पंचामृत जीवन में एक बार इसको अपना लो फिर जीवन में सुख ही सुख है।
1 हम भगवान के ही हैं
2 हम जहां भी रहते हैं भगवान के ही दरबार में रहते हैं।
3 हम जो भी शुभ काम करते हैं भगवान का ही काम करते हैं।
4 शुद्ध सात्विक जो भी पाते हैं भगवान का ही प्रसाद पाते हैं।
5 भगवान के दिए प्रसाद से, भगवान के ही जनों की सेवा करते हैं।
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जय श्री राधे