आदित्य हृदय स्तोत्र के अगले श्लोकों के अर्थ (11 से 20 तक
11.
हरिदश्वः सहस्रार्चिः सप्तसप्तिर्मरीचिमान्।
तिमिरोन्मथनः शम्भुस्त्वष्टा मार्ताण्ड अंशुमान्॥
अर्थ: सूर्य हरित रंग के घोड़ों वाले हैं, सहस्र किरणों वाले हैं, जिनकी सात घोड़े हैं, जो किरणों से युक्त हैं। अंधकार को नष्ट करने वाले, कल्याण स्वरूप, सृष्टिकर्ता, मार्तण्ड (सूर्य का नाम) और प्रकाशमान हैं।
12.
हिरण्यगर्भः शिशिरस्तपनो भास्करो रविः।
अग्निगर्भोऽदितेः पुत्रः शङ्खः शिशिरनाशनः॥
अर्थ: सूर्य हिरण्यगर्भ, शिशिर (शीत) को हरने वाले, तपन करने वाले, प्रकाशवान, अग्निस्वरूप, अदिति के पुत्र, शंखवर्ण के और सर्दी को दूर करने वाले हैं।
13.
व्योमनाथस्तमोभेदी ऋग्यजुःसामपारगः।
घनवृष्टिरपां मित्रो विन्ध्यवीथीप्लवङ्गमः॥
अर्थ: ये आकाश के स्वामी हैं, अंधकार को दूर करते हैं, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद के ज्ञाता हैं। ये बादलों से वर्षा कराते हैं, जल के मित्र हैं और विन्ध्याचल के मार्ग से चलते हैं।
14.
आतपी मण्डली मृत्युः पिङ्गलः सर्वतापनः।
कविर्विश्वो महातेजा रक्तः सर्वभवोद्भवः॥
अर्थ: ये सूर्य आतपी (तीव्र तपन करने वाले), मण्डलाकार, मृत्यु के समान शक्तिशाली, तांबई रंग के, सबको ताप देने वाले, कवी (ज्ञानी), विश्व रूप, महान तेजस्वी, रक्त वर्ण के और समस्त जगत के उत्पत्तिकर्ता हैं।
15.
नक्षत्रग्रहताराणां अधिपो विश्वभावनः।
तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन् नमोऽस्तु ते॥
अर्थ: नक्षत्रों, ग्रहों और तारों के स्वामी, सम्पूर्ण विश्व की भावना (संरचना) करने वाले, सभी तेजस्वियों में श्रेष्ठ, बारह रूपों (द्वादश आदित्य) में स्थित आपको नमस्कार है।
16.
नमः पूर्वाय गिरये पश्चिमायाद्रये नमः।
ज्योतिर्गणानां पतये दिनाधिपतये नमः॥
अर्थ: पूर्व दिशा के पर्वत को नमस्कार, पश्चिम के पर्वत को नमस्कार, ज्योतिर्मय गणों के स्वामी और दिन के अधिपति (सूर्य) को नमस्कार है।
17.
जयाय जयभद्राय हर्यश्वाय नमो नमः।
नमो नमः सहस्रांशो आदित्याय नमो नमः॥
अर्थ: विजयी और शुभता देने वाले, हरित अश्वों वाले, हजारों किरणों से युक्त आदित्य को बारम्बार नमस्कार है।
18.
नम ऊग्राय वीराय सारङ्गाय नमो नमः।
नमः पद्मप्रबोधाय मार्तण्डाय नमो नमः॥
अर्थ: उग्र (प्रचण्ड) रूप वाले, वीर्यवान, किरण रूपी सारंग वाले, कमलों को खिलाने वाले मार्तण्ड (सूर्य) को नमस्कार है।
19.
ब्रह्मेशानाच्युतेशाय सूर्यायादित्यवर्चसे।
भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नमः॥
अर्थ: ब्रह्मा, ईश, अच्युत (विष्णु), सूर्य, आदित्यवर्चस्वी, तेजस्वी, सर्वभक्षी (सभी को अपने में समाहित करने वाले), रौद्र रूप वाले आपको नमस्कार है।
20.
तमोघ्नाय हिमघ्नाय शत्रुघ्नायामितात्मने।
कृतघ्नघ्नाय देवाय ज्योतिषां पतये नमः॥
अर्थ: अंधकार को नष्ट करने वाले, शीत को हरने वाले, शत्रुओं का नाश करने वाले, अनन्त आत्मा वाले, कृतघ्नों का विनाश करने वाले, देवों के देव, प्रकाश के स्वामी को नमस्कार है।