कैलाश मानसरोवर और मणिमहेश—एक विस्तृत परिचय
हिमालय की गोद में बसे कैलाश मानसरोवर और मणिमहेश दोनों ही हिन्दू धर्म के पवित्र तीर्थस्थल हैं, जिन्हें भगवान शिव से जुड़ा हुआ माना जाता है। दोनों स्थानों का धार्मिक, पौराणिक और भौगोलिक दृष्टि से विशेष महत्व है।
1. कैलाश मानसरोवर
स्थिति और भौगोलिक परिचय
कैलाश पर्वत तिब्बत (चीन) के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित है। यह पर्वत 6,638 मीटर (21,778 फीट) ऊँचा है और चार महत्वपूर्ण नदियों—सिंधु, ब्रह्मपुत्र, सतलुज और कर्णाली—का उद्गम स्थल माना जाता है। कैलाश पर्वत के पास ही मानसरोवर झील स्थित है, जिसे अत्यंत पवित्र माना जाता है।
धार्मिक महत्व
- हिन्दू धर्म: कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार, यही वह स्थान है जहां शिवजी अपने भक्तों को दर्शन देते हैं और यहाँ उनका दिव्य ध्यान लगा रहता है।
- बौद्ध धर्म: बौद्ध मान्यता के अनुसार, यह स्थान "कंग रिंपोचे" (गहनों से सुसज्जित पर्वत) है और यह बुद्ध धर्म के चक्रवर्ती राजा का निवास स्थान माना जाता है।
- जैन धर्म: जैन धर्म में इसे "अष्टपद" कहा जाता है, जहाँ पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव को निर्वाण प्राप्त हुआ था।
- बोन धर्म: तिब्बत के प्राचीन बोन धर्म के अनुयायियों के लिए भी यह एक पवित्र स्थल है।
मानसरोवर झील
- यह हिमालय की सबसे ऊँची मीठे पानी की झील है, जिसकी ऊँचाई लगभग 4,590 मीटर है।
- इस झील का जल अत्यंत पवित्र माना जाता है और इसे पीने व स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है।
यात्रा और कठिनाइयाँ
कैलाश मानसरोवर की यात्रा कठिन मानी जाती है क्योंकि:
- ऊँचाई अधिक होने के कारण यहाँ ऑक्सीजन की कमी होती है।
- तिब्बत जाने के लिए चीन सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है।
- मौसम बेहद ठंडा और अनिश्चित होता है।
भारत से इस यात्रा के दो मुख्य मार्ग हैं:
- काठमांडू (नेपाल) होते हुए – नेपालगंज और तिब्बत के रास्ते।
- उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे के माध्यम से – जो भारतीय सरकार के "कैलाश मानसरोवर यात्रा" कार्यक्रम के तहत संचालित होता है।
2. मणिमहेश (हिमाचल प्रदेश)
स्थिति और भौगोलिक परिचय
मणिमहेश झील हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में स्थित है, जो समुद्र तल से लगभग 4,080 मीटर (13,390 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। झील के पास ही मणिमहेश कैलाश पर्वत है, जिसे भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है।
धार्मिक महत्व
- यह स्थान भगवान शिव की तपोभूमि माना जाता है, जहाँ शिवजी ने तपस्या की थी।
- पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने यहाँ अपने मस्तक पर रत्न (मणि) धारण किया था, जिससे पर्वत का नाम "मणिमहेश" पड़ा।
- कहा जाता है कि शिवजी स्वयं यहां स्नान करने आते हैं, और झील के जल में अद्भुत दिव्य प्रकाश की झलक कभी-कभी देखी जाती है।
मणिमहेश यात्रा और कठिनाइयाँ
- हर साल भाद्रपद माह (अगस्त-सितंबर) में यहाँ "मणिमहेश यात्रा" होती है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
- यात्रा का मुख्य मार्ग भरमौर से होकर जाता है, जिसमें हडसर – धनछौ – गौरीकुंड – मणिमहेश झील शामिल है।
- मार्ग कठिन और खड़ी चढ़ाई वाला होता है, लेकिन श्रद्धालु भक्ति भाव से यात्रा करते हैं।
गौरीकुंड का महत्व
- झील के पास गौरीकुंड स्थित है, जिसे माता पार्वती का स्नान स्थल माना जाता है।
- महिलाएँ मुख्य रूप से गौरीकुंड में स्नान करती हैं, जबकि पुरुष मणिमहेश झील में स्नान करते हैं।
कैलाश मानसरोवर और मणिमहेश में प्रमुख अंतर
निष्कर्ष
कैलाश मानसरोवर और मणिमहेश दोनों ही शिवभक्तों के लिए पवित्र स्थान हैं। कैलाश पर्वत शिवजी के दिव्य स्वरूप का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि मणिमहेश को उनकी भक्ति और तपस्या का स्थल माना जाता है। कैलाश मानसरोवर यात्रा कठिनाई भरी होती है और इसके लिए विशेष अनुमति की आवश्यकता होती है, जबकि मणिमहेश यात्रा भारत में ही होने के कारण तुलनात्मक रूप से सरल है। इन तीर्थों की यात्रा करना एक आध्यात्मिक अनुभव होता है, जो शिव भक्ति की गहराई को महसूस करने का अवसर प्रदान करता है।
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जय श्री राधे