लेपाक्षी मंदिर
दक्षिण भारत का एक ऐतिहासिक और वास्तुकला की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मंदिर है, जो आंध्र प्रदेश राज्य के श्री सत्य साई ज़िले के लेपाक्षी गाँव में स्थित है। यह मंदिर भगवान वीरभद्र (भगवान शिव के उग्र रूप) को समर्पित है और 16वीं शताब्दी में बनाया गया था।
मुख्य विशेषताएँ:
1. झूलता स्तंभ (Hanging Pillar):
मंदिर के 70 खंभों में से एक खंभा ज़मीन को छूता नहीं है। यह स्तंभ ज़मीन से थोड़ा ऊपर झूलता है, और लोग इसके नीचे कपड़ा या कागज सरकाकर इस रहस्य को खुद अनुभव करते हैं। यह आज भी वास्तुकला की एक अनसुलझी पहेली है।
2. नागलिंग (Shiva under hooded snake):
यहाँ एक विशाल शिवलिंग है, जिसे सात फनों वाले नाग ने घेर रखा है। यह पत्थर से तराशा गया बेहद सुंदर और भव्य दृश्य है।
3. नंदी प्रतिमा:
मंदिर से लगभग 200 मीटर दूर भारत की सबसे बड़ी एकाश्म नंदी प्रतिमा (पत्थर से बनी एक ही मूर्ति) स्थित है। यह नंदी, भगवान शिव के वाहन के रूप में पूजित होता है।
4. भित्ति चित्र और नक्काशी:
मंदिर की दीवारों और छतों पर रामायण, महाभारत और अन्य पुराणों से जुड़े सुंदर चित्र और नक्काशियाँ बनी हुई हैं, जो विजयनगर साम्राज्य की समृद्ध कला परंपरा को दर्शाती हैं।
इतिहास और निर्माण:
- मंदिर का निर्माण विजयनगर साम्राज्य के समय, राजा अच्युत देवराय के शासनकाल में हुआ था।
- इसे उनके गवर्नर भाइयों विरुपन्ना और वीरन्ना ने बनवाया था।
- एक कथा के अनुसार, विरुपन्ना ने राजा की अनुमति के बिना मंदिर का निर्माण शुरू कर दिया था, जिस कारण उन्हें सज़ा का सामना करना पड़ा।
धार्मिक महत्व:
- यह मंदिर स्कंद पुराण में वर्णित "दिव्य क्षेत्र" में से एक है।
- यहाँ भगवान शिव के उग्र रूप वीरभद्र की पूजा की जाती है, जो दक्ष प्रजापति के यज्ञ को विध्वंस करने के लिए प्रकट हुए थे।
कैसे पहुँचे:
- निकटतम शहर: बेंगलुरु (करीब 120 किमी)
- निकटतम रेलवे स्टेशन: हिंदूपुर
- निकटतम हवाई अड्डा: बेंगलुरु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा
- मंदिर समय: प्रातः 5:00 से दोपहर 12:00 और फिर शाम 4:00 से 6:00 तक
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