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बुधवार, 14 अगस्त 2024

इंसान को चिंता से मुक्ति कैसे मिले?

                  इंसान को चिंता से मुक्ति कैसे मिले? 

मन का कार्य मनन करना, चिंतन करना वह बिना मनन चिंतन के एक पल भी नहीं रह सकता और इसको चिंतन मनन करने का अभ्यास है। तो इसको चिंतन मनन कराओ लेकिन असत नहीं सत् । जो आनंद की उत्पत्ति होती है वह भगवान के नाम में, भगवान के लीला गायन में मन को लगाओ। इसीलिए हम कहते हैं कि हर समय राधा राधा राधा नाम जपो,अगर इसको खाली छोड़ दिया अगर इसको काम में नहीं लगाया तो यह पटक देगा, यह एक भूत जैसा है। एक आदमी ने भूत सिद्ध किया अपने गुर के द्वारा दिए गए मंत्र से, भूत सिद्ध हो गया अब वह पीछे पड़ गया कि मुझे काम दो, अगर खाली छोड़ दिया तो मैं आपको मार दूंगा। अब आदमी परेशान हो गया कि मैं उसको जो भी काम देता हूं वह झट से पूरा कर देता है।अब आदमी अपने गुरु के पास गया की गुरुदेव मैं इसे कोई काम नहीं दूंगा तो यह मुझे मार देगा। तो गुरु ने एक डंडा दिया और कहां इस जमीन में गाढ़ दो,और उसको बोलो जब तक मैं कोई काम नहीं देता तुम इसके ऊपर नीचे चक्कर लगाओ, जब कोई कार्य होगा तो हम बता देंगे। नहीं तो तब तक तुम इस डंडे पर चढ़ उतर, जब कोई काम होगा तो बता देंगे। ऐसे ही मन को भूत समझो यह पटक देगा अगर इसे खाली छोड़ दिया, इसलिए इसे हर समय नाम सिमरन में लगाकर रखो जो भी नाम आपको पसंद हो। देखो पटक दिया कितनी जेले भरी पड़ी है। समस्त शोकों का धाम कामना है। इनका जब तक त्याग नहीं होगा तब तक मन को विश्राम नहीं और इनका त्याग होता है नाम जप से। जो भी नाम प्रिय हो राधा नाम, राम नाम, शिव नाम जो भी प्रिय हो उसका जप करो, मन आनंदित हो जाएगा। बचपन से लेकर जितनी आयु आपकी है तब तक आपने जो भी चाहा वह अपने भोग पर आपको कभी तृप्ति नहीं मिली और वैसे ही सभी कामनाएं सभी वैसे की वैसी ही और इसी तरीके से पूरा जीवन चला जाए, तो सोचो कितने घाटे की बात है की इतना बढ़िया जीवन और हमारी कमाई कुछ भी नहीं है। जीवन की असली कमाई ईश्वर की प्राप्ति में है। इसलिए अभी भी समय है असली आनंद उठाओ और जो भी नाम प्रिय हो, उसका हर समय जप करो।

प्रेमानंद जी महाराज जी के श्री मुख से🙂

शुक्रवार, 2 अगस्त 2024

क्या आप धाम में वास चाहते हैं पर-----

  जिनका धाम के प्रति प्रेम है जिन्हें धाम की आशा है वह बाहर-------



जिनका धाम के प्रति प्रेम है जिन्हें धाम की आशा है वह बाहर रहकर भी धाम के प्रेमी,धाम के वासी हैं। मंदिरों के ध्यान स्मरण से धमवास का फल मिलता हैं। श्रीधाम का स्मरण करके श्री बिहारी जी को, श्री राधाबल्लभ को, श्री गोपेश्वर जी को, यमुना जी को नमस्कार करने से वृंदावन वास का लाभ मिलेगा। भगवान का धाम सबको अपनी और नित्य आकर्षित करता है। जो भी दर्शनार्थ आते हैं उनके मन में यही होता है कि मुझे यहां निवास मिल जाए तो उत्तम है। श्री धाम का दर्शन करके यहां के मंदिरों का श्री विग्रह का, तीर्थ का, धाम के संतों का यथा समय सांय प्रातः स्मरण ध्यान करने से तीर्थवास का फल प्राप्त होता है। सब प्रकार से धाम में आनंद है जो सन्मार्ग में है वह श्री धाम में है। जो कृष्ण सेवा चिंतन में निमग्न है वह धाम में है। नाम जापी सदा धाम में है। श्री कृष्ण शरणम ममः इस शरणागति मंत्र का सदा स्मरण करने वाला धाम में है। जो कुमार्ग में है वह धाम से बाहर है। विषयाक्त माया मोहित मनुष्य संसार में है। धाम में बुद्धि नहीं रमी है तो धाम में रहकर भी धाम में नहीं है। कृष्ण विमुख धाम से बाहर है। 

दादा गुरु भक्त माली श्री गणेशदास जी महाराज के श्री मुख से, परमार्थ के पत्र पुष्प में से लिया गया

गुरुवार, 1 अगस्त 2024

हम सभी का कल्याण इस बात में हैं कि ----

             हम सभी का कल्याण इस बात में हैं कि ----


हम लोगों का कल्याण इस बात में है कि हम संत भगवान की कृपा से हम निरंतर भगवान का स्मरण करें, उन्हें कभी ना भूले। गीता अध्याय 8 शलोक 14 में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन जो अनन्य भाव से लगातार मेरा स्मरण करता है मैं ऐसे योगी के लिए सुलभ हूं, भगवान के इस वाक्य पर जिसे विश्वास है वह सर्वत्र अपने प्रभु को मानता है। जागृत अवस्था में स्मरण संभव है, परंतु सोते समय स्मरण असंभव है, जागते हुए जो कार्य किया जाता है। प्राय: वही स्वप्न में दिखाई देता है। सोने के पहले स्मरण करते-करते सोना और जाकर स्मरण करना, इसके बीच का सोने का समय भी स्मरण में माना जाएगा। जीव के सच्चे सगे संबंधी भगवान ही हैं ईश्वर दयालू है कभी भी जीवो पर कुपित नहीं होते हैं।  जैसे गर्भ के समय बालक माता के पेट में हाथ पैर चलाता है माता को कष्ट होता है परंतु माता उस बालक पर कुपित नहीं होती है, इसी प्रकार प्रभु भी आस्तिक नास्तिक सभी जीवो के साथ रहते हैं। नरक में भी साथ नहीं छोड़ते हैं अंतर्यामी रूप से प्रभु सर्वत्र जीव के साथ रहते हैं अगर बालक कुएं में गिर पड़े तो उसकी माता जोर-जोर से रोकर पुकार करेगी लोगों से कहेगी कि बालक को कुएं से निकालो पर स्वय नहीं कूदेगी।भगवान ऐसे दयालु हैं कि अघासुर अजगर के मुख में जब सब ग्वाल बाल घुस गए तो भगवान उनकी रक्षा के लिए स्वयं भी अघासुर के मुंह में प्रविष्ट हो गए, ऐसे दयालु प्रभु आप सबों का सर्वदा मंगल करें।

 जय श्री राम जय घनश्याम 

दादा गुरु श्री गणेश दास जी भक्तमाली जी महाराज जी के श्री मुख से।

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