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शनिवार, 1 मार्च 2025

                            

                            मां कामख्या मंदिर 




कामाख्या मंदिर असम की राजधानी दिसपुर से लगभग 8 किलोमीटर दूर नीलाचल पर्वत पर स्थित एक प्रमुख शक्तिपीठ है। यह मंदिर देवी सती को समर्पित है और तांत्रिक साधना के लिए विशेष महत्व रखता है।माँ कामाख्या मंदिर भारत के असम राज्य के गुवाहाटी शहर में नीलाचल पर्वत पर स्थित एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। यह मंदिर माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है और तंत्र साधना के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।

कामाख्या मंदिर का धार्मिक महत्व

  • यह मंदिर माँ भगवती के "योनि" (जननांग) रूप की पूजा का प्रमुख केंद्र है। कहा जाता है कि जब भगवान शिव, सती के शव को लेकर तांडव कर रहे थे, तब विष्णुजी ने उनके शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से खंड-खंड कर दिया। जहां-जहां माता सती के अंग गिरे, वहां शक्तिपीठ बने। कामाख्या मंदिर उस स्थान पर स्थित है जहां माता सती का योनि और गर्भाशय गिरा था।
  • मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि यहाँ एक प्राकृतिक गुफा में स्थित योनि कुंड की पूजा होती है, जिसे एक लाल रंग की कपड़े से ढका जाता है।

कामाख्या मंदिर की विशेषताएँ

  • गर्भगृह: अन्य मंदिरों के विपरीत, यहाँ देवी की मूर्ति नहीं है। गर्भगृह में एक प्राकृतिक चट्टान है, जिसे देवी की योनि के रूप में पूजा जाता है।

  1. अंबुवासी मेला

    • यह चार दिन तक चलने वाला एक विशेष पर्व है, जिसे माँ कामाख्या के वार्षिक मासिक धर्म का प्रतीक माना जाता है। इस दौरान मंदिर के गर्भगृह के जल में हल्का लाल रंग आ जाता है, जिसे दिव्य और चमत्कारी माना जाता है।
    • यह पर्व मुख्य रूप से तंत्र साधकों और संन्यासियों के लिए विशेष महत्व रखता है इस दौरान मंदिर के द्वार तीन दिनों तक बंद रहते है।
  2. तंत्र साधना का प्रमुख केंद्र

    • कामाख्या मंदिर तांत्रिक साधना के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहाँ कई तांत्रिक और साधु विशेष अनुष्ठान करते हैं।
    • माना जाता है कि यहाँ किए गए तंत्र-मंत्र साधना अत्यधिक प्रभावी होते हैं।
  3. स्थापत्य और वास्तुकला

    • यह मंदिर असमिया शैली में निर्मित है और इसका मुख्य गुंबद मधुमक्खी के छत्ते की तरह दिखता है।
    • मंदिर परिसर में माँ कामाख्या के अलावा, दस महाविद्याओं (काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला) के भी छोटे मंदिर हैं।

कैसे पहुँचे?

  • गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से लगभग 8 किलोमीटर दूर स्थित है।
  • लोकप्रिया गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है।
  • स्थानीय टैक्सी, ऑटो और बसों से मंदिर तक पहुँचा जा सकता है।

कामाख्या मंदिर से जुड़ी मान्यताएँ

  • यहाँ माता की कृपा से सभी प्रकार की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
  • संतान प्राप्ति, विवाह बाधा निवारण और शक्ति साधना के लिए विशेष रूप से इस मंदिर की पूजा की जाती है।
  • यहाँ माँ के दर्शन मात्र से भक्तों को आध्यात्मिक बल और ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • तांत्रिक साधना का केंद्र: कामाख्या मंदिर तांत्रिक साधकों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है, जहाँ विशेष अनुष्ठान और साधनाएँ की जाती हैं।

मंदिर का इतिहास

कामाख्या मंदिर का उल्लेख कालिका पुराण और योगिनी तंत्र में मिलता है। समय-समय पर इस मंदिर का पुनर्निर्माण और जीर्णोद्धार किया गया है, जिससे इसकी वास्तुकला में विभिन्न शैलियों का समावेश देखा जा सकता है।

दर्शनीय स्थल

मंदिर परिसर में अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी स्थित हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।

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जय श्री राधे

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