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गुरुवार, 6 अक्तूबर 2016

भगवान के नाम की क्या महिमा है भाग 2


एक व्यक्ति वृन्दावन जा रहा था दूसरे ने पैसे देकर  उससे कहा  कि मेरे लिए एक तुलसी की माला लेते आना। अभी माला आई नहीं, नाम का जप शुरू नहीं किया केवल विचार मात्र ही किया था कि इतने से ही यमराज ने कहा  चित्रगुप्त  उस माला मांगने वाले के खाते को ख़त्म कर दो। महाराज उसे तो बहुत कर्मो के फल भोगने हैं , यमराज बोले नहीं क्योंकि उसने नाम जप का संकल्प ले लिया हैं , उसपर कृपा हो गयी हैं। उस जीव के कर्म बंधन समाप्त हो गए हैं। यही हैं कलयुग में नाम का महत्व। 

दुष्ट चित्त से स्मरण किया गया भी भगवन्नाम भी पापो का नाश करता हैं। जैसे अनजाने में भी अग्नि को स्पर्श करने पर हाथ जल जाता हैं। अतः 'हरि 'यह नाम हैं। जो सभी के पाप तापो को हर लेते हैं। हरि नाम के संबोधन में हरे ऐसा रूप होता हैं जो मन को हर लेता हैं। 
हरे राम हरे राम , राम राम हरे हरे। 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण , कृष्ण कृष्ण हरे हरे।।
मन्त्र का अर्थ हैं हरे मतलब हे राधे। कृष आकर्षण करने वाला 'ण 'आनन्ददायक। सबको आकृष्ट करके आनन्द देने वाले का नाम कृष्ण हैं। 
'रा 'का उच्चारण करने से पाप बाहर निकल जाते हैं फिर 'म 'का उच्चारण करने पर कपाट बंद हो जाते हैं फिर मुख के बंद होने पर पाप प्रवेश नहीं करते हैं। अतः हरे राम यह महामंत्र, विधि -अविधि जैसे भी जपा जाये जप करें यह कलियुग में विशेष फलप्रद हैं। 
( दादा गुरु भक्त माली जी के श्री मुख से )
वृन्दावन 

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जय श्री राधे

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