/ "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: श्री कृष्ण जी के नामों के अर्थ का वर्णन

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बुधवार, 13 मार्च 2019

श्री कृष्ण जी के नामों के अर्थ का वर्णन

 श्री कृष्ण जी के नामों के अर्थ का वर्णन परम भागवत श्री संजय जी के द्वारा-

 श्री कृष्णा माया से आवरण  करते हैं , यानी कि ढके रहते हैं और सारा जगत उन में निवास करता है ,तथा वे प्रकाशमान है इसलिए इन्हें 'वासुदेव' कहते हैं। अथवा सब देवता इन में निवास करते हैं, इसलिए इन्हें 'वासुदेव' कहते हैं।
 सर्व व्यापक होने के कारण इनका नाम विष्णु है। मा यानी आत्मा कि उपाधि रूप बुद्धि वृत्ति को ,मौन, ध्यान या योग से दूर कर देते हैं ।इससे श्री कृष्ण का नाम 'माधव' है।
 मधु अर्थात पृथ्वी आदि तत्वों के संहार-कर्ता होने से अथवा वे सब तत्व इन में लय को प्राप्त होते हैं।इन्हें 'मधुहा' भी कहते हैं ।
मधु नामक देत्य का वध करने के कारण इनका नाम 'मधुसूदन' कहा जाता है ।
कृषि शब्द सत्ता वाचक है व 'ण 'सुख वाचक है, दोनों धातु के अर्थ रूप सत्ता व आनंद के संबंध से भगवान का नाम 'कृष्ण' हो गया।
 अक्षय ,अविनाशी ,परम स्थान का या हृदय कमल का नाम पुंडरीक है, भगवान वासुदेव उस में विराजित रहते हैं और उसका कभी क्षय नहीं होता ,इसलिए इन्हें 'पुंडरीकाक्ष' भी कहते हैं।
 दस्यु का दलन करते हैं ,इससे भगवान का नाम 'जनार्दन' है वह सत्य से कभी विमुक्त नहीं होते और सत्य उनमें कभी अलग नहीं होता। वृषभ का अर्थ है वेद , और   ईक्षण का अर्थ है ज्ञापक  अथार्त  वेद के द्वारा भगवान जाने जाते हैं इसलिए उनका नाम 'वृषभेक्षण' है।
वे किसी के गर्भ से जन्म ग्रहण नहीं करते, इससे  उन्हें 'अज' कहते हैं ।
वे इंद्रियों का दमन किए हुए हैं, और इंद्रियों में स्व- प्रकाश है ,इससे भगवान का नाम 'दामोदर' है।
 हर्ष- स्वरूप ,सुख, ऐश्वर्य तीनों ही भगवान श्रीकृष्ण में है इसलिए इन्हें 'ऋषिकेश' भी कहते हैं।
 अपनी दोनों विशाल भुजाओं से इन्होंने स्वर्ग व पृथ्वी को संभाल रखा है, इसलिए यह 'महाबाहु' भी कहलाते हैं।
 वे संसार से कभी लिप्त नहीं होते इसलिए इन्हें 'अधोक्षज' भी कहते हैं।
नर इनके  आश्रय हैं, इसलिए इन्हें 'नारायण' भी कहते हैं ।
वे सब भूतों के पूर्ण करता है और सभी भूत उनमें लय को प्राप्त होते हैं ,इसलिए उनको 'सर्व 'कहा जाता है।
 श्री कृष्ण सत्य है ,और सत्य उनमें है ,इससे उनका नाम 'सत्य' भी है।
 चरणों द्वारा विश्व को व्याप्त करने वाले होने से विष्णु और सब पर विजय प्राप्त करने के कारण भगवान को 'जिष्णु' कहते हैं।
 शाश्वत और अनंत होने से उनका नाम 'अनंत' है ।
और गो यानी इंद्रियों के प्रकाशक होने से 'गोविंद 'कहे जाते हैं।

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