/ "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: श्रीमद्भागवत गीता के प्रथम अध्याय का 12 और 13 श्लोक हिंदी में

यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 25 मार्च 2022

श्रीमद्भागवत गीता के प्रथम अध्याय का 12 और 13 श्लोक हिंदी में

 श्रीमद्भागवत गीता के प्रथम अध्याय का 12 और 13 श्लोक हिंदी में


तस्य ---------------------------------------------- दध्मौ प्रतापवान् ।। 12।। 

कुरुवंश के वयोवृद्ध परम प्रतापी एवं वृद्ध पितामह ने सिंह गर्जना की सी ध्वनि करने वाले अपने शंख को, उच्च स्वर से बजाया। जिससे दुर्योधन को हर्ष हुआ।

 कुरु वंश के वृद्ध पितामह ने अपने पौत्र दुर्योधन का मनोभाव जान गए और उसके प्रति अपनी स्वाभाविक दयावश उन्होंने उसे प्रसन्न करने के लिए अत्यंत उच्चस्वर से अपना शंख बजाया, जो उनकी सिंह के समान स्थिति के अनुरूप था। अप्रत्यक्ष रूप से शंख के द्वारा प्रतीकात्मक ढंग से उन्होंने अपने हताश पौत्र दुर्योधन को बता दिया कि उन्हें युद्ध में विजय की आशा नहीं है क्योंकि दूसरे पक्ष में साक्षात भगवान श्रीकृष्ण है। फिर भी युद्ध का मार्गदर्शन करना उनका कर्तव्य था और इस संबंध में वे  कोई कसर नहीं रखेंगे।



तत:----------------------------------शब्दस्तुमुलोऽभवत् ।। 13।।

 तत्पश्चात शंख, नगाड़ा, बिगुल ,तुरही तथा सींग सहसा एक साथ बजे उठे। वह समवेत स्वर अत्यंत कोलाहल पूर्ण था।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अगर आपको मेरी post अच्छी लगें तो comment जरूर दीजिए
जय श्री राधे

Featured Post

भक्ति का क्या प्रभाव होता है?

                        भक्ति का क्या प्रभाव होता है? एक गृहस्थ कुमार भक्त थे। एक संत ने उन्हें नाम दिया वे भजन करने लगे, सीधे सरल चित् में ...