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शुक्रवार, 19 जुलाई 2013

शुभ विचार

  सुभाषित विचार
 जय सिध्दि विनायक
                                                                          

शुभ विचार 


किसी का बुरा न करे,किसी का बुरा न चाहे ,किसी को बुरा न समझे 

,तो कर्म योग आरम्भ हो जाता है .मेरा कुछ नहीं है ,मेरे को कुछ नहीं 

चाहिए मेरे को अपने लिए कुछ नहीं करना हैं इस सत्य को स्वीकार 

कर ले तो ज्ञान योग शुरू हो जाता है ।

याद रखो 

जो धन न्याय और सत्य के साथ उपार्जित किया गया है तथा जिसके 

उपार्जन मे किसी का अहित नहीं होता और किसी के साथ 

विश्वासघात नहीं होता ,वही धन पवित्र और सुखदायक है .जिसके 

पास ऐसा भगवान की सम्पति रूप पवित्र धन हैं और जो उसे निरंतर  सेवा मे  लगा रहा है वही वास्तव में धनी हैं ।

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जय श्री राधे

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