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गुरुवार, 4 सितंबर 2014

कल्याण 


भगवत्कृपा  प्रश्नोत्तर 
स्वामी रामसुखदास जी के द्वारा प्रश्नों के उत्तर वह प्रश्न जो हमारे मन में उठा करते हैं)

प्रशन-शास्त्र भगवान को परम दयालु और सर्वभूतों का सुहृदय कहते हैं 
;किन्तु संसार में प्रत्यक्ष देखा गया हैं कि बहुत से कष्ट हैं और जीव दुःखी हैं। इससे तो भगवान की निष्ठुरता सिद्ध होती हैं ,वे दयालु कैसे ?

उत्तर -एक बालक देखता हैं कि किसी को फोड़ा हुआ हैं और डॉक्टर उसे चीर रहा हैं। बीमार आदमी बुरी तरह से चिल्लाता हैं ,यहाँ तक कि डॉक्टर को गालियाँ भी दे रहा हैं। बालक जाकर दुसरो से कहता हैं कि डॉक्टर साहब बहुत निष्ठुर हैं ;तो क्या डॉक्टर साहिब सचमुच में निष्ठुर हैं ?उनका उद्देश्य तो बीमार आदमी को निरोग करना हैं और फोड़ा अच्छा होने के बाद बीमार आदमी भी उनको दयालु मानकर उनका धन्यवाद करता हैं। 
अज्ञानवश हमलोग भी असली तत्व को न जानने के कारण इसी बालक की तरह भगवन को निष्ठुर कहते हैं। 

प्रशन-किन्तु हम तो बालक नहीं हैं ?
उत्तर -जब हम लोगो में अज्ञानता हैं ,तब हम बालक नहीं तो और क्या हुएं ?

प्रशन -मान लिया संसार के दुःख कष्ट फोड़े के सामान हैं ,लकिन भगवान फोड़ा पैदा  ही क्यों करता हैं ?अगर फोड़ा न हो तो चीरने की भी जरूरत न पड़े। 

उत्तर -इसी प्रश्न में अज्ञानता भरी पड़ी हैं। कोई व्यक्ति गणित से बिलकुल अनभिज्ञ हैं ,अगर पूछे einstein  की theory  of relativity क्या हैं और कैसे आया ,तो उसको क्या समझाया जाए ?उससे यही कहना पड़ेगा ,भाई पहले इसको समझने के योग्य बनो ,फिर प्रश्न करना। अभी तुम्हारे समझ में नहीं आएगा। आपने जो प्रश्न किया हैं ,कि भगवन फोड़ा क्यों पैदा करते हैं ?इसका उत्तर समझने के लिए आपमें पहले योग्यता होनी चाहिए। 

प्रशन - समझा कि मैं अभी भगवान की दया समझने के योग्य नहीं बना ,तो कैसे योग्य बनू ?

उत्तर -विश्वास कीजिये ,कि भगवान दयालु हैं। आपने english पढ़ी हैं न। जब आपको सिखाया गया कि यह A हैं ,यह B हैं तो आपको थोड़ी कठिनता महसूस हुई होगी। परन्तु आपको teacher  पर विश्वास था। आप सोचते होंगे की जब मास्टर साहिब कह रहे हैं तो यह A ही हैं। अगर आप उस समय अकड़ जाते कि यह A नहीं हैं। तो क्या सीखते ?विश्वास ही शिक्षा या उन्नति का मूल हैं आप विश्वास नहीं करेंगे तो कैसे काम चलेगा। 

प्रश्न -अगर यह विश्वास पक्का कर ले  कि भगवान नहीं हैं तो क्या होगा ?
उत्तर -ऐसा पक्का विश्वास हो ही नहीं सकता कि ईश्वर नहीं हैं। जो लोग ईश्वर को नहीं मानते वह भी दिल पर हाथ रखकर यह विचारे तो मालूम होगा की कभी न कभी किसी अदृश्य शक्ति को उन्होंने महसूस किया होगा। प्रत्येक जीव भगवन का अंश हैं भगवान को छोड़कर उसे कही और शांति नहीं मिल सकती। 
।।राम।।



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जय श्री राधे

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