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सोमवार, 2 सितंबर 2013

ईश्वर को हर समय धन्यवाद करें

हर समय धन्यवाद करें


आभारी होना या शुक्रिया अदा करना या कृतज्ञता आखिर क्या है? अगर हम अपनी आंखें खोल कर अपने आसपास नजर डालें और देखें कि हमें जिंदगी में जो कुछ भी हासिल हो रहा है, उसमें किन-किन चीजों और लोगों का योगदान है, तो हम उन सबके प्रति आभारी हुए बिना नहीं रह पाएंगे।


जैसे आपके सामने खाने की थाली आ जाती है। क्या आपको पता है कि उस रोटी को तैयार करने में कितने लोगों का योगदान है? बीज बोने और फसल तैयार करने वाले किसान से लेकर अनाज बेचने और फिर उसे खरीदने वाले दुकानदार तक, और फिर दुकान से उसे खरीद कर रोटी आपकी थाली में परोसने तक- जरा सोचिए कि एक बनी-बनाई रोटी के पीछे कितने लोगों की मेहनत और योगदान छिपा है।


ठीक इसी तरह से आप जिंदगी के हर पहलू पर गौर करें। अब आप यह मत सोचिए कि हमने पैसे चुकाए और उसके बदले में यह चीज मिली तो इसमें कौन सी बड़ी बात है। अगर एक प्रक्रिया की पूरी कड़ी में जुड़े लोगों ने अपना-अपना काम नहीं किया होता, तो आप चाहे जितने भी पैसे खर्च कर लेते, आपको वो सब नहीं मिल सकता था, जो मिल रहा है। यह सांस भी नहीं।
जरा अपनी आंखें खोलिए और यह देखिए कि किस तरह संसार में मौजूद हर वस्तु और हर प्राणी आपके भरण-पोषण में सहयोग दे रहा है। अगर आप यह सब देख पाएंगे तो फिर आपको कृतज्ञ महसूस करने के लिए कोई नजरिया विकसित करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कृतज्ञता कोई नजरिया नहीं है, यह एक ऐसा झरना है, जो उस समय खुद-ब-खुद फूट पड़ता है, जब कुछ प्राप्त होने या मिलने पर आप अभिभूत हो उठते हैं। ईमानदार कृतज्ञता से भरा एक क्षण भी आपके पूरे जीवन को बदलने के लिए काफी है। कृतज्ञता सिर्फ धन्यवाद या थैंक यू कह देना भर नहीं है।
इस दुनिया में बहुत सारी चीजें हैं, जो आपको जीवित और सुरक्षित रखने के लिए आपस में मिल कर काम कर रही हैं। अगर आप अपने जीवन के किसी भी एक घटनाक्रम पर ध्यान दें, तो आप उन सब लोगों व चीजों के प्रति कृतज्ञ हुए बिना नहीं रह पाएंगे, जिनका प्रत्यक्ष तौर पर तो आपकी जिंदगी से कोई लेना-देना नहीं है, फिर भी वे आपके जीवन को हर पल कितना कुछ देते रहे हैं। अगर आप यह समझ कर बिंदास जिंदगी जी रहे हैं कि आप इस दुनिया के राजा हैं, और यहां हर चीज आपको अपने कारणों से हासिल हुई है, तो आप असल में हर चीज को खो रहे हैं। आप जिंदगी का असली चेहरा देखने से वंचित हैं।

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जय श्री राधे

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