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सोमवार, 1 मई 2023

शुभ-अशुभ शकुन विचार कौन से होते है

                       श्री तुलसी दास जी के अनुसार शुभ-अशुभ शकुन विचार -



बाबा तुलसीदास जी ने भी रामचरितमानस में राम विवाह के समय कुछ शुभसंकेत बतायें है,

हम मनुष्यों के जीवन में नित्य ऐसी बहुत सी घटनाएँ होती है जो हम पर अपना व्यापक प्रभाव डालती है । हम सभी अपने किसी भी अच्छे कार्य के लिए निकलते समय जो शुभ-अशुभ संकेत होते हैं अथवा घटनाएँ घटती है, उससे अपने कार्य की सफलता-असफलता का पूर्व अनुमान लगा सकते है ।

यदि शुभ शकुन है तो बहुत ही अच्छा है लेकिन यदि अशुभ शकुन लगे तो उसका त्वरित आसान उपाय कर सकते है जिससे हमें निर्विवाद रूप से अपने कार्य में सफलता प्राप्त हो सके।

शकुन हमारे भविष्य में होने वाली घटना का संकेत देते हैं। प्राचीन काल से ही इनकी बहुत ही मान्यता रही है । बहुत से लोग इन शकुनों को अंधविश्वास मानते हैं लेकिन अधिकतर लोग इन शकुनों की उपेक्षा बिलकुल भी नहीं करते है । हम सभी मनुष्य कभी-कभी किसी ना किसी रूप में इन शकुनों को अवश्य ही मानते है।

शकुनों का इतिहास मनुष्य जाति जितने ही प्राचीन है । भारत में ही नहीं अपितु पुरे विश्व भर में ये शकुन प्रचलित हैं।

शकुन का उल्लेख्य हमारे वेदों, पुराणों व बहुत से धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है। ज्योतिष शास्त्र में भी शकुनों पर विशेष विचार किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के संहिता विभाग में शुभाशुभ शकुनों का विस्तृत वर्णन मिलता है |


बृहत संहिता में शाकुनाध्याय में लिखा है –

 अन्य जन्मांतर कृतं कर्म पुंसां शुभाशुभं 

 यत्तस्य शकुन: पाकं निवेदयति गच्छ्ताम ||

 अर्थात मनुष्य ने अपने पूर्व जन्म में जो भी शुभाशुभ कर्म किये हैं शकुन उनके शुभाशुभ फल को दर्शाते है | यहाँ पर हम आपको कुछ शुभ – अशुभ शकुन और उनके फल बता रहे है


शुभ शकुन-

1. प्रातः काल जागते ही यदि शंख, घंटा, भक्ति संगीत आदि का स्वर सुनाई दे तो अत्यंत शुभ होता है।आपका पूरा दिन हर्षपूर्ण बीतेगा।

2. यदि जागने पर सबसे पहले दही या दूध से भरे पात्र पर निगाह पड़े तो भी शुभ समझा जाता है।

3. यदि सुबह सुबहघर में कोई भिखारी माँगने आ जाए तो यह समझिये कि आपका फंसा हुआ या उधार दिया हुआ धन आपको शीघ्र ही वापस मिलेगा ।

4. यदि घर से किसी कार्य से बाहर जाते हुए तो आपके सामने सुहागन स्त्री अथवा गाय आ जाए तो कार्य में पूर्ण सफलता मिले का योग बनता है ।

5. किसी कार्य से जाते हुए आपके सामने कोई व्यक्ति गुड़ ले जाता हुआ दिखे तो बहुत अधिक लाभ होता है।

6. यदि रास्ते में कोई प्राणी सुन्दर फूल या हरी घास लेकर जाता मिले या आपको किसी दुकान में यह नज़र आ जाये तो बहुत शुभ होता है ।

7. यदि जाते समय मार्ग में कोई भी स्त्री/पुरुष दूध या पानी से भरा बर्तन लेकर दिख जाये तो यह बहुत ही शुभ शकुन होता है ।

8. यात्रा में जाते समय यदि प्रभु की आरती ,भजन आदि सुनाई दे तो यह बहुत ही शुभ माना जाता है , आपकी यात्रा के सफल होने के पुरे योग है ।

9. यदि मार्ग में हसंता खेलता हुआ बालक और फल फूल बेचने वाला कोई नज़र आ जाये तो आपको निसंदेह लाभ की प्राप्ति होगी ।

10. किसी भी कार्य के लिए जाते समय जब आप कपड़े पहने और आपकी जेब से पैसे गिर जाएँ तो यह धन प्राप्ति का संकेत है। और यदि कपड़े उतारते समय भी ऐसा ही हो तो भी यह शुभ शकुन होता है।

11. यदि आपके शरीर पर चिड़िया बीट कर दे तो यह समझिये की आपकी दरिद्रता दूर होने वाली है। ये बहुत ही शुभ शकुन हैं ।

12. यदि घर से बाहर निकलते ही आप वर्षा से भीग जाएँ तो यह बहुत ही शुभ शकुन है।

13. यदि घर से बाहर किसी भी कार्य के लिए जाते समय आपको राह में साधू,सन्यासी आदि दिखाई पद जाएँ तो यह भी आपकी यात्रा के लिए अति शुभ शकुन होता है ।

14. ब्राह्मण, घोड़ा, हाथी, नेवला , बाज, मोर, दूध, दही, फल, फूल, कमल, भक्ति संगीत, अन्न, जल से भरा कलश, बंधा हुआ एक पशु, मछली, प्रज्वलित अग्नि, छाता, वैश्या, कोई भी शस्त्र, कोई भी रत्न, स्त्री, कन्या, धुले हुए वस्त्र सहित धोबी, घी, मिट्टी, सरसों, गन्ना, शव यात्रा, पालकी, ध्वजा, बकरा, अपना प्रिय मित्र, बच्चे के सहित स्त्री, गाय बछड़ा सहित, सफेद बैल, साधु, कल्पवृक्ष, शहद, शराब, या कूड़े से भरी टोकरी,सामान से लदा वाहन यदि यात्रा के वक्त यह कुछ भी राह में पड़ जाए तो निश्चय ही आपको सफलता प्राप्त होगी।

बाबा तुलसीदासजी ने भी रामचरितमानस में राम विवाह के समय कुछ शुभसंकेत बतायें हैं-

बनइ न बरनत बनी बराता।

होहिं सगुन सुंदर सुभदाता॥

चारा चाषु बाम दिसि लेई।

मनहुँ सकल मंगल कहि देई॥

भावार्थ:-बारात ऐसी बनी है कि उसका वर्णन करते नहीं बनता। सुंदर शुभदायक शकुन हो रहे हैं। नीलकंठ पक्षी बाईं ओर चारा ले रहा है, मानो सम्पूर्ण मंगलों की सूचना दे रहा हो॥।

दाहिन काग सुखेत सुहावा।

नकुल दरसु सब काहूँ पावा॥

सानुकूल बह त्रिबिध बयारी।

सघट सबाल आव बर नारी॥

भावार्थ:-दाहिनी ओर कौआ सुंदर खेत में शोभा पा रहा है। नेवले का दर्शन भी सब किसी ने पाया। तीनों प्रकार की (शीतल, मंद, सुगंधित) हवा अनुकूल दिशा में चल रही है। श्रेष्ठ (सुहागिनी) स्त्रियाँ भरे हुए घड़े और गोद में बालक लिए आ रही हैं॥

लोवा फिरि फिरि दरसु देखावा।

सुरभी सनमुख सिसुहि पिआवा॥

मृगमाला फिरि दाहिनि आई।

मंगल गन जनु दीन्हि देखाई॥

भावार्थ:-लोमड़ी फिर-फिरकर (बार-बार) दिखाई दे जाती है। गायें सामने खड़ी बछड़ों को दूध पिलाती हैं। हरिनों की टोली (बाईं ओर से) घूमकर दाहिनी ओर को आई, मानो सभी मंगलों का समूह दिखाई दिया॥

छेमकरी कह छेम बिसेषी।

स्यामा बाम सुतरु पर देखी॥

सनमुख आयउ दधि अरु मीना।

कर पुस्तक दुइ बिप्र प्रबीना॥

भावार्थ:-क्षेमकरी (सफेद सिरवाली चील) विशेष रूप से क्षेम (कल्याण) कह रही है। श्यामा बाईं ओर सुंदर पेड़ पर दिखाई पड़ी। दही, मछली और दो विद्वान ब्राह्मण हाथ में पुस्तक लिए हुए सामने आए॥

।।जय श्री राधे।।


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