> परमात्मा और जीवन"ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: प्रार्थना एक ओंकार का भावार्थ

यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 20 फ़रवरी 2019

प्रार्थना एक ओंकार का भावार्थ

                सिख प्रार्थना एक ओंकार का भावार्थ-

एक ओंकार सतनाम कर्ता पुरूष निर्भऊ निर्वैर
अकाल मूरत अजूनी   सैभं गुरुप्रसाद जप।
आदि सच, जुगादि सच, है भी सच ,
नानक होसी भी सच। वाहेगुरु।।

परमात्मा एक है।उसका नाम सत्य है, अर्थात वह सदा स्थिर और एक रस है ।सृष्टि का कर्ता है, निर्भय और निवैंर है, उसका स्वरूप काल से परे है, वह समय के चक्र में कभी नहीं आता - मृत्यु, रोग और बुढ़ापा उसके लिए नहीं है ।वह अजन्मा है, स्वयंभू है ,पथ-प्रदर्शक है और कृपा की मूर्ति है ।
हे मनुष्य ! तू उसे जप।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अगर आपको मेरी post अच्छी लगें तो comment जरूर दीजिए
जय श्री राधे

Featured Post

करवा चौथ पर चंद्रमा को जल क्यों चढ़ाया जाता है

🌕 करवा चौथ पर चंद्रमा को जल क्यों चढ़ाया जाता है? करवा चौथ   का पर्व भारतीय स्त्रियों की श्रद्धा, प्रेम और समर्पण का सबसे पवित्र प्रतीक है ...