/ google.com, pub-1197897201210220, DIRECT, f08c47fec0942fa0 "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: प्रभु से प्रार्थना करने पर लाभ

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मंगलवार, 14 जुलाई 2020

प्रभु से प्रार्थना करने पर लाभ




श्री राधे, पाप का रास्ता छोड़ कर के हमें पुण्य के रास्ते पर चलना चाहिए और चलने का हमारा सामर्थ्य नहीं है। अगर हम कहें कि हम से नहीं चला जा सकता, हम से नहीं बन सकता। जाने अनजाने पाप होते रहते हैं। इसके लिए हमें भगवान से प्रार्थना करते रहने चाहिए। जो हमारे बस की नहीं रह जाती है उसके लिए हम क्या करते हैं? भगवान से प्रार्थना करते हैं। कोई काम है, हमारे करे से नहीं हो रहा है। हमारे बनाए से नहीं बन रहा है। तो हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि ठाकुर जी कृपा करें ,हमारा काम बन जाए। इसी तरह से सच के रास्ते पर, पुण्य के रास्ते पर, चलते हम से नहीं बन रहा है। तो पाप के रास्ते से हम बच नहीं पा रहे हैं इसके वास्ते भगवान से हमें प्रार्थना करनी चाहिए ।हर समय हमें भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए। ईश्वर हमें पाप के रास्ते से चलने पर बचाएगा। प्रार्थना में अहंकार नहीं होना चाहिए, प्रार्थना के समय दीनता होनी चाहिए। प्रार्थना की बहुत बड़ी महिमा है ।इतनी महिमा है कि पूजा पद्धति में अनंत उपचार हो जाते हैं।राजा लोग अनंत उपचार से पूजा करते हैं लेकिन साधारण इंसान पांच उपचारों से ही पूजा कर देता है। पाँच ही वस्तु रहती है- जल चढ़ा दिया, चंदन चढ़ा दिया, फूल चढ़ा दिया, आरती कर ली, भोग लगा दिया। इन पांच उपचारों के साथ या षोडशोपचारों के साथ या राज उपचार के साथ सब के साथ, अगर आप प्रार्थना नहीं करें, तो भगवान नहीं मानेंगे आप लोग सामने रख दें और कुछ नहीं बोले, ठाकुर जी नहीं खाएंगे। बिना प्रार्थना के भगवान किसी भी उपचार को चाहे भोग हो, जल हो, चंदन हो, बिना प्रार्थना के ईश्वर स्वीकार नहीं करता है। और मंत्र पढ़ने की जो विधि है वह प्रार्थना ही है। पूजा करते समय वैदिक, तांत्रिक, अलौकिक, सब प्रकार की पूजा मंत्र द्वारा की जाती है और इसे ईश्वर स्वीकार करता है। आपको पुराणों की भाषा में, मंत्रों की भाषा में नहीं आता है। तो अपनी भाषा में प्रार्थना करो, कि प्रभु यह जो भी मैं आपको दे रहा हूं। अर्पण कर रहा हूं यह आप ही की वस्तु है। आप इसे स्वीकार करो।भगवान को प्रणाम करते समय,भगवान से कहिए कि मैं आपका हूं।आप मुझे स्वीकार कर लीजिए। इस प्रकार कहने पर भगवान स्वीकार कर लेते हैं। जीव को जब भगवान स्वीकार करते हैं तो वह पवित्र हो जाता है। तो प्रार्थना करनी चाहिए ।अगर आपके पास फल, फूल ,भोग  चंदन कुछ नहीं है। केवल एक प्रार्थना है, तो भगवान से प्रार्थना कीजिए, तब भी भगवान प्रसन्न हो जाते हैं ।इसलिए प्रार्थना का बहुत बड़ा महत्व है।
(हमारे दादा गुरु भक्त माली जी महाराज मलूक पीठ वृंदावन के श्री मुख से)

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जय श्री राधे

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