/ "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव

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मंगलवार, 9 सितंबर 2014

कल्याण 


भगवत्कृपा  प्रश्नोत्तर 

(स्वामी रामसुखदास जी के द्वारा प्रश्नों के उत्तर वह प्रश्न जो हमारे मन में उठा करते हैं)

प्रश्न -अगर हमने विश्वास कर लिया की भगवान दयालु हैं ,फिर?

उत्तर -फिर इस विश्वास को पक्का कीजिए ,इसका अभ्यास करना होगा कि भगवान के प्रत्येक कार्य में दया भरी हैं। चाहे वह कष्ट कारी ही क्यों न हो। 

प्रशन -कष्ट में भी भगवान की दया कैसे हो सकती हैं ?
उत्तर - जब माता हमे रगड़ -रगड़ कर नहलाती हैं तो हमे कष्ट होता हैं ,परन्तु माँ हमारे मैल को दूर करने के लिए ही ऐसा करती हैं। इसी प्रकार ईश्वर हमे कष्ट के द्वारा ही हमारे मन रूपी मैल को दूर करता हैं। जैसे माँ प्रेम मयी हैं, वैसे ही ईश्वर का हृदय भी प्रेम से भरा होता हैं। 

भगवान को न मानो, लकिन भगवान की आज्ञा को मानो तब भी वह प्रसन्न रहते हैं। उनकी आज्ञा हैं कि किसी से घृणा नहीं करो,  राग द्वेष को छोड़ना ही भगवान की आज्ञा हैं। जो रागद्वेष छोड़ देता हैं ईश्वर उसे शांति देते हैं ,यह सोचकर कि वह मुझे नहीं मानता ,उसकी शांति को कम नहीं करते। और अगर आज्ञा पालन की शक्ति नहीं हैं और भगवान को मानते हो तब भी वह आपको अपनी शरण में ले लेता हैँ. 

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जय श्री राधे

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