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बुधवार, 1 अक्टूबर 2025

गोवर्धन पर्वत | कथा, पूजा, परिक्रमा और महत्व

गोवर्धन पर्वत का धार्मिक महत्व, श्रीकृष्ण की दिव्य लीला, गोवर्धन पूजा और 21 किमी परिक्रमा की सम्पूर्ण जानकारी यहाँ पढ़ें। मथुरा स्थित इस पावन स्थल की यात्रा गाइड।


🌿 गोवर्धन पर्वत: श्रीकृष्ण की दिव्य लीला, पूजा, परिक्रमा और महत्व

✨ प्रस्तावना

भारत की पावन भूमि पर अनेकों तीर्थ स्थल हैं, लेकिन गोवर्धन पर्वत का स्थान अनोखा और दिव्य है। मथुरा के समीप स्थित यह पर्वत न केवल एक धार्मिक धरोहर है, बल्कि श्रीकृष्ण की अद्भुत लीला का जीवंत प्रतीक भी है। भक्तों का विश्वास है कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण आज भी गोवर्धन पर्वत में निवास करते हैं।


📖 गोवर्धन पर्वत की कथा

भागवत पुराण और श्रीमद्भागवत गीता में वर्णित है कि जब इन्द्र देव ने गोकुलवासियों पर निरंतर वर्षा कर उनका जीवन संकट में डाल दिया, तब नन्हें बालक कृष्ण ने अपनी छोटी उँगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सम्पूर्ण वृज को सुरक्षा दी। सात दिन तक पर्वत धारण कर भगवान ने यह संदेश दिया कि प्रकृति और धरती माता की पूजा सर्वोच्च है।
यही कारण है कि आज भी गोवर्धन को "श्रीकृष्ण का स्वरूप" मानकर पूजा जाता है।


🌸 गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव



दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस दिन अन्नकूट का विशेष आयोजन होता है, जिसमें सैकड़ों प्रकार के पकवान बनाकर भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाया जाता है।

  • गोबर से गोवर्धन पर्वत का स्वरूप बनाया जाता है।
  • उस पर फूल, दीपक और तरह-तरह के व्यंजन सजाए जाते हैं।
  • परिवार और समुदाय मिलकर यह पूजा करते हैं।

इस दिन भक्त भगवान को यह संदेश देते हैं कि हम प्रकृति, अन्न और धरती की महत्ता को कभी नहीं भूलेंगे।

🚶 गोवर्धन परिक्रमा का महत्व

गोवर्धन यात्रा का मुख्य आकर्षण है 21 किलोमीटर लंबी परिक्रमा। भक्तगण नंगे पाँव चलते हुए पर्वत की परिक्रमा करते हैं और “जय श्री गोवर्धनधारी” का उद्घोष करते हैं।
परिक्रमा मार्ग में कई पवित्र स्थल आते हैं, जैसे –

  • दानघाटी – जहाँ से परिक्रमा प्रारंभ होती है।
  • मुखारविंद – गोवर्धन का मुख स्वरूप, जहाँ विशेष पूजा होती है।
  • राधाकुंड और श्यामकुंड – यह सरोवर अत्यंत पवित्र माने जाते हैं।
  • पुनर्स्थलियाँ – जहाँ-जहाँ श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाएँ कीं।

भक्त मानते हैं कि गोवर्धन परिक्रमा करने से जीवन के सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं और भक्ति-भाव बढ़ता है।


🙏 धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

  • गोवर्धन पर्वत को भगवान कृष्ण का साक्षात स्वरूप माना गया है।
  • यह प्रकृति पूजन और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है।
  • यहाँ आकर हर भक्त अनुभव करता है कि भक्ति ही जीवन की सबसे बड़ी शक्ति है।

🏞️ पर्यटन दृष्टिकोण


गोवर्धन पर्वत उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित है।

  • कैसे पहुँचें?
    • मथुरा से दूरी: लगभग 22 किमी
    • वृंदावन से दूरी: लगभग 26 किमी
    • दिल्ली से दूरी: लगभग 150 किमी
  • रुकने की व्यवस्था: मथुरा, वृंदावन और गोवर्धन कस्बे में धर्मशालाएँ और होटल उपलब्ध हैं।
  • यात्रियों के लिए सुझाव:
    • परिक्रमा प्रातःकाल या संध्या में करना उत्तम है।
    • गर्मी के दिनों में जल, टोपी और छाता साथ रखें।
    • स्थानीय नियमों और परंपराओं का पालन करें।

🌺 निष्कर्ष

गोवर्धन पर्वत न केवल एक पौराणिक कथा है, बल्कि यह हमें सिखाता है कि प्रकृति की रक्षा, अन्न का सम्मान और ईश्वर पर विश्वास ही जीवन का सार है।
यदि आपने अभी तक गोवर्धन यात्रा नहीं की है, तो एक बार अवश्य जाएँ और श्रीकृष्ण के उस दिव्य स्वरूप का अनुभव करें।

👉 क्या आपने गोवर्धन परिक्रमा की है? अपने अनुभव नीचे कमेंट में साझा करें


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