/ "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: aur kya chahte hain aap bhagwaan se.

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मंगलवार, 4 फ़रवरी 2014

aur kya chahte hain aap bhagwaan se.

kalyan


 और  क्या चाहते है भगवान से ?

हमारी सनातन मान्यता है कि चौरासी लाख योनियों  मैं भटकने के बाद मानव योनि प्राप्त होती है। इसी मानव शरीर से हम जीवन के चारो पुरुषार्थ -धर्म ,अर्थ,काम ,और मोक्ष करते हैं। मनुष्य अपनी बुद्धि के कारण ही पशु -पक्षियों आदि योनियो से अलग हैं। अन्य योनि तो प्रकृति पर ही पूर्ण रूप से निर्भर हैं। जिस वातावरण मैं जैसी प्रकृति होती हैं ,उसी के अनुसार उन्हें चलना और रहना होता हैं। मानव मैं बुद्धितत्व उसे अन्य योनियो से पृथक क्र देता हैं। 

दीर्घ आयु -

प्रभु ने पशु -पक्षिओं  से अधिक लम्बी आयु हमे दी हैं। अधिकांश  पशु -पक्षी  तो मात्र 5 से 25 वर्षो कि ही आयु पाते हैं। कुछ कीड़े -मकोड़े तो कुछ घंटो की ही आयु पाते  हैं। और  अपनी आयु का उपयोग किसी स्रजन में नहीं ,बल्कि क्षुधापूर्ति ,निद्रा आदि में ही बीता देते हैं कारण कि उनमे बुद्धितत्व एकदम शून्य होता हैं। हम इस प्रभु के वरदान कि महत्ता पर चिंतन करे कि उसने हमे 100 वर्ष कि दीर्घ आयु दी हैं 1 दिन में 24 घंटे होते हैं ,और एक वर्ष में लगभग 8760 घंटे होते हैं। इस प्रकार 100 वर्ष कि आयु में हमे 8 लाख 76 हज़ार घंटे का जीवन मिला हैं। इतना अनमोल शरीर और इतना लम्बा जीवन वो भी बुद्धितत्व के साथ ,अत्यंत अनमोल वरदान हैं। हमें एक -एक पल का मूल्य समझना चाहिए। 

अद्भुत यन्त्रशाला -

यह शरीर एक अद्भुत यन्त्रशाला हैं। प्रभु ने मानव मस्तिष्क के रूप में एक आलौकिक कम्प्यूटर दिया हैं। उसमे आलौकिक कल्पनाए एवं सृजनशक्ति दी हैं। कान एक चमत्कारी श्रवण यंत्र हैं। आखँ ,सिर ,केश आदि दी हैं। और इन सबको चलाने के लिए कोई भी अलग से मशीन कि व्यवस्था नहीं हैं। सब कुछ स्वचलित हैं यह सब प्रभु का वरदान हैं। शेष कल -

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जय श्री राधे

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