/ "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: श्रीमद्भागवत गीता प्रथम अध्याय का 9 10 वां श्लोक का सरल अर्थ हिंदी में

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बुधवार, 16 फ़रवरी 2022

श्रीमद्भागवत गीता प्रथम अध्याय का 9 10 वां श्लोक का सरल अर्थ हिंदी में

 श्रीमद्भगवत गीता प्रथम अध्याय का 9, 10  श्लोक हिंदी में

अन्ये च बहव:--------------------------------------- सर्वे युद्धविशारदा:।।९।।

ऐसे अन्य अनेक वीर भी हैं जो मेरे लिए अपना जीवन त्याग करने के लिए उद्यत है। वह विविध प्रकार के हथियारों से सुसज्जित हैं और युद्ध विद्या में निपुण है।

 तात्पर्य –जहां तक अन्यों का - यथा जयद्रथ, कृतवर्मा तथा शल्य का संबंध है, वह सब दुर्योधन के लिए अपने प्राणों की आहुति देने के लिए तैयार रहते थे। दूसरे शब्दों में,यह पूर्व निश्चित है कि वह सब पापी दुर्योधन के दल में सम्मिलित होने के कारण,कुरुक्षेत्र के युद्ध में मारे जाएंगे।निसंदेह अपने मित्रों की संयुक्त शक्ति के कारण दुर्योधन अपनी विजय के प्रति आश्वस्त था।


अपर्याप्तं ------------------------------------------- भीमाभिरक्षितम् ।।११।।

 हमारी शक्ति अपरिमेय है और हम सब पितामह द्वारा भलीभांति संरक्षित है, जबकि पांडवों की शक्ति भीम द्वारा भलीभांति संरक्षित होकर भी सीमित है।

 तात्पर्य- यहां पर दुर्योधन में तुलनात्मक शक्ति का अनुमान प्रस्तुत किया है। वह सोचता है कि अत्यंत अनुभवी सेनानायक भीष्म पितामह के द्वारा विशेष रूप से संरक्षित होने के कारण उसकी सशस्त्र सेनाओं की शक्ति अपरिमेय है।दूसरी और पांडवों की सेना सीमित है क्योंकि उनकी सुरक्षा एक कम अनुभवी नायक भीम द्वारा की जा रही है। जो भीष्म की तुलना में नगण्य है। दुर्योधन सदैव ही भीम से ईर्ष्या  करता था, क्योंकि वह जानता था कि यदि उसकी मृत्यु जब भी हुई तो वह भीम के द्वारा ही होगी। किंतु साथ ही  उसे दृढ़ विश्वास था कि भीष्म की उपस्थिति में उसकी विजय निश्चित है क्योंकि भीष्म कहीं अधिक उत्कृष्ट सेनापति हैं। वह युद्ध में विजयी होगा,यह उसका दृढ़ निश्चय था।


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जय श्री राधे

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