भजन कैसे करें
'भजन करना ' एक बात है और 'भजन होना' दूसरी बात है। हम सांस लेते नहीं है, हमें सांस आती है ।सांस लेने के लिए अभ्यास नहीं करना पड़ता, ना किसी शास्त्रज्ञ या सत्संग की आवश्यकता होती है। सांस सहज ही आती हैं ,कभी रुक जाती हैं, तो परम व्याकुलता होती है। इसी प्रकार सांस की भांति ,भजन होना चाहिए। क्षणभर भजन छुटने से व्याकुलता हो जाए ,तभी भजन है।

इस ब्लॉग में परमात्मा को विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक परंपराओं में एक अद्वितीय, अनन्त, और सर्वशक्तिमान शक्ति के रूप में समझा जाता है, जो सृष्टि का कारण है और सब कुछ में निवास करता है। जीवन इस परमात्मा की अद्वितीयता का अंश माना जाता है और इसका उद्देश्य आत्मा को परमात्मा के साथ मिलन है, जिसे 'मोक्ष' या 'निर्वाण' कहा जाता है। हमारे जीवन में ज्यादा से ज्यादा प्रभु भक्ति आ सके और हम सत्संग के द्वारा अपने प्रभु की कृपा को पा सके। हमारे जीवन में आ रही निराशा को दूर कर सकें।
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शुक्रवार, 8 मार्च 2019
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जय श्री राधे