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शुक्रवार, 14 जुलाई 2023

विश्वास से परधाम गए गुरु वापस आए

                 विश्वास से प्रधान गए गुरु वापस आए

संत सदगुरुदेव में श्रद्धा की आवश्यकता है। जहां पर श्रद्धा होगी वहीं पर प्रभु अपना रूप प्रकट करके अनुभव करा देते हैं और अश्रद्धा के द्वारा दिया गया दान, हवन तुच्छ ल देता है। श्रद्धा पूर्वक थोड़ा दान भी महान फल देता है। शिष्य प्रदेश जाने लगा तो गुरु ने कहा कि वापस आओगे तो रहस्य की बात बताऊंगा। वापस आते आते गुरु का शरीर छूट गया, पर अपनी श्रद्धा के कारण उसने गुरु के शरीर त्याग को स्वीकार नहीं किया।बिना मुझे उस बात को बताए गुरुदेव भगवान वैकुंठ नहीं जा सकते, गुरु की वाणी में शिष्य का विश्वास था अतः गुरुदेव वैकुंठ में से वापस आ गए और कहा संत में मुझसे अधिक श्रद्धा रखकर सेवा करो। गुरु वचन में विश्वास से रहस्यमय  उपदेश मिला। वैकुंठ जाकर कोई वापस नहीं आता पर शिष्य की श्रद्धा ने गुरु को वापस बुला लिया। पुनः जीवित कर लिया। 

जय गुरुदेव।।

गुरुवार, 13 जुलाई 2023

परमार्थ के पत्र पुष्प (गुरु महिमा)

                  परमार्थ के पत्र पुष्प( गुरु महिमा)


ईश्वर परम दयालु है। तभी हम लोग सुख पूर्वक रह रहे हैं। यदि हमारे दोषों को प्रभु देखें तो एक क्षण भी हमको सुख ना मिले। जैसे अबोध शिशु के दोषों को देखकर माता-पिता उन पर ध्यान नहीं देते हैं, उसी प्रकार संसारी माता-पिता से भी कई गुना दयालु ईश्वर हम जीवो के दोषों पर ध्यान नहीं देता है। हम पग-पग पर अनेक अपराध करते हैं। भगवत कृपा से सत्संग प्राप्त हो, जीव ईश्वर की शरण में पहुंच जाए तो यह निष्पाप व निर्भय हो जाता है। ईश्वर का नियम है कि वह किसी संत सद गुरु देव की सिफारिश के बिना किसी को नहीं अपनाता है। गुरुदेव के रूप धारण कर ईश्वर ही अपनी प्राप्ति का उपाय बताता है। प्रत्येक शिष्य का गुरु ईश्वर ही होता है। ईश्वर और गुरु एक ही है। फिर भी वह ईश्वर जब गुरु रूप धारण करता है तब ईश्वर की अपेक्षा अधिक दयामय और क्षमाशील होता है। गुरु भक्त पर ईश्वर प्रसन्न रहता है। इतिहास में जिन लोगों ने गुरुवाणी में विश्वास किया, उन्हें प्रत्यक्ष फल मिला। कल्याणकारी शिक्षा देने वाले को गुरु कहते हैं। सर्वप्रथम शिक्षा देने वाले माता-पिता हैं वह गुरु हैं उनमें श्रद्धा विश्वास रखकर उनकी सेवा करनी चाहिए। वर्णमाला तथा लौकिक व्यवहार की शिक्षा देने वाले गुरु हैं। ईश्वर को प्राप्त कराने वाली शिक्षा सद्गुरु होते हैं। लोक में कोई ज्ञान बिना गुरु के नहीं होता है तो फिर ईश्वरीय ज्ञान बिना गुरुदेव के कैसे हो सकता है। गुरुवाणी में विश्वास से परधाम गए गुरु वापस आए और गंगा में गुरु भाव होने से चरणों के नीचे कमल दल प्रकट हो गए ।

सदगुरुदेव भक्त माली श्री गणेश दास जी महाराज दादा गुरु

सोमवार, 26 जून 2023

चाहे मन लगे या न लगे, यदि भगवान्‌का नाम जीभसे निरन्तर लेने लग जाइयेगा

                                    ॥ श्री हरिः ॥

जीभ से निरन्तर भगवान्‌का नाम लीजिये —


भगवान्ने कहा है—‘सभी धर्मोका आश्रय छोड़कर केवल एकमात्र मेरी शरणमें चले आओ। फिर मैं तुम्हें सब पापोंसे मुक्त कर दूँगा, तुम चिन्ता मत करो।' 

सर्वधर्मान् परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज । अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा  शुचः ॥ 

(गीता १८ । ६६ )

जरूर पढ़े–

https://www.parmatmaaurjivan.co.in/2022/02/blog-post.html

मनकी कैसी भी अवस्था क्यों न हो, कोई परवाह नहीं । केवल जीभसे निरन्तर भगवान्‌का नाम लीजिये, फिर सारी जिम्मेवारी भगवान् सँभाल लेंगे। केवल जीभसे नाम - स्मरण, और कोई शर्त नहीं । 

चाहे मन लगे या न लगे, यदि भगवान्‌का नाम जीभसे निरन्तर लेने लग जाइयेगा तो फिर न तो कोई शंका उठेगी, न कोई चाह रहेगी । थोड़े ही दिनोंमें शान्तिका अनुभव करने लगियेगा। इससे सरल उपाय कोई नहीं है । पूर्वके पापोंके कारण नाम लेनेकी इच्छा नहीं होती । यदि एक बार हठसे निरन्तर नाम लेकर नियम लेकर ४-६ महीने बैठ जायँगे, तो फिर किसीसे कुछ भी पूछनेकी जरूरत नहीं रहेगी । स्वयं सत्य वस्तुका प्रकाश मिलने लगेगा, संदेह मिटने लगेंगे। इस प्रकार जिस दिन भजन करते-करते सर्वथा शुद्ध होकर भगवान्‌ को चाहियेगा, उसी क्षण भगवान् से मिलकर कृतार्थ हो जाइयेगा। 

पहले ऐसा कीजिये कि कम-से-कम बोलकर जरूरी - जरूरी काम निबटा लीजिये, बाकी का समय पूरा - का - पूरा जीभ से नाम लेते हुए बिताइये । यह खूब आसानी से हो सकता है । करना नहीं चाहियेगा तो उसकी कोई दवा होनी बड़ी कठिन है । यदि मनुष्य भजन करना चाहे तो जरूर कर सकता है। यदि कोई कहता है - ' हमसे भजन नहीं होता' तो समझ लीजिये कि सचमुच वह भजन करना चाहता नहीं । आपके चाहने पर भजन अवश्य हो सकता है। बिना परिश्रम ही सब हो जायगा । यह कलियुग है, मन लगना बड़ा ही कठिन है । बिरले ऐसे होते हैं, जिनका मन सचमुच भगवान्‌ में लग गया हो। पर यदि कोई जीभ से नाम लेने लगे तो फिर बिना मन लगे ही अन्त तक अवश्य कल्याण हो जायगा । 

 -परमपूज्य श्री राधाबाबा।

रविवार, 25 जून 2023

जब मन दुखी हो तो क्या करें?

                           जब मन दुखी हो तो क्या करें?


जब मन दुखी होता है, तो कई तरह की चीजें करके आप अपने मन को शांत कर सकते हैं। यहां कुछ सुझाव हैं जो आपको मदद कर सकते हैं:


अपने भावनाओं को व्यक्त करें: वक्त निकालें और अपनी भावनाओं को लिखें, चित्र बनाएं, या दूसरों के साथ बातचीत करें। अपनी मन की स्थिति को साझा करने से आपको राहत मिल सकती है और आपका दुख कम हो सकता है।

व्यायाम करें: शारीरिक गतिविधि और व्यायाम आपके मन को स्थिरता देने में मदद कर सकते हैं। योग, प्राणायाम, या किसी अन्य व्यायाम तकनीक का अभ्यास करना आपके मानसिक स्थिति को सुधार सकता है।

संगीत सुनें: संगीत आपके मन को शांति और आनंद प्रदान कर सकता है। आपकी पसंद के गाने सुनें या स्वयं गायें, जो आपको खुशी महसूस कराते हैं।

मनोरंजन करें: किसी अपने पसंदीदा गतिविधि में समय बिताएं, जैसे कि किताब पढ़ना, फिल्म देखना, कला या शौक के साथ समय बिताना। यह आपको मनोरंजन का मौका देता है और दुख को भुलाने में मदद कर सकता है। समय के साथ दुख को स्वीकार करें: दुख भाग्य का हिस्सा है और यह सभी के जीवन में आता है। जब हम अपने दुःख को स्वीकार करते हैं, तो हम उसे संघर्ष के बजाय स्वीकार करने और उसके साथ जीने का तरीका ढूंढ़ते हैं।

यदि आपका दुःख बहुत गंभीर है और आपको लगता है कि आप में अकेले  नहीं सामर्थ्य हैं, तो इससे बाहर एक पेशेवर, जैसे कि मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक, से सलाह लेने की सलाह दी जाती है। वे आपको सही दिशा में मार्गदर्शन कर सकते हैं।

अंत में, मैं तो यही कहूंगी कि अगर संसार में आपका अपना कोई ऐसा साथी नहीं है जिससे आप अपने सुख दुख बांट सकते हैं। तो ईश्वर को अपना साथी बना ले। जो भी आपको पसंद हो कृष्णा, शिव राधे मां, गौरा मां। ईश्वर, अल्लाह जो भी पसंद हो, उसे साथी बनाएं और उनके साथ अपनी सारी दिनचर्या शेयर करें, आपको बहुत शांति मिलेगी।असीम सुख की अनुभूति होगी।

।।जय श्री राधे।।


शनिवार, 10 जून 2023

कैलाश पर्वत और चंद्रमा का रहस्य.....

                    कैलाश पर्वत और चंद्रमा का रहस्य.....


कैलाश पर्वत एक अनसुलझा रहस्य, कैलाश पर्वत के इन रहस्यों से नासा भी हो चुका है चकित..

कैलाश पर्वत, इस एतिहासिक पर्वत को आज तक हम सनातनी भारतीय लोग शिव का निवास स्थान मानते हैं। शास्त्रों में भी यही लिखा है कि कैलाश पर शिव का वास है।

किन्तु वहीं नासा जैसी वैज्ञानिक संस्था के लिए कैलाश एक रहस्यमयी जगह है। नासा के साथ-साथ कई रूसी वैज्ञानिकों ने कैलाश पर्वत पर अपनी रिपोर्ट दी है।

उन सभी का मानना है कि कैलाश वास्तव में कई अलौकिक शक्तियों का केंद्र है। विज्ञान यह दावा तो नहीं करता है कि यहाँ शिव देखे गये हैं किन्तु यह सभी मानते हैं कि, यहाँ पर कई पवित्र शक्तियां जरूर काम कर रही हैं। तो आइये आज हम आपको कैलाश पर्वत से जुड़े हुए कुछ रहस्य बताते हैं।

कैलाश पर्वत के रहस्य.

रहस्य 1– रूस के वैज्ञानिको का ऐसा मानना है कि, कैलाश पर्वत आकाश और धरती के साथ इस तरह से केंद्र में है जहाँ पर चारों दिशाएँ मिल रही हैं। वहीं रूसी विज्ञान का दावा है कि यह स्थान एक्सिस मुंडी है और इसी स्थान पर व्यक्ति अलौकिक शक्तियों से आसानी से संपर्क कर सकता है। धरती पर यह स्थान सबसे अधिक शक्तिशाली स्थान है।

रहस्य 2 - दावा किया जाता है कि आज तक कोई भी व्यक्ति कैलाश पर्वत के शिखर पर नहीं पहुच पाया है। वहीं 11 सदी में तिब्बत के योगी मिलारेपी के यहाँ जाने का दावा किया जाता रहा है। किन्तु इस योगी के पास इस बात के प्रमाण नहीं थे या फिर वह स्वयं प्रमाण प्रस्तुत नहीं करना चाहता था। इसलिए यह भी एक रहस्य है कि इन्होंने यहाँ कदम रखा या फिर वह कुछ बताना नहीं चाहते थे..

रहस्य 3 - कैलाश पर्वत पर दो झीलें हैं और यह दोनों ही रहस्य बनी हुई हैं। आज तक इनका भी रहस्य कोई खोज नहीं पाया है। एक झील साफ़ और पवित्र जल की है। इसका आकार सूर्य के समान बताया गया है। वहीं दूसरी झील अपवित्र और गंदे जल की है तो इसका आकार चन्द्रमा के समान है। 

रहस्य 4 - यहाँ के आध्यात्मिक और शास्त्रों के अनुसार रहस्य की बात करें तो कैलाश पर्वत पे कोई भी व्यक्ति शरीर के साथ उच्चतम शिखर पर नहीं पहुच सकता है। ऐसा बताया गया है कि, यहाँ पर देवताओं का आज भी निवास हैं। पवित्र संतों की आत्माओं को ही यहाँ निवास करने का अधिकार दिया गया है।

रहस्य 5 - कैलाश पर्वत का एक रहस्य यह भी बताया जाता है कि जब कैलाश पर बर्फ पिघलती है तो यहाँ से डमरू जैसी आवाज आती है। इसे कई लोगों ने सुना है। लेकिन इस रहस्य को आज तक कोई हल नहीं कर पाया है.

रहस्य 6 – कई बार कैलाश पर्वत पर *सात तरह के प्रकाश* आसमान मेंदेखे गये हैं। इस पर नासा का ऐसा मानना है कि यहाँ चुम्बकीय बल है और आसमान से मिलकर वह कई बार इस तरह की चीजों का निर्माण करता 

रहस्य 7 - कैलाश पर्वत दुनिया के 4 मुख्य धर्मों का केंद्र माना गया है। यहाँ कई साधू और संत अपने देवों से टेलीपैथी से संपर्क करते हैं। असल में यह आध्यात्मिक संपर्क होता है।

रहस्य 8 - कैलाश पर्वत का सबसे बड़ा रहस्य खुद विज्ञान ने साबित किया है कि यहाँ पर प्रकाश और ध्वनि के बीच इस तरह का समागम होता है कि यहाँ से *ॐ* की आवाजें सुनाई देती हैं।

समझ गये होंगे कि, कैलाश पर्वत क्यों आज भी इतना धार्मिक और वैज्ञानिक महत्त्व रखे हुए है। हर साल यहाँ दुनियाभर से कई लोग अनुभव लेने आते हैं, और सनातन धर्म के लिए कैलाश सबसे बड़ा आदिकालीन धार्मिक स्थल भी बना हुआ 

यहाँ पर सूर्य और चंद्रमा के संधि काल (सायं काल) प्रकाश और ध्वनि के बीच इस तरह का समागम होता है कि यहाँ से *ॐ* की आवाजें सुनाई देती है।

मंगलवार, 6 जून 2023

परमार्थ के पत्र पुष्प (हृदय अशांत रहेगा)

           परमार्थ के पत्र पुष्प ( हृदय अशांत रहेगा)



अपने मन में सबके प्रति सद्भाव बनाए रखना चाहिए। दूसरे लोग मेरे प्रति ईर्ष्या द्वेष रखें, तो उससे हमारा कुछ भी ना बिगड़ेगा। ईर्ष्या क्रोध जिसके मन में है, उसी की हानि होगी। हृदय अशांत हो जाएगा। क्रोध ईर्ष्या से हृदय का रोग भी पैदा हो जाता है। मन शांत रहने से शरीर स्वस्थ रहेगा। शांत रहकर दूसरे को शांत रख सकेंगे। हम क्रोध करेंगे तो दूसरे को भी क्रोध की प्रेरणा मिलेगी। सभी जीव ईश्वर के अंश है। इसलिए सब के प्रति सद्भाव बना कर रखना चाहिए।इसी से प्रभु प्रसन्न होंगे, यही सच्ची भक्ति है। बिना कारण के उपकार करने वाले दो हैं –1.ईश्वर और 2.भक्त। शेष सब स्वार्थी हैं।

।।दादा गुरु के श्री मुख से।।

परमार्थ के पत्र पुष्प(जो लोग भगवान में अपने मन को लगाते है

          जो लोग अपने मन को भगवान में लगाते हैं।

जो लोग अपने मन को भगवान में लगाते हैं, वाणी से नाम गुणों का कीर्तन करते हैं। शरीर से मंदिर में सेवा करते हैं, वह भाग्यशाली हैं। इन्हीं कामों को प्रेम पूर्वक करते-करते भगवान के रूपों का, हृदय में साक्षात्कार कर लेते हैं। संसार में प्राणी निरंतर सुखी नहीं रह सकता है कभी सुख, कभी दुख प्रारब्ध के अनुसार मिलते हैं। इनसे घबराना नहीं चाहिए। सच्चाई के साथ व्यवहार करते हुए किसी का बुरा नहीं सोचना चाहिए। अपने साथ बुराई करने वाले को भी सज्जन शाप नहीं देते हैं। ऐसे परोपकारी पर भगवान प्रसन्न होते हैं। कष्ट के समय भक्तों की परीक्षा होती है, परीक्षा समझकर बुद्धि को स्थिर करना चाहिए। इतिहास देखने से पता चलता है कि बड़े-बड़े भक्तों को अवतार काल में परमात्मा को कष्ट सहन करते देखा जाता है। काल में भी अपने धर्म का त्याग करके जो उपकार करता है वही धन्य है।

दादा गुरु भक्तमाली श्री गणेशदास जी के श्री मुख से

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                    गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र   भावार्थ के साथ गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र श्रीमद्भागवत महापुराण के अष्टम स्कंध में आता है। इसमें एक ...