/ "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: जीवन में भगवान की कितनी जरूरत है!

यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 25 जुलाई 2013

जीवन में भगवान की कितनी जरूरत है!

कितनी जरुरत है जीवन मे भगवान की 

जितना भीगता है मन ,उतना ही निर्मल हो जाता है . प्रख्यात साहित्यकार जॆनेन्द्र कुमार के जीवन का एक उदाहरण है -जीवन के आखिरी समय मे उन्हें लकवा मार गया था ,बोलना भी मुश्किल था . तब जो भी उन के पास आता ,उसे देखकर उनकी आखों मे आंसू गिर जाते इससे मालूम हो जाता कि पहचान लिया एक बार गले मे बहुत अधिक कफ जमा हो गया ,डॉक्टर ने कहा अब ठीक होने की कोई उम्मीद नहीं है बस अपने भगवान को याद करो . तब पहली बार उनको लगा कि जीवन मे भगवान की कितनी जरुरत है . उन्होंने अंतिम संस्मरण मे लिखा है -मैं णमोकार मन्त्र पढ़ता  जाता था और रोता जाता था . आधे घंटे तक मंत्र पढ़ते -२ खूब रोया . तब डॉक्टर दूसरी बार चेकअप  करने आए तो उन्हें पहले से काफी बेहतर पाया . डॉक्टर  ने नर्सो से पूछा इनको अभी कौन सी दवा दी गई है ,नर्सो ने कहा कोई दवा नहीं दी गई हैं आपने कहा था अपने ईश्वर को याद करो इन्होने वही किया है . 
जेनेंदर कुमार ने अपने संस्मरण मे लिखा है कि मुझे बार-बार यही लगता था कि जीवन भर ऐसे निर्मल मन से भगवान को याद क्यों नहीं किया अब मृत्यु के समय मैं अपने भगवान को याद कर रहा हूँ . तो मुझे अपने पुरे जीवन पर रोना आया और मन भीग गया .  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अगर आपको मेरी post अच्छी लगें तो comment जरूर दीजिए
जय श्री राधे

Featured Post

भक्ति का क्या प्रभाव होता है?

                        भक्ति का क्या प्रभाव होता है? एक गृहस्थ कुमार भक्त थे। एक संत ने उन्हें नाम दिया वे भजन करने लगे, सीधे सरल चित् में ...