनी नन्दिनुते।
गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनी विष्णुविलासिनी जिष्णुनुते।
भगवती हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनी भूरिकृते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनी रम्यकपर्दिनी शैलसुते॥
भावार्थ :
1. अयी गिरिदिनी नंदितामेदिनी: हे पर्वतराज हिमालय की पुत्री, आप पूरी पृथ्वी को आनंदित करने वाली हैं।
2. विश्वविनोदिनी नन्दिनुते: आप संपूर्ण ब्रह्माण्ड का कष्ट बढ़ाने वाली हैं, और ऋषि नंदी भी आपकी स्तुति करते हैं।
3. गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनी: आप महान पर्वत विंध्य के शिखरों पर निवास करने वाली हैं।
4. विष्णुविलासिनी जिष्णुनुते: आप भगवान विष्णु के साथ लीला करने वाली और विजयी लोगों द्वारा पूजित हैं।
5. भगवती हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि: हे भगवती, आप भगवान शिव के परिवार की शोभा बढ़ाने वाली हैं।
6. भूरिकुटुम्बिनी भूरिकृते: आप विशाल परिवार के नायक और महान कार्य की प्रेरणा देने वाली हैं।
7. जय जय हे महिषासुरमर्दिनी: हे महिषासुर का वध करने वाली, आपको बार-बार नमस्कार और वंदन है।
8. रम्यकपर्दिनी शैलसुते: हे सुंदर जटाओं वाले शिव की संगिनी और पर्वतराज की पुत्री, आप अद्भुत हैं।
संपूर्ण श्लोक का संदेश:
यह श्लोक देवी दुर्गा की शक्ति, करुणा और सौंदर्य का वर्णन करता है। यह समय भक्त अपनी भावना और श्रद्धा के साथ देवी से विश्व के दुखों को हरने, धर्म की स्थापना करने और अपने जीवन में शक्ति और शांति प्रदान करने की प्रार्थना करता है।
यह स्तोत्र देवी की महिमा, उनके संरक्षक स्वरूप और उनके सर्वव्यापक प्रभाव का गण है।
जय माँ
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जय श्री राधे