यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 18 अप्रैल 2025

लेपाक्षी मंदिर

                                 लेपाक्षी मंदिर


दक्षिण भारत का एक ऐतिहासिक और वास्तुकला की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मंदिर है, जो आंध्र प्रदेश राज्य के श्री सत्य साई ज़िले के लेपाक्षी गाँव में स्थित है। यह मंदिर भगवान वीरभद्र (भगवान शिव के उग्र रूप) को समर्पित है और 16वीं शताब्दी में बनाया गया था।

मुख्य विशेषताएँ:

1. झूलता स्तंभ (Hanging Pillar):

मंदिर के 70 खंभों में से एक खंभा ज़मीन को छूता नहीं है। यह स्तंभ ज़मीन से थोड़ा ऊपर झूलता है, और लोग इसके नीचे कपड़ा या कागज सरकाकर इस रहस्य को खुद अनुभव करते हैं। यह आज भी वास्तुकला की एक अनसुलझी पहेली है।

2. नागलिंग (Shiva under hooded snake):

यहाँ एक विशाल शिवलिंग है, जिसे सात फनों वाले नाग ने घेर रखा है। यह पत्थर से तराशा गया बेहद सुंदर और भव्य दृश्य है।

3. नंदी प्रतिमा:

मंदिर से लगभग 200 मीटर दूर भारत की सबसे बड़ी एकाश्म नंदी प्रतिमा (पत्थर से बनी एक ही मूर्ति) स्थित है। यह नंदी, भगवान शिव के वाहन के रूप में पूजित होता है।

4. भित्ति चित्र और नक्काशी:

मंदिर की दीवारों और छतों पर रामायण, महाभारत और अन्य पुराणों से जुड़े सुंदर चित्र और नक्काशियाँ बनी हुई हैं, जो विजयनगर साम्राज्य की समृद्ध कला परंपरा को दर्शाती हैं।

इतिहास और निर्माण:

  • मंदिर का निर्माण विजयनगर साम्राज्य के समय, राजा अच्युत देवराय के शासनकाल में हुआ था।
  • इसे उनके गवर्नर भाइयों विरुपन्ना और वीरन्ना ने बनवाया था।
  • एक कथा के अनुसार, विरुपन्ना ने राजा की अनुमति के बिना मंदिर का निर्माण शुरू कर दिया था, जिस कारण उन्हें सज़ा का सामना करना पड़ा।

धार्मिक महत्व:

  • यह मंदिर स्कंद पुराण में वर्णित "दिव्य क्षेत्र" में से एक है।
  • यहाँ भगवान शिव के उग्र रूप वीरभद्र की पूजा की जाती है, जो दक्ष प्रजापति के यज्ञ को विध्वंस करने के लिए प्रकट हुए थे।

कैसे पहुँचे:

  • निकटतम शहर: बेंगलुरु (करीब 120 किमी)
  • निकटतम रेलवे स्टेशन: हिंदूपुर
  • निकटतम हवाई अड्डा: बेंगलुरु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा
  • मंदिर समय: प्रातः 5:00 से दोपहर 12:00 और फिर शाम 4:00 से 6:00 तक

अगर आप भारतीय कला, संस्कृति और धर्म में रुचि रखते हैं तो लेपाक्षी मंदिर की


शनि शिंगणापुर

                                 शनि शिंगणापुर 

शनि शिंगणापुर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो शनि देव को समर्पित है। यह गांव और मंदिर अपने अनोखे विश्वासों और परंपराओं के कारण देश-विदेश में प्रसिद्ध है।

मुख्य विशेषताएँ :

1. शनि देव की मूर्ति नहीं, शिला है:

यहाँ शनि देव की कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि एक काली पत्थर की शिला (लगभग 5 फीट 9 इंच ऊँची) है, जिसे लोग शनि देव का स्वरूप मानते हैं।

2. मंदिर में कोई छत नहीं:

यह मंदिर खुले आकाश के नीचे स्थित है। शनि देव की शिला किसी भी छाया में नहीं रहती, यह माना जाता है कि शनि देव आकाश के देवता हैं और उन्हें छाया पसंद नहीं।

3. गांव में ताले नहीं लगते:

शनि शिंगणापुर की सबसे अनोखी बात यह है कि यहाँ किसी भी घर, दुकान या बैंक में दरवाजे या ताले नहीं होते। लोगों का विश्वास है कि शनि देव की कृपा से यहाँ चोरी नहीं होती। यदि कोई चोरी करता है, तो शनि देव खुद उसे दंडित करते हैं।

4. महिलाओं की प्रवेश परंपरा:

पहले महिलाओं को शिला के पास जाकर पूजा करने की अनुमति नहीं थी, लेकिन 2016 के एक आंदोलन और न्यायालय के आदेश के बाद महिलाओं को भी शनि शिला पर चढ़कर पूजा करने की अनुमति दी गई

इतिहास से जुड़ी मान्यता:

लोककथाओं के अनुसार, कई सौ साल पहले एक किसान को खेत में एक काली शिला मिली, जिससे खून निकलने लगा। रात को उसे सपने में शनि देव ने दर्शन दिए और बताया कि वह स्वयंभू रूप में प्रकट हुए हैं और यहीं उनकी पूजा की जाए।

कैसे पहुँचे:

शनि शिंगणापुर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो शनि देव को समर्पित है। यह गांव और मंदिर अपने अनोखे विश्वासों और परंपराओं के कारण देश-विदेश में प्रसिद्ध है।

मुख्य 

अगर आप शनि देव की विशेष पूजा, शनि दोष निवारण या उनकी कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो शनि शिंगणापुर एक महत्वपूर्ण और आध्यात्मिक स्थल है।



Featured Post

लेपाक्षी मंदिर

                                  लेपाक्षी मंदिर दक्षिण भारत का एक ऐतिहासिक और वास्तुकला की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मंदिर है, जो आंध्र ...